मेरठ। महिला गन्ना किसानों के मुद्दे पर महिला किसानों की जनपद स्तरीय बैठक का आयोजन सामुदायिक केन्द्र खेडकी मुजक्कीपुर में किया गया। बैठक में 35 किसान संगठन एवं गैर सरकारी संगठनों एवं महिला किसानों ने प्रतिभाग किया। आक्सफेम इंडिया कंसलटेंट संजीव कुमार ने महिला गन्ना किसानो के लिए संस्था द्वारा किये गये प्रयासों के बारे में विस्तार से बताते बताया। उनहोंने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था गन्ना पर ही टिकी है। किसान, मजदूर, पशु पालक व्यापारी और सभी लोग गन्ने की फसल पर ही अर्थतंत्र घूमता है। गन्ने की प्रमुख समस्या भुगतान में देरी, बाल श्रम, खर्च ज्यादा और मुनाफा कम, घटतौली आदि है। वरिष्ठ पत्रकार डाॅ. कुलदीप त्यागी ने कहा कि हमें गन्ना की फसल में बाल श्रम मुक्त करने की जरूरत है। जिससे राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छ छवि बन सकें। नन्हे हाथों में काम नहीं, बल्कि कलम होना जरूरी है। ग्राम प्रधान राशिद ने कहा कि गन्ना किसानों को जागरूक होने की जरूरत है जिससे लिंग भेदभाव व समान मजदूरी पर काम करने की जरूरत है। मै अपने गांव में गन्ना महिला किसानों को बराबर का हक दिलाने का प्रयास करूंगा। कार्यक्रम में कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन के समन्व्यक शेर खान ने कहा कि गन्ना सोसाइटी और शुगर मिल मिलकर किसानों की समस्या सुलझाने का कार्य करें। एन ब्लाॅक आन द वे ह्यूमेनिटी के निदेशक मुकेश कुमार ने कहा कि महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए आगे आने की जरूरत है। निराई गुडाई, छिलाई करने वाली महिलाओं जगवती, समुन्तरा आदि ने बताया कि हमें पुरूषों के मुकाबले मजदूरी कम मिलती है, जिससे हमारा खर्च नहीं चल पाता है।
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