नई दिल्ली ।दिल्ली समेत उत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों में वायु प्रदूषण की निगरानी अब 20 से ज्यादा सदस्यीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग करेगा। इसमें दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से भी सदस्य होंगे। आयोग का काम वायु गुणवत्ता की सतत निगरानी के साथ इसे कम करने के उपायों के लिए काम करना है।
आयोग द्वारा बनाए गए नियमों में बदलाव करने का अधिकार केवल संसद के पास होगा। इतना ही नहीं आयोग के आदेशों को सिर्फ राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में ही चुनौती दी जा सकेगी।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, इस आयोग का गठन महत्वपूर्ण कदम है। आयोग के पास प्रदूषण से निपटने के लिए विभिन्न कदम उठाने की पूरी ताकत है। इससे राजधानी सहित आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी।
दरअसल, दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए यह कदम उठाया गया है। वैसे केंद्र सरकार पिछले तीन सालों से युद्धस्तर पर काम रही है। इसके बावजूद वायु प्रदूषण की समस्या दिन पर दिन जिस तरह से सिर उठा रही है। उससे निपटने के लिए पर्यावरण मंत्रालय ने आयोग का गठन किया जो कि वायु प्रदूषण को लेकर सख्ती के साथ काम करेगा।
16 अक्तूबर को सुप्रीमकोर्ट ने बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता जताते हुए सेवानिवृत्त न्यायाधीश मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में एक सदस्यीय कमेटी के गठन का आदेश दिया था। कमेटी को वायु प्रदूषण को लेकर तमाम कवायद करने के अलावा पराली जलने से रोकने के लिए पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों की निगरानी करनी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और बाकी तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ-साथ पर्यावरण प्रदूषण (संरक्षण और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) को जस्टिस लोकुर की सहायता करने के लिए भी कहा था।
संसद को सौंपेगा सालाना रिपोर्ट, शिकायत कोर्ट में
आयोग अपनी सालाना रिपोर्ट संसद को सौंपेगा। राज्यों की एजेंसी और आयोग की तरफ से जारी निर्देशों में टकराव की स्थिति में आयोग का ही आदेश मान्य होगा। प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ आयोग शिकायत करेगा और शिकायत कोर्ट में होगी। इसी शिकायत के आधार पर कार्रवाई होगी। आयोग के आदेश के अलावा कोई अन्य निकाय या प्राधिकरण आदेश पारित नहीं करेगा। 
पूर्णकालिक सचिव भी बनाया जाएगा
आयोग से तालमेल बनाए रखने के लिए पूर्णकालिक सचिव होगा, जो आयोग का चीफ कोऑर्डिनेटिंग ऑफिसर भी होगा। इनके अलावा आयोग सड़क एवं परिवहन, बिजली, आवास एवं शहरी मामले, पेट्रोलियम, कृषि, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालयों से एक-एक प्रतिनिधि को सहायक सदस्य नियुक्त कर सकता है।
तीन उप समितियां भी होंगी
आयोग में तीन उप समितियां भी होंगी, जो निगरानी व पहचान, सुरक्षा व प्रवर्तन और अनुसंधान एवं विकास से संबंधित होंगी। आयोग को प्रदूषण के संकट को खत्म करने के लिए इसके द्वारा निर्धारित निर्देशों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई के अधिकार दिए गए हैं।


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