असली हो खेल सामान
इलमा अज़ीम
खेल किट व खेल उपकरणों के बाजार में अच्छे से अच्छा व घटिया से घटिया सामान उपलब्ध है। जब सरकारी स्तर पर खेल सामान खरीदा जाता है तो कीमत बढिय़ा या मध्यम स्तर के सामान की होगी और सामग्री निम्न दर्जे की होगी। इस तरह मूल्य उच्च क्वालिटी का तय कर शेष राशि हड़प ली जाती है। व्यापारी व सामग्री खरीदने वाले अधिकारी मिलकर अधिकांश राशि को चट कर जाते हैं। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाला खिलाड़ी बनने के लिए स्कूल व कालेज समय में खिलाड़ी को अच्छी खेल सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। पूरे संसार में जहां के खिलाड़ी श्रेष्ठ हैं, वहां पर स्कूल व कालेज स्तर पर बहुत ही उत्तम खेल सुविधाएं मुहैया हैं।
खेल सुविधाओं के लिए पलायन करने वालों को भी जब अपने ही राज्य में रह कर अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करने के लिए सुविधा मिलेगी तो वे फिर क्यों अपना प्रदेश छोड़ेंगे। बात चाहे शिक्षा निदेशालय की हो या किसी भी संस्थान की, अब उचित मूल्य चुका कर घटिया किस्म का खेल सामान खरीद कर करोड़ों रुपए की बंदरबांट को बंद करके असली खेल सामान खरीदना होगा ताकि खिलाड़ी इस प्रतिस्पर्धा के युग में अच्छा प्रदर्शन कर सकें। निम्न दर्जे के हाई जंप व कबड्डी मैट, मुक्केबाजी रिंग व अन्य खेलों के घटिया उपकरण इसके उदाहरण आज भी देखे जा सकते हैं।
इस खेल सामान को खरीदने के लिए बनी कमेटी में निदेशालय के अधिकारी व बाबू होते हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी में शायद ही कोई खेल खेला हो और जो थोड़ा बहुत खेल खेले हैं और खेल सामान की परख भी रखते हैं, वे भी अपने थोड़े लाभ के लिए आंखें बंद कर लेते हैं। आज जब खेल-खेल में स्वास्थ्य स्कीम के अंतर्गत कई करोड़ रुपयों की कृत्रिम प्ले फील्ड जूडो, कुश्ती व खो-खो आदि खेलों के लिए खरीद कर विद्यालयों व महाविद्यालयों को दी जा रही है, जहां भी खेल सामान खरीदना हो, वहां पर खरीददारी के लिए जो कमेटी बने, उसमें जिस भी खेल का सामान खरीदना है, उस खेल का प्रशिक्षक व कम से कम दो राष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ी भी विभागीय अधिकारियों के साथ हों।
जिस संस्थान को सामग्री मिले वहां भी कमेटी देखे कि वह घटिया स्तर का तो नहीं दे दिया। अच्छी प्रशिक्षण सुविधा के अभाव में कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी समय से पहले ही खेल को अलविदा कह जाते हैं और जिनके पास धन व साधन हैं, वे अच्छे प्रशिक्षण के लिए प्रदेश से पलायन कर जाते हैं।
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