मेरठ। दुंनियाभर में मोटापे की बढ़ती हुई दर को देखते हुए प्रत्येक वर्ष डब्लयूएचओ द्वारा चार मार्च को विश्व ओबिएटी डे मनाया जाता है। जिसका मकसद माटापे से होने वाली बीमारियों को समय से लोगों को जागरूक करते हुए बचाया जा सके। बच्चों में यह बीमारी ज्यादा बढ रही है। उक्त बाते न्यूटीमा हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ डा अमित उपाध्याय ने कही है। उन्होने बताया देश में यह समस्या विशालकाय रूप ले चुकी है। सामाजिक तौर परन्ी कुपोषण का अर्थ उन बच्चों से निकाला जाता है जो खाने के लिये भरपेट भोजन न प्राप्त होने के कारण सूखा रोग से ग्रसीत हो जाते थे आज देश में ऐसे कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ रही है जो मोटापे से ग्रसित हो रहे है। यूनिसेफ द्वारा2019 में जारी रिपोर्ट द स्टेट ऑफ वर्ल्ड चिल्ड्रन 2019 के अनुसार विश्व में प्रति 5 वर्ष से कम उम्र का बच्चा कुपोषण शिकार है। देश में आईसीएमआर 2019 द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि बच्चों में मोटापे की समस्या प्रतिवर्ष 4ण्98 प्रतिशत की दर से बढ रही है। जो कि वास्तव में चिंताजनक है। मोटापा देश की महामारी के तौर विस्तृत हो रहा है। जिसका प्रारभ बचपन से हो जाता है। देश में मोटापे का प्रचलन लगभग 13.64 प्रतिशत है। वर्तमान में 1.4 करोड बच्चें मोटापे से ग्रसित है। जिसमें 5.2 प्रतिशत लडके 4.5 लडकियों की संख्या है। उन्होने बताया मोटापे के रोग को जल्द पहचानना इसलिए आवश्यक है। क्योकिं व्यस्क होने के बाद होने वाली बीमारियों जैंसे हाइपरेटेंशन, थायराईड,डायबटीज टाईप 2 कैंसर,सांस लेने में दिक्कत, जिगर की बीमारियों मानसिक बीमारी जैसे डिप्रेशन,पीसीआडी आदि का संबध अधिकांश मोटापे से होता है। उन्होने बताया इसका कारण बच्चो में कम होती खेल गतिविधि की प्रव़त्तिया, टीवी एवं मोबाईल की तरफ अधिक रूझान ,घर के खाने से इतर बाहर का तला भूना ,आधुनिक डिब्बा बंद खाना जैसे पिज्जा,कोल्डड्रिक्स ,चॉकलेट आदि मौटापे की जड है । इसके अतिरिक्त माता पिता द्वारा बच्चों को समय पर खाना न देना भी एक मोटापे का कारण है। बच्चों पर पढाई का बोझ भी एक मोटापे का कारण है। जो बच्चे चार घंटे से ज्यादा टीवी देाते है वे आम बच्चों से 21.5 प्रतिशत ज्यादा वजन के होते है। तथा एक घंटा से अधिक कम्पयूटर चलाने वाले बाले बच्चे 4.5 प्रतिशत अधिक वजन के होते है। ऐसे पहचाने अगर बच्चा मोटापे की बीमारी से ग्रसित हो रहा है इसकी पहचान माता पिता बच्चे के अंदर बढते आलस्य एवं बच्चे का वजन द्वारा पहचान सकते है। ज्यादा मोटापा होने से गर्दन पर काले रंग का निशान भी पड सकते है। जिन्हे चिकित्सीय भाषा में एकनथोसिस निगरीकेप कहते है। यह संकेत कि बच्चे के शरीर में अब इंसुलिन के काम करने की क्षमता क्षीण हो रही है। ऐसे रोका जा सकता है मोटापे से इस बीमारी की रोकथाम में माता पिता कीअहम भूमिका है। बच्चें के साथ ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत करे। उन्हें ज्यादा टीवी न देखने दे मोबाइल से उन्हें दुर रखें। बच्चों को दिन में एक घंटा ज्यादा खेलने के लिये प्रेरित करे।
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