सामाजिक समारोह बनाम वास्तविकता
- डॉ. ओ.पी.चौधरी
पर्यावरण का अर्थ है हमारे आसपास का पूरा वातावरण, जिसमें भौतिक, रसायनिक और जैविक कारक शामिल हैं जो जीवित प्राणियों के जीवन को प्रभावित करते हैं। यह हमारे जीवन के लिए आवश्यक है और हमें जीने के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करता है।हम कह सकते हैं कि, "पर्यावरण वह बाहरी वातावरण है जिसमें जीवित प्राणी रहते हैं और जो उनके जीवन को प्रभावित करता है। इसमें भौतिक, रासायनिक और जैविक कारक शामिल हैं जो जीवित प्राणियों के जीवन को निर्धारित करते हैं।"
पर्यावरण के मुख्य घटक हैं: जैविक घटक- जीवित प्राणी- जैसे कि पौधे, जानवर, पक्षी और मानव और अजैविक घटक, जैसे कि निर्जीव तत्व- जैसे कि जल, वायु, भूमि और खनिज।
पर्यावरण का हमारे जीवन मे अत्यंत महत्व है; यह जीवित प्राणियों को जीवन देता है, प्राकृतिक संसाधनों का स्रोत है, जलवायु और मौसम को नियंत्रित करता है, जिससे जैव विविधता में वृद्धि होती है जो जीवन के लिए जरूरी है।पर्यावरण हमारे जीवन के लिए आवश्यक है,और हमें इसकी सुरक्षा और संरक्षा के लिए काम करना होगा।हमें पर्यावरण के महत्व को समझना होगा और इसके संरक्षण के लिए कदम उठाने होंगे।पर्यावरण को बचाने का तात्पर्य भविष्य को संवारने से है।
प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी विश्व पर्यावरण दिवस की एक थीम निर्धारित है।2025 की थीम "Beat Plastic Pollution" है, जिसका अर्थ है प्लास्टिक प्रदूषण को रोकना।यह प्लास्टिक कचरे की गंभीर समस्या से निजात पाने का एक संकल्प है।यह एक वैश्विक समस्या है और दुनियां की सबसे बड़ी पर्यावरणीय समस्याओं में से एक है।दशकों से प्लास्टिक प्रदूषण दुनिया के हर कोने में फैल चुका है, यह हमारे पीने के पानी, हमारे खाने के भोजन के द्वारा हमारे शरीर में धीरे-धीरे माइक्रोप्लास्टिक के रूप में समा रहा है।इस थीम का उद्देश्य लोगों को प्लास्टिक के कम इस्तेमाल और पर्यावरण को नुकसान से बचाने के लिए जागरूक करना है।यह दिन प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभावों को समझने और इसके समाधान के लिए सामूहिक प्रयास करने के लिए मनाया जाता है।इस थीम के तहत, लोगों को प्लास्टिक की पॉलेथिन की जगह कपड़े के बैग का इस्तेमाल करने,पानी और बिजली की बचत करने, पेड़ लगाने और कचरा प्रबंधन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस दिन का उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करना और उन्हें पर्यावरण एवं प्रकृति के अनुकूल आदतें अपनाने के लिए प्रेरित करना है।
विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1972 में मनाने की घोषणा की गई थी और पहली बार 5 जून,1973 को मनाया गया था।इस दिवस के महत्व को समझने के लिए कुछ मुख्य बिंदु हैं: पर्यावरण संरक्षण- पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिए जागरूकता बढ़ाना।वैश्विक भागीदारी-143 से अधिक देशों की भागीदारी के साथ यह एक वैश्विक मंच है।इस वर्ष वैश्विक समारोह कोरिया गणराज्य में आयोजित होगा।
5 जून विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है,मसलन-वृक्षारोपण अर्थात पेड़ लगाना और पर्यावरण को हरा-भरा बनाने के लिए काम करना।जागरूकता अभियान- पर्यावरण संबंधी मुद्दों के बारे में लोगों को जागरूक करना।सामुदायिक भागीदारी- समुदायों को पर्यावरण संरक्षण में शामिल करना और उनकी भागीदारी को बढ़ावा देना है।
यह तो आदर्श स्थिति है,जो होना चाहिए,लेकिन वास्तविकता कुछ और है।हम 5 जून को प्रत्येक वर्ष सरकारी/सामाजिक समारोह आयोजित कर पर्यावरण दिवस मनाते हैं।कुछ पेड़ लगाते हैं,फ़ोटो खिंचवाते हैं,समाचार अखबारों सहित सोशल मीडिया पर शेयर कर चाय नाश्ता कर अपने-अपने स्थान चले जाते हैं।दुबारा पलट कर भी उन पौधों की ओर नहीं देखते कि उनकी हालत क्या है?पानी -खाद की बात तो दूर की है।फिर एक वर्ष बाद पुनः 5 जून को एकत्र होकर वही प्रक्रिया दुहराते हैं।हमने तो एक दो जगह उसी स्थान पर कई वर्षों तक पेड़ लगाते देखा है।फ़ोटो जरूर बदल जाती है।
ठीक यही हाल प्लास्टिक की है।सिंगल यूज़ प्लास्टिक की धर पकड़ होती है,लेकिन वह कभी-कभार व्यापारियों का दोहन करने या सरकारी कागज का पेटा भरने के लिए।कपड़े के थैले भी बांटे जाते हैं सामान लाने से ज्यादा सुर्खियों में रहने के लिए।आखिर यह दिखावा कब तक,किसके लिए?हम अपने आपको ठग रहे हैं,आने वाली पीढ़ी को प्रदूषण की दुनियां में ढकेल रहे हैं?मेरा अपना मानना है कि दिवस मनाने के बजाय हर व्यक्ति दो पेड़ लगाए और उसका संरक्षण करे,कपड़े का थैला लेकर बाजार जाय उसका प्रयोग करे।हमें केवल दिखावा करने से बचना होगा,धरातल पर कार्य करना होगा।अपने आचरण और कार्य-व्यवहार में प्रकृति संरक्षण को समाहित करना होगा,तभी पर्यावरण दिवस मनाये जाने की सार्थकता होगी।
(पर्यावरण स्नेही, काशी)
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