पश्चिमी बंगाल की वर्तमान भयावह स्थिति से बना संवैधानिक संकट विषय पर हुआ वेबिनार

- पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कार्यकर्ता हुए शामिल


मेरठ। बंगाल विकास पर पीछे होकर भ्रष्टाचार और हिंसा में आगे बढ गया है। वहां महिलाओं पर अत्याचार इस कदर बढ़ गये है,कि कोई महिला अपनी बेटी की जघन्य घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने जाती है, तब सत्ता के भय से त्रस्त प्रशासन उससे दुसरी बेटी के लिए ऐसी ही घटना का भय दिखाते हैं। यह बात प्रज्ञा प्रवाह परिषद पश्चिमी उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड द्वारा आॅनलाइन वेबिनार में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पश्चिमी बंगाल पूर्व क्षेत्र के सह-क्षेत्र प्रचारक रमापद पाल ने कही।

रमापद पाल ने कहा कि पश्चिमी बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस द्वारा विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों व समर्थकों पर की गई हिंसा में कुल 1320 ही एफआईआर दर्ज हुई हैं। संभव है, सत्ता के भय से अनेक एफ आई आर दर्ज ही नहीं हुई, इसके अलावा भय से पलायन कर असम के धुबरी जिले में पहुंचे शरणार्थियों द्वारा भी 28 एफआईआर दर्ज कराई गई हैं। दर्ज हुई प्रथमिकियों में हत्या , महिला उत्पीड़न के 29 मामले बताए गए हैं। इसके अलावा  चुनाव के बाद भी मारपीट, लूटपाट, तोड़फोड़, आगजनी और धमकी आदि के मामलों में प्राथमिकी दर्ज हुई हैं। जमीनी सूत्रों के अनुसार सत्ताधारी दल के दबाव में अधिकांश मामलों में प्राथमिकी दर्ज ही नहीं हो पायी हैं। लगभग 4400 दुकानें और मकान हमलों में क्षतिग्रस्त हुए हैं, साथ ही 200 मकान पूरी तरह से जमींदोज कर दिए गये हैं। पूर्व बर्धमान के औसग्राम में तो एक पूरी बस्ती को ही फूंककर नेस्तनाबूत कर दिया गया। आज भी अपने घरों को छोड़कर 6788 लोग असम के 191 शिविरों में जाकर के शरण लिये हुए हैं।
 रमापद पाल जी ने कहा, कि 1905 से शुरू बंग भंग आंदोलन में जिस तरह से हिंदुओं का संहार का क्रम शुरू हुआ था, जिसमें हजारों हिन्दुओं को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। बिल्कुल उसी तरह से..आजादी के 30 वर्षों के बाद कॉंग्रेस के शासन काल में भी हिंदुओं का मनमार्दन चलता रहा था। 32 वर्षों के कम्यूनिस्टों के शासन काल में भी यह क्रमशः चलता रहा है। अब ममता बनर्जी के कार्यकाल में बर्बरता की हद ही हो गयी, कि आज 70 प्रतिशत हिंदू बाहुल्य होने के बावजूद भी हिंदूओं को बंगाल छोड़ने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

प्रज्ञा प्रवाह पश्चिमी उत्तरप्रदेश उत्तराखंड के तीन प्रांतों भारतीय प्रज्ञान परिषद मेरठ, देवभूमि विचार मंच उत्तराखंड, प्रज्ञा परिषद ब्रज प्रांत के क्षेत्रीय स्तरीय व्याख्यान अध्यक्ष प्रख्यात स्तम्भकार, लेखक माननीय दिव्य सोती, क्षेत्रीय संयोजक माननीय भगवती प्रसाद राघव, प्रस्तावना डॉ प्रवीण तिवारी रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ अंजलि वर्मा एवं आगुंतकों कार्यकर्ताओं का आभार भारतीय प्रज्ञान परिषद मेरठ प्रांत अध्यक्ष प्रोफेसर बीरपाल सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रज्ञा प्रवाह के कार्यकर्ताओ में भारतीय प्रज्ञान परिषद संयोजक अवनीश त्यागी, डॉ वीके सारस्वत, डॉ चैतन्य भंडारी, प्रोफेसर बीरपाल सिंह डॉ प्रवीण तिवारी, अनुराग विजय, डॉ गोविंद राम गुप्ता, डॉ वंदना वर्मा, डॉ सूर्य प्रकाश अग्रवाल, डॉ प्रदीप पवार, डॉ नमन गर्ग, डॉ पृथ्वी काला, डॉ आदर्श, डॉ. हिमांशु, डॉ रजनीश गौतम, डॉ पूनम, डॉ रवि, पंकज, डॉ अलका, डॉ श्यामलेंद्रु, सतीश वार्ष्णेय, डॉ संजीव, डॉ योगेश, डॉ कैलाश अंडोला, अजयकांत, डॉ नितिन, डॉ सविता, डॉ रेनू, डॉ अमित, आदि सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और शिक्षाविद मौजूद रहे।

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