कैंट में लोगों के दिन फिरने वाले है
मेरठ।प्रदेश के छावनी क्षेत्रो में जनता की कठिनाई को समाप्त करने की प्रक्रिया अब प्रारंभ हो गई है अगले कुछ माह में परिमाण भी प्राप्त होने की सम्भावना है।
छावनी क्षेत्र में भवन निर्माण उपविधि में पुराने सख्त प्रावधानों को संशोधित कर नई व जन सहयोगी भवन निर्माण उपविधि की प्रक्रिया चल रही है।
राज्यसभा सांसद डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेई ने बताया कि भवन निर्माण उपविधि, जिसपर 9 जुलाई, 2025 को मेरठ कैंटोमेंट बोर्ड ने अनौपचारिक विचार किया था। यदि इसको अंतिम रूप देकर लखनऊ, पीडी और जीओएनसी, सेंन्ट्रल कंमाड तक पहुँचकर सहमति प्राप्त हो जायेगी तो भारत सरकार की भी स्वीकृति मिल जायेगी। कैंट क्षेत्र में भवन निर्माण उपविधि में, जैसा मेरठ विकास प्राधिकरण की उपविधि है, उसके अनुसार संशोधन पर विचार हो रहा है।
कैंट बोर्ड क्षेत्र की जनता को म्यूटेशन और सब-डिवीजन करने का कैंटोमेंट बोर्ड को अधिकार देने पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। जिसमें कैंट क्षेत्र में लागू लैण्ड पॉलिसी में जनहित में सशोंधन किया जाना आवश्यक हो गया है।
इसके अलावा दिल्ली कैंट बोर्ड अस्पताल, जिसमें 49 बेड और 40 चिकित्सक हैं, जिसमें अतिविशिष्ट श्रेणी के विशेषज्ञ भी है। कैथ लैब है, एंजियोग्राफी होती है, गैस्ट्रो में भी सर्जरी की व्यवस्था है।
ऐसे उपरोक्त उच्च श्रेणी के अस्पताल के साथ टेलीमेडिसन पद्धति से मेरठ कैंटोमेंट अस्पताल भी जुड़ेगा।
मेरठ से एकत्रित जीएसटी, वैट, एक्साइज, आबकारी, भू-राजस्व, बिजली ड्यूटी आदि से जो टैक्स एकत्रित होता है उसमें छावनी क्षेत्र के 8 बार्डों के निवासियों/व्यापारियों द्वारा दिया गया कर भी सम्मिलित है जिसमें से छावनी परिषद को अब तक कोई धनराशि नहीं दिया जाता है। वह भी भविष्य में कैंट बोर्ड को मिलेगा, इसकी कार्यवाही प्रारंभ होगी।
मेरठ में कैंट के उपरोक्त बाजारो वार्डो में लगभग 31 करोड 47 लाख रुपये केवल जीएसटी से प्राप्त होते है और इसके अतिरिक्त पेट्रोल पंप से वैट, शराब के ठेकों से, बिजली की ड्यूटी, आदि से जो टैक्स मिलता है, उसका भी प्रतिशत अभी कैंटोमेंट बोर्ड को नहीं मिलता था। उपरोक्त टैक्स का प्रतिशत प्राप्त हो जाये इसके लिए प्रयास किया जा रहा है ताकि कैंटोमेंट बोर्ड अपने क्षेत्र की जनता को बेहतर सेवा प्रदान करे सकें और एक स्वस्थ स्थानीय निकाय बन सकें।
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