- यदि राष्ट्र को समझना है तो उसकी संस्कृति को समझना होगा

- संस्कृति का अनुवाद कल्चर ठीक नहीं है


मेरठ। शिक्षा में भारतीयता न होने कारण हम भारत को समझ नहीं पाते हैं, क्योंकि हम भारत को अंग्रेजी में समझने की कोशिश करते हैं। यदि किसी राष्ट्र को समझना है तो उसकी संस्कृति को समझना होगा। संस्कृति का अनुवाद कल्चर ठीक नहीं है। कल्चर को संस्कृति नहीं कहा जा सकता है। संस्कार से ही संस्कृति उत्पन्न होती है। यह बात पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ, राजनीति विज्ञान विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा आयोजित गोष्ठी में संस्कृत भारती के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री और कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्रीश देवपुजारी ने कही।

मानव दर्शन सबके लिए समान था

पंडित दीनदयाल के विषय में बताते हुए श्रीश देवपुजारी ने कहा कि पंडित दीनदयाल जी ने भारतीय परंपरा को आगे बढाने का काम किया। उन्होंने समाज को बहुत बारीकी से निरीक्षण किया था। समाज में दो प्रकार के लोग होते हैं। एक चिंतक और दूसरे संगठक, पंडित दीनदयाल जी संगठक थे। उनके जीवन से हम प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं। उनका एकात्म मानव दर्शन सबके लिए समान था।
पर्यावरण की समस्या विज्ञान की देन है
श्रीश देवपुजारी जी ने कहा कि पर्यावरण की समस्या विज्ञान की देन है। हमने संसाधनों के चक्कर में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया। यदि पर्यावरण को सुरक्षित रखना है तो सीमित संसाधनों का प्रयोग करना चाहिए। हम यह ठान लें कि अपने संस्कारों को नहीं छोडेंगे।
अपने कार्याें के द्वारा एक्टिविस्ट थे
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो0 नरेंद्र कुमार तनेजा जी ने कहा कि बुद्धिवाद के हम सब लोग अनुज्ञापी हैं। पंडित दीनदयाल जी अपने कार्यो के द्वारा एक्टिविस्ट थे। उन्होंने पश्चिम संस्कृति को विकल्प के रूप में मानते हुए कल्याण व्यवस्था का प्रतिपादन किया। पश्चिमी की संस्कृति व्यक्तिवादी है। पंडित दीनदयाल जी ने व्यक्तिवाद को धकेला नहीं बल्कि कहा कि परिवार, समाज, राष्ट्र, सृष्टि के एकात्म होना चाहिए। माननीय कुलपति जी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जितनी भी योजनाएं चलाई जा रही हैं चाहे फिर वह जनधन योजना हो, स्किल डेवलपमेंट, मेक इन इंडिया, सब अंत्योदय पर आधारित हैं।
मिलकर चलेंगे तो समाज का भला होगा
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति और कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो0 वाई विमला ने कहा कि पंडित दीनदयाल जी एकात्म मानव दर्शन पर विश्वास रखते थे। पूरे समाज में सब मिलकर चलेंगे तो समाज का भला होगा। प्यार से रहेंगे तो समाज का उत्थान होगा।
इस अवसर पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ, राजनीति विज्ञान विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के तत्वाधान में एक नवीन वैज्ञानिक शोध पत्रिका एकात्ममानव दर्शन त्रिमासिकी के प्रवेश अंक का विमोचन भी माननीय कुलपति महोदय के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ। यह त्रिमासिक शोध पत्रिका तीन भाषाओं और ऑनलाइन रूप में प्रकाशित होती है। इसका मूलहेतू एकात्ममानव दर्शन  के उपागम द्वारा ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में होने वाले शोध एवं लेखन के प्रकाशन का माध्यम प्रदान करना है।
दीनदयाल शोधपीठ के डायरेक्टर और राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 पवन शर्मा ने सभी स्वागत किया तथा कार्यक्रम की रूपरेखा रखी। प्रो0 राजेंद्र पांडे ने सभी का धन्यावाद ज्ञापित किया।
इस दौरान कुलानुशासक प्रो0 बीरपाल सिंह , प्रो0 एके चैबे, प्रो0 दिनेश कुमार, प्रो0 नवीन चंद्र लोहानी, प्रो0 नीलू जैन गुप्ता, प्रो0 बिन्दु शर्मा, प्रो0 स्नेहलता जायसवाल, प्रो0 अनिल मलिक, प्रो0 अनुज कुमार, प्रो0 शैलेंद्र शर्मा, डाॅ0 विवेक त्यागी, प्रेस प्रवक्ता मितेंद्र कुमार गुप्ता, डा0 धमेंद्र कुमार, डा0 नरेंद्र पांडे, डाॅ0 रवि कुमार, डाॅ0 भूपेंद्र कुमार, डा0 देवेंद्र उज्जवल, संतोष त्यागी, भानु प्रताप, आदि मौजूद रहे।

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