वर्ष 2020.21 में जनपद में ई. संजीवनी एप से हुईं 38220 ओपीडी दूसरे नंबर पर रायबरेली जनपद में 37969 ऑनलाइन ओपीडी हुईं
मेरठ। कोविड के चलते जहां बच्चों की कक्षाएं ऑनलाइन हुईं, तमाम दफ्तरों में ऑनलाइन वर्क फ्रॉम होम काम हुए वहीं सरकार ने लोगों को घर बैठे चिकित्सकीय परामर्श उपलब्ध कराने के लिए ई.संजीवनी एप के जरिए ओपीडी सेवाएं शुरू कीं, ताकि लोगों को चिकित्सालय तक न जाना पड़े और संक्रमण से बचाव में मदद मिल सके। वर्ष 2020.21 में पूरे सूबे में ई.संजीवनी ओपीडी का डेटा शासन से जारी किया गया है, इस डेटा के मुताबिक सबसे ज्यादा टेलीमेडिसिन ओपीडी मेरठ जनपद में हुईं। कुल 38, 220 लोगों ने सरकार की ओर से शुरू की गई इस सेवा का लाभ उठाया। दूसरे नंबर पर रायबरेली जनपद में सबसे ज्यादा 37,969 ऑनलाइन ओपीडी हुईं। सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने इस उपलब्धि के लिए टीम को बधाई दी है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अखिलेश मोहन ने बताया कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एसीएमओ डा. पूजा शर्मा के निर्देशन में ई संजीवनी टेलीमेडिसिन ओपीडी के मामले में मेरठ जनपद पूरे सूबे में पहले स्थान पर रहा है। कोरोना काल में मरीजों को घर बैठे चिकित्सकीय परामर्श उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र सरकार की ओर से इस सुविधा का शुभारंभ किया गया था। 31 मार्च, 2021 तक ई. संजीवनी टेलीमेडिसिन ओपीडी में मेरठ जनपद में कुल 38220 टेलीमेडिसन ओपीडी हुईं। दूसरे स्थान पर रायबरेली जनपद रहा, जहां 37969 टेली मेडिसन ओपीडी की गईं। तीसरे स्थान पर जालौन में 37584 टेलीमेडिसन ओपीडी की गईं। मेरठ मंडल में बुलंदशहर जनपद टॅाप. 10 की अपनी जगह बना पाया, जहां 23202 टेलीमेडिसन ओपीडी की गईं। प्रदेश में सबसे ज्यादा खराब स्थिति सीतापुर की रही। जहां मात्र 655 ई संजीवनी ओपीडी हुईं। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के द्वारा कोविड.19 के चलते चिकित्सीय सुविधाएं घर पर ही उपलब्ध कराने के लिए वित्तीय वर्ष के शुरू में ही ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन ओपीडी की शुरुआत की गई थी, जनपद मेरठ में कोविड के बचाव के साथ.साथ जन सामान्य को घर पर ही चिकित्सा उपलब्ध करवाने में सामुदायिक चिकित्सा अधिकारी सीएचओ, एमएचसीपी स्टाफ नर्स एवं स्टाफ नर्स के द्वारा जन समुदाय को घर पर ही चिकित्सीय परामर्श उपलब्ध कराते हुए अन्य जनपदों से बेहतर कार्य किया है। इस कार्य में डीसीपीएम, डीपीएम, डीयूएचसी, बीसीपीएम, बीपीएम, सीसीपीएम व एसीपीए का पूरा सहयोग रहा है। बड़े काम की है ई.संजीवनी ओपीडी :- अशोक त्यागी माछरा गांव निवासी 70 वर्षीय अशोक त्यागी ने बताया कि कोविड के चलते अस्पतालों में जाने से डर लगता है, पता नहीं कब संक्रमित के संपर्क में आ जाएं, ऐसे में छोटी.मोटी तकलीफ होने पर ई.संजीवनी ओपीडी बड़े काम की है। अशोक त्यागी ने बताया कि उन्हें मधुमेह की शिकायत होने के चलते अतिरिक्त सावधानी की जरूरत है, पेट खराब हो गया, अस्पताल जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी तब दिल्ली में रह रहे बेटे ने ई.संजीवनी ओपीडी के बारे में बताया और उसके बताए अनुसार ऐसे में घर बैठे चिकित्सक से बात करके दवाई मंगा ली और आराम भी हो गया। सरूरपुर निवासी ओमवती ने बताया कि उन्हें छोटी.मोटी परेशानी के लिए अक्सर स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता था लेकिन अब कोई छोटी मोटी शिकायत होने पर बेटी अपने मोबाइल से ही चिकित्सक से बात कराकर दवा दिला देती है।
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