शहीद धनसिंह कोतवाल शोध संस्थान मेरठ द्वारा लौह पुरुष भारत.रत्न सरदार वल्लभभाई पटेल का व्यक्तित्व  कृतित्व एवं विचारों में राष्ट्र.चिंतन विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी



मेरठ। भारत रत्न लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 144 वी जयंती 31 अक्टूबर की पूर्व संध्या पर1857 के क्रान्तिनायक अमर शहीद धनसिंह कोतवाल शोध संस्थान मेरठ द्वारा लौह पुरुष भारत-रत्न सरदार वल्लभभाई पटेल का व्यक्तित्व, कृतित्व एवं विचारों में राष्ट्र.चिंतन विषय पर राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।

संगोष्ठी में मुख्य वक्ता पूर्व प्रोफेसर डा के. डी. शर्मा ने सरदार वल्लभ भाई पटेल के जीवन के के विभिन्न संस्मरण और घटनाओं को बताते हुए कहा कि नए इतिहास में इन तथ्यों को सम्मिलित कर नई पीढ़ी को सरदार वल्लभ भाई पटेल के इतिहास से अवगत कराया जाना समय की आवश्यकता है। राज्य सभा सासंद विजयपाल सिंह तोमर ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल के लोह व्यक्तित्व का ही परिणाम था कि भारत आज हमें अखंड रूप में दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि 563 रियासतों का एकीकरण कर भारत को अखंड बनाने के महान कार्य को यह देश कभी भुला नहीं पाएगा ।
मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री भारत सरकार संतोष गंगवार ने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के हीरो हैं। जिनके प्रति विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी विशालकाय और विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित कराई है । उन्होंने कहा कि यदि सरदार पटेल भारत के पहले प्रधानमंत्री होते तो भारत का सम्मान विश्व में कुछ और ही होता, तब भारत के सामने मुंह बाए खड़ी कई समस्याएं भी आज दिखाई नहीं देती।
अति विशिष्ट अतिथि  रामबीर सिंह विधूडी नेता प्रतिपक्ष दिल्ली विधानसभा रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि यदि सरदार पटेल को प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करने का अवसर प्राप्त होता तो देश का नक्शा भी आज दूसरा ही होता। उन्होंने कहा कि तब भारत वर्तमान स्वरूप में न दीख कर हमें किसी और स्वरूप में दिखाई देता। लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें देश का पहला प्रधानमंत्री एक षड्यंत्र के अंतर्गत नहीं बनने दिया गया ।
डा लक्ष्मी कान्त वाजपेयी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भाजपा ने कहा कि नेहरू ने अपनी सत्ता स्वार्थ की पूर्ति के लिए प्रधानमंत्री बनने से रोका। जिसका परिणाम यह हुआ कि देश कमजोर हाथों में चला गया ।यदि मजबूत नेतृत्व भारत को पहले दिन से मिला होता तो भारत सुपर पावर कब का बन गया होता ।
नवाब सिंह नागर पूर्व मंत्री ने कहा कि सरदार पटेल किसानों के नेता थे और उन्होंने अपने समय में किसानों के लिए भी संघर्ष कर ब्रिटिश हुकूमत से उन्हें उनके अधिकार दिलाए थे।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे धन सिंह कोतवाल शोध संस्थान के चेयरमैन तस्वीर सिंह चपराना ने कहा कि देश को आजादी क्रांतिकारियों और उन नेताओं के कारण मिली जिन्होंने मजबूती के साथ विदेशी शासन सत्ता का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि ऐसे इतिहास नायक का सम्मान करना हम सबका फर्ज है। जबकि राष्ट्रीय प्रेस महासंघ के अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि सरदार पटेल को 1936 में कांग्रेस का अध्यक्ष बनने से भी रोका गया था ।उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने 1921 के कांग्रेस के अधिवेशन में कांग्रेस के बड़े नेताओं से शपथ पत्र ले लिए थे कि अंतिम निर्णय उनका अपना होगाए जिसे कोई काट नहीं सकेगा। उसी के कारण गांधीजी ने बाद में सरदार पटेल को देश का प्रधानमंत्री बनने से भी रोक दिया था ।
वेबीनार में चौण् जगत सिंह पूर्व विधायकए श्री राजेन्द्र शर्मा पूर्व विधायकए श्री सुधीर अग्रवाल वरिष्ठ अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट तथा गांधी नोबल शांति पुरस्कार विजेता डाण् सतीश शास्त्रीए डाण् अरूण पाटिल. महाराष्ट्रए डाण् कुलदीप. राजस्थानए चौण् मुमताज अहमद बैजार्ड. जम्मू.कश्मीरए जयदेव गुर्जर. हरियाणाण् डाण् मोमराज. अमरोहाए श्रीमति सिम्मी भाटी सहित कई वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए और इस बात पर बल दिया कि सरदार पटेल के व्यक्तित्व और कृतित्व को इतिहास में सही स्थान दिया जाए। सभा का समापन शोध संस्थान की ओर से कैप्टन सुभाष चंद्र ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए किया।कार्यक्रम में प्रधान भोपाल सिंह गुर्जर, ई सुरेन्द्र वर्मा, प्रोफेसर डा राकेश राणा, प्रोफेसर डा बिजेन्द्र सिंह, प्रधानाचार्य संजीव कुमार नागर, प्रोफेसर डा. नवीन गुप्ता, डा. यतेन्द्र कटारिया, डा. कुलदीप सिंह आदि ने कार्यक्रम में उपस्थित रहे। 

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