नई दिल्ली।दिल्ली में अस्पतालों के हालात इतने खराब हैं कि रविवार को मंडोली निवासी रामनिवास को सांस में दिक्कत होने पर कहीं बेड नहीं मिला। कोरोना पॉजिटीव रामनिवास को गाड़ी में लेकर उनका बेटा एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल चक्कर काटता रहा। सभी जगह बताया गया कि बेड खाली नहीं है। इस बीच वह अपने हर रिश्तेदार व परिचित से फोन पर आईसीयू बेड की व्यवस्था करने के लिए गुहार लगाता रहा।
दोपहर डेढ़ बजे पिता को घर से लेकर निकले बेटे को रात आठ बजे तक किसी अस्पताल में बेड नहीं मिला। उसने राजधानी के छोटे नर्सिंग होम से लेकर बड़े व निजी अस्पतालों तक से संपर्क किया। छोटे नर्सिंग होम वालो ने कोरोना का इलाज ना होने का हवाला दिया तो वहीं बड़ी अस्पतालों में आईसीयू बेड ना होने की बात कही गई। बेटा यहीं नहीं रुका वह पिता को लेकर मोहनगर व गाजियाबाद के अस्पतालाें में भी गया। लेकिन आखिर उसकी हिम्मत टूट गई। फिर अचानक एक दूर के रिश्तेदार ने मेरठ में एक निजी अस्पताल में एक ही आईसीयू बेड खाली होने व उसे रिजर्व कराने का आश्वासन दिया। लेकिन साथ ही कहा कि वह एक घंटे के भीतर मरीज को लेकर पहुंचे अन्यथा यह बेड भी भर जाएगा।
बेटा पिता को लेकर रात पौने दस बजे उत्तर प्रदेश के मेरठ पहुंचा और वहां हरिद्धार रोड पर स्थित निजी अस्पताल में पिता को भर्ती करा। तुरंत आक्सीजन लगवाया। तब तक बुजुर्ग का ऑक्सीजन लेवल 52 तक आ गया था। मुश्किल यह रही कि इस युवक की परेशानी यहीं खत्म नहीं हुई। पिता को तो जैसे-तैसे उत्तर-प्रदेश में भर्ती करा दिया लेकिन घर पर तेज बुखार में पड़े भाई के लिए चिकितस सुविधा व्यवस्था करना भी तकलीफभरा रहा। कोई स्थानीय डॉक्टर पिता के पाॅजिटीव होने के कारण भाई को देखने को तैयार नहीं था। ऐसे में इस युवक ने सोमवार सुबह भाई को भी मेरठ के उसी निजी अस्पताल में सामान्य वार्ड में भर्ती करा उसका कोरोना टेस्ट कराया।


No comments:

Post a Comment

Popular Posts