किसानों और छात्रों को मिलेगा तकनीकी कृषि का लाभ : धर्मेंद्र प्रधान
-- किसान सफलता के लिए कंपनी या समूह बनाकर बाजार में उतरे : जयंत चौधरी
-- किसानों को आधुनिक और डिजिटल माध्यम से तकनीक पहुंचा रही सरकार : शाही
मेरठ। । सरदार वल्लभभाई कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में कृषि तकनीकी नवाचार केंद्र का भव्य उद्घाटन हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान अति विशिष्ट अतिथि राज्य मंत्री, विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय जयंत चौधरी, विशिष्ट अतिथि कैबिनेट मंत्री कृषि विभाग सूर्य प्रताप शाही व निदेशक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रोपड़, प्रो राजीव आहूजा रहे। साथ ही आईआईटी रोपड़ की ओर से किसानों व युवाओं के स्टार्टअप के लिए प्रदर्शनी भी लगाई गई।
आईआईटी रोपड़ व सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संयुक्त सहयोग से एक ऐतिहासिक पहल के अंतर्गत कृषि तकनीकी नवाचार केंद्र की स्थापना हुई है। यह साझेदारी शिक्षा अनुसंधान और तकनीकी विकास के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक उदाहरण है। इस केंद्र का उद्देश्य पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों और छात्रों को आधुनिक डाटा संचालित और टिकाऊ कृषि तकनीक से जोड़ना है। यह हब अत्याधुनिक सेंसर, क्लाउड तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित प्रणाली से युक्त है, जो कृषि क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देगा। यह बातें कृषि विश्वविद्यालय के गांधी भवन में किसानों को संबोधित करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री भारत सरकार धर्मेंद्र प्रधान ने कहीं।
कहा कि किस को ज्यादा से ज्यादा आमदनी हो और अधिक उत्पादन कैसे करें इस पर अभी बहुत काम करना बाकी है। भारत की आत्मा और किसान का सम्मान खेतों में है। उत्तर प्रदेश कृषि के लिए बड़ा प्रदेश है। यहां गंगा यमुना और सरस्वती का संगम है और आलू व गन्ना की खेती के लिए प्रसिद्ध है। उत्तर प्रदेश शासन के द्वारा लखनऊ में सीड्स पार्क का नाम चौधरी चरण सिंह रखा जाएगा। आज हर जगह भारत का नाम रोशन हो रहा है। देश के प्रधानमंत्री के लिए देश के किसान और महिलाएं सम्मान का पात्र हैं। सरकार किसान की आय दोगुनी करने का संकल्प लिए हुए हैं। बताया कि हमारे वैज्ञानिकों ने शोध कर उपाय निकाला गन्ने,आलू,गेहूं और चावल व पराली से एथेनॉल बनाया जाएगा। 2014 में ढाई सौ करोड़ की एथेनॉल खरीदी जाती थी। अब 40 हजार करोड़ की खरीदी जाती है। जल्दी एक लाख करोड़ की एथेनॉल खरीदी जाएगी।
सरदार पटेल और चौधरी चरण सिंह को सही श्रद्धांजलि तभी होगी जब किसान की आय दोगुनी होगी। कहा कि हमारे किसान रसायन की खेती ज्यादा करते हैं जबकि आने वाले समय में बिना रासायनिक खाद व कीटनाशक की खेती करेंगे। आने वाले दिनों में एग्री स्टार्टअप बढ़ेगा, किसानों के लिए साधन बढ़ेंगे जिससे किसानों की प्रगति होगी। मौसम के बारे में बताया कि किसानों को मौसम और जलवायु की जानकारी मिलेगी यह प्रधानमंत्री मोदी का सपना है आधुनिक टेक्नोलॉजी आज किसानों को दी गई है पहले गांव में बैंड बाजा जाता था, अब डीजे जाता है। इसी तरह किसानों को जानकारी देने के लिए आधुनिक डीजे यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस किसानों के खेतों में जाएगा। स्किल डेवलपमेंट सेंटर भी कृषि विश्वविद्यालय में बनाया जाएगा। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने एक पेड़ मां के नाम अभियान शुरू किया है। जिसमें 9 जुलाई को 36 करोड़ पेड़ लगाए जाएंगे। कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों से एक-एक पेड़ लगाने की विनती की।
