पुल में दरार, कानपुर तक हाई अलर्ट


हरिद्वार
पहाड़ों में लगातार हो रही भारी बारिश से शनिवार को गंगा ने रौद्र रूप धारण कर लिया। वर्ष 2013 की आपदा के बाद पहली बार गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बहने से तीन लाख 92 हजार 404 क्यूसेक तक पहुंच गया।
जलस्तर बढ़ने से हरिद्वार से लेकर कानपुर तक हाई अलर्ट जारी कर भीड़गोड़ा बैराज के सभी गेट एक साथ खोल दिए गए। बैराज खुलने से गंगनहर के जरिये उत्तर प्रदेश के लिए सिंचाई को छोड़ा जाने वाला पानी बंद हो गया। उधर, बैराज के पानी के बहाव से चंडी टापू को जोड़ने के लिए महाकुंभ में बनाए गए अस्थायी पुल के एप्रोच में दरारें आ गईं। नमामि गंगे घाट पानी में डूब गए।
वर्ष 2013 में 16 जून को आई भीषण आपदा में पांच लाख बीस हजार क्यूसेक पानी आया था। इसके बाद पहली बार शनिवार को गंगा का जलस्तर तीन लाख 92 हजार 404 क्यूसेक पहुंचा। बैराज खुलते ही गंगा ने रौद्र रूप धारण कर लिया। 
बैराज से पानी छूटते ही चंडी टापू को जोड़ने वाले लोहे के अस्थायी पुल के ऊपर से पानी बहने लगा। यह पुल महाकुंभ में बनाया गया था। इस दौरान गंगा में बोल्डर और जड़ समेत पेड़ बहकर आए। कई पेड़ पुल में फंस गए, जिससे पानी के बहाव से पुल की एप्रोच में दरारें आ गईं।
दिनभर उफान पर रही गंगा 

गंगा नदी शनिवार को दिनभर उफान पर रही। ऐसे में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग से लेकर हरिद्वार जिला प्रशासन के अधिकारियों के हाथ-पैर फूले रहे। बैराज पर डटकर अफसर बाढ़ चौकियों और कंट्रोल रूम से संपर्क करते रहे। बैराज में शुक्रवार रात से पानी बढ़ना शुरू हुआ। शनिवार सुबह नौ बजे 294.40 मीटर जलस्तर के बाद दोपहर दो बजे पानी का स्तर 294.10 मीटर हो गया।
यूपी सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता विनोद कुमार मिश्रा से लेकर हरिद्वार के एडीएम केके मिश्रा समेत जिला प्रशासन के कई अधिकारी बैराज पर जमे रहे। एसडीआरएफ, जल पुलिस, राजस्व पुलिस और नागरिक पुलिस देर रात तक अलर्ट पर रही। 

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