सुप्रीम कोर्ट की सीनियर वकील से 3.29 करोड़ की साइबर ठगी

अधिवक्ता को 9 दिन किया डिजिटल अरेस्ट 

नोएडा। नोएडा में  साइबर अपराधियों ने नोएडा में एक 72 वर्षीय सुप्रीम कोर्ट की सीनियर महिला वकील को 9 दिन तक डिजिटल अरेस्ट के जरिए 3 करोड़ 29 लाख रुपये की ठगी का शिकार बनाया। महिला अधिवक्ता ने साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। 

नोएडा के सेक्टर-47 में रहने वाली 72 वर्षीय सुप्रीम कोर्ट की पूर्व वकील को 10 जून 2025 को एक फर्जी कॉल प्राप्त हुई। कॉलर ने खुद को जांच एजेंसी का कर्मचारी बताया और दावा किया कि पीड़िता का आधार नंबर और बैंक खाते हथियारों की तस्करी, ब्लैकमेलिंग और जुए जैसी अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल हुए हैं। इसके बाद कॉल को कथित दिल्ली पुलिस अधिकारी को ट्रांसफर किया गया, जिसने व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए पीड़िता को डिजिटल अरेस्ट में रखा। वीडियो कॉल के दौरान बैकग्राउंड में पुलिस स्टेशन जैसा माहौल बनाया गया, ताकि कॉल विश्वसनीय लगे। ठगों ने पीड़िता को गिरफ्तारी की धमकी दी और गोपनीयता बनाए रखने का दबाव बनाया, जिसमें परिवार वालों को भी जानकारी न देने को कहा गया। महिला अधिवक्ता को साइबर ठगों ने 16 से 24 जून तक पीड़िता को 9 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया। इस दौरान उनकी बैंक डिटेल्स मांगी गईं और फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) तुड़वाकर 3 करोड़ 29 लाख 70 हजार रुपये 5 अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवाए गए।

जो रकम ट्रांसफर की गयी उसमें 63 लाख रुपये मरुधन ग्रामीण बैंक, विपुल नगर, राजस्थान,73 लाख रुपये: दिल्ली के एक बैंक खाते से 93 लाख रुपये: एमपी ग्लोबल इंडसइंड बैंक, भिवानी, हरियाणा।87 लाख रुपये: सिंह ट्रेडर्स कंपनी, वेस्ट पंजाबी बाग, दिल्ली।15.70 लाख रुपये: आइसवाल एंटरप्राइज, इंडसइंड बैंक, कोलकाता। शमिल है। जब ठगों ने और राशि ट्रांसफर करने का दबाव बनाया, तो पीड़िता को शक हुआ। उन्होंने अपने बेटे को इसकी जानकारी दी, जिसने इसे साइबर ठगी की घटना बताकर नोएडा के साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई।

 पीड़िता ने  बताया कि शिवा प्रसाद, प्रदीप सावंत और प्रवीण सूद (जो खुद को वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बताता था) के खिलाफ शिकायत दर्ज की।

 डीसीपी (साइबर क्राइम) प्रीति यादव के नेतृत्व में पुलिस ने जांच शुरू की है। जिन खातों में राशि ट्रांसफर हुई, उन्हें फ्रीज करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

पुलिस की चेतावनी: पुलिस ने स्पष्ट किया कि कोई भी जांच एजेंसी डिजिटल अरेस्ट का इस्तेमाल नहीं करती। ऐसी कॉल्स फर्जी होती हैं। नागरिकों को सलाह दी गई कि ऐसी स्थिति में तुरंत स्थानीय पुलिस से संपर्क करें और ठगी की शिकायत 24 घंटे के भीतर टोल-फ्री नंबर 1930 या नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल (cybercrime.gov.in) पर दर्ज करें।



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