कारगिल विजय दिवस पर वेंक्टेश्ररा में कवि व सम्मान समारोह का आयोजन 

- राष्ट्र प्रेम से बढकर कोई प्रेम नहीं एवं राष्ट्र धर्म से बना बडा कोई धर्म नहीं- सुधीर गिरि

- देश सेवा का मतलब सिर्फ बार्डर पर जाकर लडना नहीं है, अपने-अपने क्षेत्रो में शानदार कार्य करते हुए भ्रष्ट्राचार मुक्त विकसित भारत के निर्माण में योगदान भी सच्ची देश सेवा है-  विकास अग्रवाल     

      मेरठ।  शनिवार को राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित श्री वेंक्टेश्वरा विवि में कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में ’’जरा याद करो कुर्बानी’’ विषय पर विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें देश भर से पधारे एक दर्जन से अधिक विख्यात कवियों एवं साहित्यकारो ने देशभक्ति से ओत-प्रोत शानदार रचनाऐं सुनाकर सभी की आँखों को नम कर दिया। इसके साथ संस्थान की ओर से सभी कवियों के साथ ही शहीदो के परिजनो को पटका, पगडी, एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। 

 रविन्द्र नाथ टैगोर सभागार में कारगिल विजय दिवस पर आयोजित ’’जरा याद करो कुर्बानी’’ विराट कवि सम्मेलन का शुभारम्भ संस्थापक अध्यश सुधीर गिरि, प्रतिकुलाधिपति डॉ. राजीव त्यागी, भाजपा क्षेत्रीय महामंत्री विकास अग्रवाल, जिलाध्यक्ष उदयगिरि, कुलपति प्रो. कृष्णकान्त दवे, आदि ने सरस्वती माँ के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके किया। 



विराट कवि सम्मेलन का शुभारम्भ करते हुए युवा कवि सफर अमरोही ने कहा कि 

’’ए जिन्दगी तेरा हर इम्तिहान कबूल है, मैं जुनून से जीता हूँ, यही मेरा उसूल है।’’

ओज के विख्यात कवि एवं कार्यक्रम संचालक डॉ. राहुल अवस्थी ने कहा कि 

’’ख्याले इश्क जम्मू की सुगढ जागीर जैसा है, जिगर का दर्द पर झेलम नदी के नीर जैसा है।

हमारा कारगिल सा दिल, तुम्हारा दिल कराची सा, हमारा प्यार भारत पाक में कश्मीर जैसा है।’’ 

सुनाकर खूब बाहवाही लूटी। 

विख्यात कवियत्री डॉ. मधु चतुर्वेदी ने कारगिल शहीद विजयन्त थापर पर पढ़ा कि

’’लौटकर आऊंगा यह सोचकर हू चला, पर सफर तो सफर राह मत देखना।

आ सका तो मिलूंगा दोबारा तुम्हे, पर मिलन के सपन आह मत देखना।’’ 

सुनाकर सभी की आँखे नम कर दी। 

कार्यक्रम अध्यश कवि यतेन्द्र कटारिया ने पढा कि

’’समक्ष लक्ष्य एक था, अनेक विघ्न भी, रुके डरे थमे नही माँ भारती के लाल सभी।

पहाड़ फाड वह बढे, मगेन्द्र से दहाडते, समुन्द्र तुल्य झूमते, कुविघ्न राशि ताडते।’’ 

सुनाकर तालिया बटोरी।

वरिष्ठ कवियत्री डॉ0 शशि त्यागी ने पढ़ा

’’यू आँसू ना बहा मैने कुर्बानी दी है, देश के चैनो अमन शीश निशानी दी है।’’ 

सुनाकर सभी की आंखे नम कर दी। 

हर्ष अमरोही ने कहा कि

’’शाम ओ गम में दिल लगाने का बहाना सीखिये, जिन्दगी हसने ना दे, 

तो मुस्कुराना सीखिये।’’ सुनाकर समा बांध दिया। 

इस अवसर पर कुलपति प्रो. कृष्ण कान्त दवे, कुलसचिव डॉ. पीयूष पाण्डेय, डॉ. राजेश सिंह, डॉ. राजवर्धन, डॉ. योगेश्वर शर्मा, डॉ. नीतू पंवार, नसीम अहमद, डॉ. संजीव भट्, एम.ए. चौधरी, एच.आर. हेड कुलदीप, मार्केटिंग हेड तरूण कम्बोज, सी.एफ.ओ. विकास भाटिया, निदेशक वित्त युवराज सिंह, दशमीत बग्गा, डॉ. तेजपाल सिंह, डॉ. आशुतोष सिंह, डॉ. ऐना ऐरिक ब्राउन, डॉ. अश्विन सक्सेना, डॉ. एस.एन. साहू, डॉ. ओमप्रकाश गोसाई, डॉ. रामकुमार, डॉ. मोहित शर्मा डॉ. अनिल जायसवाल, मारूफ चौधरी, अरूण गोस्वामी, डॉ. अंजलि भारद्वाज, डॉ. विकास पाण्डेय, डॉ. सुमन, डॉ. राम गुप्ता, डॉ. स्नेहलता डॉ. आरती गुप्ता एवं मीडिया प्रभारी विश्वास राणा आदि लोग उपस्थित रहे।


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