बीएलके हॉस्पिटल ने शहर के लोगों को अपनी विशेष परामर्श और चिकित्सा सेवाएं देने के लिए न्यूटेमा हॉस्पिटल के साथ भागीदारी की
— पहले दिन ही टीम ने फैटी और नॉन—फैटी लीवर बीमारियों, डायबिटीज, मेटाबॉलिक डिसआॅर्डर तथा शराब व्यसनी करीब 75मरीजों को परामर्श दिया
— यह ओपीडी लीवर रोग तथा लीवर प्रत्यारोपण के लिए सीधे संपर्क करने वाले मरीजों को डॉ. अभिदीप चौधरी और उनकी टीम द्वारा विशेष परामर्श दिए जाने पर केंद्रित होगा


मेरठ, 20 फरवरी, 2021: भारतीय युवाओं में पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण और खराब लाइफस्टाइल अपनाने की होड़ के कारण लीवर संबंधी बीमारियों के मामले भी बढ़ रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए बीएलके सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल, नई दिल्ली ने मेरठ और आसपास के क्षेत्र के लोगों कों विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए एक और मरीज—केंदित कदम उठाया है और न्यूटेमा हॉस्पिटल, मेरठ में आज अपनी विशेष लीवर ट्रांसप्लांट ओपीडी सेवा शुरू की।
मेरठ में लीवर ट्रांसप्लांट के लिए विशेष ओपीडी की जरूरत पर जोर देते हुए बीएलके सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल में एचपीबी सर्जरी और लीवर ट्रांसप्लांटेशन के वरिष्ठ निदेशक और विभागाध्यक्ष डॉ. अभिदीप चौधरी ने कहा, 'देश में लीवर संबंधी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं जो मुख्य रूप से खराब लाइफस्टाइल से जुड़े होते हैं। हालांकि ऐसे 90 फीसदी मरीजों की डायग्नोसिस में देर हो जाती है। इस तरह के स्पेशियल्टी ओपीडी खुलने से टीयर 2 और टीयर 3 शहरों के मरीजों को विशेषज्ञों का सही समय पर परामर्श पाने में मदद मिलेगी। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि पहले दिन ही आज यहां ओपीडी में इतने सारे मरीज आए हैं। हमने देखा कि लीवर संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीज लगभग क्षेत्र और आयुवर्ग के थे और उनमें  खासकर डायबिटीज, मेटाबॉलिक डिसआॅर्डर तथा शराब व्यसनी मरीज भी थे।'
बीएलके सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल ने हाल ही में महामारी के बीच भी डॉ. अभिदीप चौधरी के कुशल मार्गदर्शन में 100 से अधिक लीवर प्रत्यारोपित करने का रिकॉर्ड बना लिया है।
एचपीबी सर्जरी और लीवर ट्रांसप्लांट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. गौरव सूद ने कहा, 'हाल के वर्षों में गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिकल बीमारियों संबंधी मामले बढ़े हैं जिसका कारण अस्वास्थ्यकर और निष्क्रिय लाइफस्टाइल ही रहा है। हालांकि ऐसी समस्याओं की शुरुआती डायग्नोसिस और रोग पहचान को लेकर बहुत हद तक सुधार आया है और इसे भी सटीक इलाज का एक मुख्य कारण माना गया है। लेकिन दुर्भाग्यवश ज्यादातर मरीज बीमारी के आखिरी चरण में ही चिकित्सा सहायता लेते हैं, जब उनकी स्थिति गंभीर स्तर पर पहुंच जाती है। लोगों से हम यही अपील करते हैं कि अगर वे स्वस्थ रहना चाहते हैं तो बीमारियों के लक्षण उभरने तक इंतजार न करें क्योंकि इस तरीके से आप खुद को खतरनाक स्थिति में पहुंचा सकते हैं।'
विश्व स्वास्थ्य संगठन के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, लीवर संबंधी बीमारियां दूसरी ऐसी गंभीर बीमारी है, जो भारत में मृत्यु दर बढ़ाने का कारण बन रही है। ग्लोबेकैन इंडिया 2018 के आंकड़े बताते हैं कि भारत में कैंसर के होने वाले मामलों में लीवर कैंसर के मामले 12वें स्थान पर हैं और इस कारण लीवर कैंसर के अब तक लगभग 30000 मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
डॉ. चौधरी ने बताया, 'शुरुआती रोग पहचान लीवर फाइब्रोसिस को सुचारु करने का मूलमंत्र है क्योंकि इससे अल्कोहल के सेवन और वजन घटने जैसे घाटक कारकों पर या तो अंकुश लग सकता है या इन्हें खत्म किया जा सकता है। आजकल कम उम्र में ही मरीज इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं, यह खतरे की घंटी है। भारत में अल्कोहलिक लीवर रोग पीड़ितों की औसत आयु कम होती जा रही है। आम तौर पर यह बीमारी 30 से 40 साल की उम्र के लोगों में होती है, जब लोग अल्कोहल का सेवन करने लग जाते हैं लेकिन अब 16 साल की उम्र में ही शराब पीने लगते हैं जो इस बीमारी के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण हो सकता है। लोग यदि इस तरह की आदतों वाला लाइफस्टाइल अपनाते हैं तो उन्हें सतर्क हो जाना चाहिए क्योंकि इसमें उनका लीवर खराब होने लगता है। उन्हें नियमित रूप से जांच कराते रहना चाहिए।'

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