लॉन्च के अवसर पर केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने कृषि तकनीक-संचालित प्रगति के एक नए युग को अपनाने के लिए ग्रामीण युवाओं और किसानों को समान रूप से सशक्त बनाने में हब के महत्व पर विशेष जोर दिया और तकनीक के साथ परंपरा को जोड़ने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वास्तविक परिवर्तन तब शुरू होता है, जब नवाचार मिट्टी में जड़ें जमा लेता है। आईआईटी रोपड़ की गहन तकनीक विशेषज्ञता द्वारा समर्थित मेरठ में एग्रीटेक इनोवेशन हब, केवल एक प्रोजेक्ट नहीं है, यह हमारे किसानों को सटीक कृषि के अग्रदूतों के रूप में सशक्त बनाने का एक आंदोलन है। यह एक सुविधा से कहीं ज़्यादा एक सहयोगात्मक पारिस्थितिकी तंत्र है, जहाँ किसान, शोधकर्ता और स्टार्टअप भविष्य के लिए टिकाऊ और स्केलेबल कृषि-समाधान बनाने के लिए एक साथ आते हैं। आखिरकार, तकनीक तभी सही मायने में सार्थक होती है जब वह उस जमीन पर जड़ें जमाए रखती है। जिसका वह उत्थान करना चाहती है। आईआईटी रोपड़ अब किसानों के बीच जा रही है और इसी के लिए मेरठ आई है। कहा कि आज भारत का नौजवान मेहनत कर रहा है, बेटियां भी मेहनत कर रही हैं। उनके लिए लैब को खेतों में ले जाना है। मेरठ क्रांतिकारी धरती है, मेरठ के लोग भी क्रांतिकारी हैं। परंतु यहां फसल तैयार करने की बड़ी समस्या है। जैसे 238 गन्ना वैरायटी में बीमारी आ गई है। जिसके लिए किस को पेस्टिसाइड का इस्तेमाल करना पड़ा। अब फसल में आने वाली बीमारी के लिए जानकारी कैसे मिले, इसके लिए अब आसानी होगी। कहा कि किसान एक कंपनी या समूह बनाकर बाजार में आएं तभी किसान सफल हो पाएंगे। कहां की चौधरी चरण सिंह के पीछे किस चले थे क्योंकि यह एक विश्वास था सरकार के प्रयासों को देखते हुए काम करें और विश्वास करें।
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने आईआईटी रोपड़ और सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी के बीच साझेदारी की सराहना की और इसे खेती को आधुनिक बनाने, उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु लचीलापन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। आईआईटी रोपड़ और कृषि विवि के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया, जिसमें अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास और फिल्ड डिप्लॉयमेंट में संयुक्त प्रयासों की नींव रखी। किसानों को आर्टिफिशियल बुद्धिमता के माध्यम से जोड़ा जा रहा है। यह क्रांतिकारी किसानों के लिए बदलाव है। कृषि के लिए नए-नए आयाम स्थापित किया जा रहे हैं। किसानों के खेतों का डिजिटल के माध्यम से सर्वे किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा किसानों को अधिक सुविधा दी जा रही है। किसान अब यह घर बैठे पता कर सकेंगे कि कब बारिश होगी और जलवायु कैसी है। इसके लिए किसानों को आसानी से पता चल सकेगा। किसानों को आधुनिक और डिजिटल माध्यम से अधिक तकनीक पहुंचने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है।
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी में उत्तर प्रदेश कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है चौधरी चरण सिंह ने किसानों के लिए काम किया है। अगर पश्चिम का किसान अग्रणी है तो यह कृषि विश्वविद्यालय का योगदान है। कहां की आज जमाना बदल रहा है डिजिटल का दौर है और किसानों के सामने चुनौती है जिसे दूर करना है। कृषि की लागत को कम करके किसान कैसे आगे बढ़े और अधिक उत्पादन कैसे करें। यह सब कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक से ही संभव है। बताया कि कोरोना के समय में सभी व्यापारिक संस्थान दम तोड़ने के कगार पर थे। मगर कृषि ही एक ऐसा क्षेत्र था, जिस पर कोरोना का कोई प्रभाव नहीं पड़ा और लगातार देश की रीड को मजबूत करने का काम किया। इसीलिए हमारा देश कृषि प्रधान देश है। किसानों की आय दोगुनी करने का संकल्प हमारी सरकार ले चुकी है।
आईआईटी रोपड़ के निदेशक प्रोफेसर राजीव आहूजा ने अपने संबोधन में कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता को भारतीय कृषि के लिए गहन-तकनीकी समाधान देने वाले राष्ट्रीय मंचों के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस अवसर पर कृषि विवि के कुलपति प्रो केके सिंह ने किसान-केन्द्रित नवाचार और सामुदायिक भागीदारी के प्रति विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
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