कार में ही तड़फ-तड़फ कर हो गयी महिला की मौत !

नोएडा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकारी दस्तावेजों में प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतरीन बनाने का दावा करते हैं। वो दावा करते हैं कि प्रदेश में न ऑक्सीजन की किल्लत है और न ही बेड की। लेकिन  ग्रेटर नोएडा के जिम्स अस्पताल के बाहर ऑक्सीजन और बेड के अभाव में कार में दम तोड़ने वाली महिला की मौत के बाद प्रदेश की  स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल गई है। महिला की मौत के बाद जो हुआ वो उससे भी भयावह था। करीब साढ़े तीन घन्टे तक महिला का शव कार में पड़ा रहा। इसके बाद सरकारी एम्बुलेंस मौके पर पहुंची और शव को सेक्टर 94 ले गई।
मिली जानकारी के मुताबिक  जागृति गुप्ता ग्रेटर नोएडा के बीटा-2 में रहती थी। वह वैष्णवी इंजीनियरिंग में काम करती थी। पिछले कुछ दिनों से जागृति की हालत ठीक नहीं थी। कल सुबह उसे सांस लेने में परेशानी होने लगी। उसका ऑक्सीजन लेवल कम हो गया। नोएडा के सभी अस्पतालों के चक्कर काटे उसकी साथी और किराएदार ने उसे अस्पताल में भर्ती कराने का प्रयास किया। वे उसे लेकर नोएडा के सभी अस्पतालों के चक्कर लगाते रहे। लेकिन किसी हॉस्पिटल  ने भर्ती नहीं किया। न ही किसी डॉक्टर ने उसे देखने की जेहमत उठाई। थकहार कर वे जागृति को लेकर दोपहर करीब 12:30 बजे ग्रेटर नोएडा के जिम्स अस्पताल पहुंचे। जागृति की साथी बार-बार जिम्स के डॉक्टरों से मिन्नतें करती रही कि एक बार चल कर उसे देख लें। क्योंकि उसकी हालत तेजी से बिगड़ रही थी। लेकिन डॉक्टर नहीं माने। उलटे ग्रेटर नोएडा के सबसे बड़े कोविड अस्पताल ने पीड़ित को किसी दूसरे हॉस्पिटल ले जाने के लिए कहा। 
डॉक्टरों के पैर भी पकड़े, लेकिन नहीं पसीजा दिल

जागृति के साथी करीब तीन घंटे तक डॉक्टरों के पैर पड़ते रहे। उधर बीमार जागृति बमुश्किल सांस ले पा रही थी। मगर लंबे इंतजार के बाद वह इस खोखले सिस्टम का शिकार हो गई। कार में तड़पते हुए उसकी जान चली गई। बदहवाश जागृति की साथी ने डॉक्टरों से बताया कि उसकी हालत बेहद नाजुक है। उसकी सांस भी थम गई है। तब डॉक्टर बाहर आए। जांच करने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। मगर उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई। 
मृतक का शव पड़ा रहा कार में
जिम्स के बाहर सड़क पर खुली कार में एक कोविड मृतक का शव घंटों तक पड़ा रहा। किसो को इसकी फिक्र नहीं थी। घटना के चश्मदीद रहे सचिन कहते हैं कि वह जिम्स अपने एक मरीज को भर्ती कराने के लिए गए थे। जागृति की बिगड़ती हालत को देखते हुए वह भी बार-बार डॉक्टर से उसका इलाज करने की गुहार लगा रहे थे। लेकिन किसी ने उनकी फरियाद नहीं सुनी। डॉक्टरों ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि बेड नहीं है। नाराज सचिन की डॉक्टरों के साथ बहस भी हुई। डॉक्टरों ने बताया कि तब तक 13 लोग डिस्चार्ज हुए थे। लेकिन उनकी जगह भर गई है। मगर डॉक्टर इतने नाराज हुए कि उन्होंने सचिन के मरीज को भी भर्ती कर इलाज करने से इंकार कर दिया। उन्हें अपने मरीज को दूसरे अस्पताल ले जाना पड़ा।

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