दमोह । हटा के कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड के आरोपित पथरिया से बसपा विधायक रामबाई परिहार के पति गोविंद सिंह की गिरफ्तारी न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार और डीजीपी को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को साफ कहा, यदि आप आरोपित को गिरफ्तार नहीं कर पा रहे हैं तो हमें कोई दूसरी एजेंसी तलाशनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने अगली पेशी पांच अप्रैल देते हुए डीजीपी को कहा वह तय तारीख तक आरोपित को गिरफ्तार कर शपथपत्र पेश करें।
सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद एमपी सरकार, पुलिस की बढ़ी मुश्किलें 
सुप्रीम कोर्ट की इस तल्ख टिप्पणी के बाद अब प्रदेश सरकार के साथ पुलिस विभाग की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस हत्याकांड की सुनवाई हटा न्यायालय में भी चल रही है। पुलिस ने पहले आरोपित गोविंद सिंह का नाम एफआइआर से हटा दिया था, लेकिन हटा कोर्ट ने नाम जोड़कर उसे कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। उस समय से आरोपित फरार है। इसी मामले में मृतक के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली।
शीर्ष कोर्ट ने डीजीपी को 26 मार्च तक आरोपित को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था
शीर्ष कोर्ट ने प्रदेश सरकार और डीजीपी को 26 मार्च तक आरोपित को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। दमोह पुलिस ने आरोपित की गिरफ्तारी के लिए दस टीमों का गठन किया है और एसटीएफ की कई टीमें भी तलाश रही हैं। पुलिस के समझाने पर आरोपित की विधायक पत्नी रामबाई ने भी मीडिया के माध्यम से पति से पुलिस या न्यायालय में सरेंडर करने की अपील की है।

ये है सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी  
पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता मनीष नगाइच ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए प्रदेश के प्रयासों को नाकाफी बताया है। उन्होंने आरोपित गोविंद सिंह की गिरफ्तारी न होने नाराजगी जताते हुए कहा, अगर गिरफ्तारी आपके बस की बात नहीं तो हमें दूसरी एजेंसी तलाशनी पड़ेगी। हर हाल में पांच अप्रैल तक आरोपित गोविंद सिंह को गिरफ्तार कर सरकार व डीजीपी अपना शपथपत्र दाखिल करें। वहीं हटा एसडीओपी भावना दांगी ने हटा न्यायाधीश पर कोर्ट में खड़ा रखकर प्रताड़ित करने समेत अन्य आरोप लगाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच उच्च न्यायालय के सुपरविजन में कराने को कहा है।


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