मेरठ
।  एमआईईटी बिजऩेस स्कूल में पांच दिवसीय ई-फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का शुभारंभ किया गया। जिसका विषय 21वीं सदी में प्रबंधन शिक्षा की नई पद्धती रहा। 
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ एस के तुतेज, मेरठ मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष गौरव जैन, एमआईईटी के वाइस चेयरमैन पुनीत अग्रवाल, डायरेक्टर डॉ मयंक गर्ग, डीन एकेडमिक डॉ डीके शर्मा, डीन मैनेजमेंट स्टडी डॉ देवेंद्र कुमार अरोड़ा ने किया।
इस दौरान मुख्य वक्ता मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स भारत सरकार के सलाहकार संतोष पाराशर, डिप्टी जनरल मैनेजर बीएचईएल के मनीष सचान और ओमान यूनिवर्सिटी से डॉ रीना तिवारी नंदी ने प्रबंधन के शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं को मैनेजमेंट के गुर सिखाए। ऑनलाइन फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में देश भर से 200 से अधिक प्रबंधन के शिक्षक गणों ने ने भाग लिया।
इस दौरान संतोष पराशर ने कहा की क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल या आभासी मुद्रा है। जिसमें सुरक्षा के लिये क्रिप्टोग्राफी तकनीक उपयोग में लाई जाती है। इसकी सुरक्षा वैशिष्ट्य के कारण इसका जाली रूप बनाना मुश्किल है। क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन संबंधी लागत अत्यंत ही कम है। घरेलू हो या अंतर्राष्ट्रीय किसी भी लेन-देन की लागत एक समान ही होती है। क्रिप्टोकरेंसी की सबसे बडी समस्या है इसका ऑनलाइन होना और यही कारण है कि क्रिप्टोकरेंसी को एक असुरक्षित मुद्रा माना जा रहा है। पर्यावरणीय चिंताएँ के लिए गौरतलब है कि प्रत्येक बिटकॉइन लेन-देन के लिये लगभग 237 किलोवाट बिजली की खपत होती है और इससे प्रतिघंटा लगभग 92 किलो कार्बन का उत्सर्जन होता है।


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