मेरठ। एटीएस द्वारा मेरठ से पकड़ा गया हाफिज शफीक रोहिंग्याओं का गिरोह चला रहा था। वह मेरठ में बैठकर ही रोहिंग्याओं को मजबूत कर रहा था। रोहिग्य युवकों को नौकरी लगवाना और रोहिंग्य महिलाओं की हवाई मार्ग से मलेशिया जैसे देशों में तस्करी कर रहा था। हाफिज फर्जी दस्तावेजों के जरिये रोहिंग्य युवकों को नौकरी दिलवाने का काम करता था।
पहले दस्तावेज बनवाने के लिए मोटी रकम वसूलता था उसके बाद नौकरी लगवाने के नाम पर कमीशन लेता था। हाफिज हवाला के जरिये काला धन का आदान-प्रदान करने का काम करता था। गिरफ्तार रोहिंग्या के पास से सोने जैसी धातुए भी बरामद हुई है। फर्जी दस्तावेज बनाने में मदद करने वालों की भी तलाश हो रही है।
बता दे कि यूपी एटीएस ने गत 8 जून को गाजियाबाद से पकड़े गए दो रोहिंग्या नागरिकों से पूछताछ में कई अहम जानकारियां हासिल की थी। गाजियाबाद क्षेत्र से रोहिंग्या नागरिक आमिर हुसैन और नूर आलम को गिरफ्तार किया गया था। नूर आलम बंग्लादेश के रास्ते रोहिंग्या नागरिकों को देश में लाने का सबसे बड़ा दलाल है और आमिर हुसैन देश में अवैध तरीके से एंट्री करके करीब दो साल से दिल्ली के खजुरी खास थानाक्षेत्र के श्रीराम कॉलोनी में ठिकाना बनाकर रह रहा था।
मेरठ का हाफिज शफीक इन्हीं दो युवकों का साथी था। जो कि मेरठ और पश्चिमी उप्र के जिलों में रोहिंग्य युवकों की जड़े जमा रहा था। हाफिज शफीक युवकों को पहले देश का निवासी बनाने के लिए फर्जी कागजात तैयार करता था। उसके बाद उनकी नौकरी लगवाने से लेकर शादी करवाने तक का काम करता था। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले रहने वाली जगह का राशन कार्ड, पैन कार्ड बनवाकर वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाना हाफिज का टास्क था। इसके लिए नूर आलम एक-एक करके दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान की तरफ बसे रोंहिग्य घुसपैठियों को यूपी में रहने वाले इनके रिश्तेदारों और करीबियों तक पहुंचा रहा है। इसके एवज में उसे अच्छी खासी रकम भी मिल रही है। यूपी एटीएस अभी इस मामले में और बड़े खुलासे कर सकती है।
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