योग और प्रणायाम से शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रोग होते है खत्म: स्वामी कर्मवीर
- चक्की चलाने से शरीर के सभी भागों में होता है ऊर्जा का संचार
- योग शिविर का चौथे दिन योग से होने वाले सकारात्मक परिवर्तन का किया वर्णन
मेरठ। योग गुरु स्वामी कर्मवीर महाराज ने एक विशेष योग सत्र में उपस्थित साधकों को संबोधित करते हुए कहा कि योग और प्राणायाम के माध्यम से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आत्मिक रोगों का भी अंत संभव है। उन्होंने कहा कि गायत्री मंत्र का उच्चारण करते हुए सिद्धासन, पद्मासन अथवा सुखासन में बैठकर ध्यान करने से चित्त शुद्ध होता है और आत्मबल की वृद्धि होती है। स्वामी जी ने महायोग क्रिया के अभ्यास का विस्तृत वर्णन करते हुए बताया कि इसमें बटरफ्लाई आसन, जालंधर बंध, उड्डियान बंध अत्यंत लाभकारी हैं। सूर्यभेदी प्राणायाम सर्दी, जुकाम और खांसी में अत्यंत उपयोगी है, वहीं चंद्रभेदी प्राणायाम गर्मी, अधिक पसीना, थायरॉयड व गले की समस्याओं में राहत देता है।
स्वामी जी ने बताया कि पीठ और पेट की समस्याओं के लिए विशेष अभ्यास जैसे चक्की चालन अत्यंत उपयोगी होता है। उन्होंने सूर्य नमस्कार, वज्रासन, हस्त उत्तानासन, मंडूकासन, शशांकासन, अर्धचंद्रासन आदि योगासनों के नियमित अभ्यास करने को कहा। उन्होंने गीता का उल्लेख करते हुए कहा कि “आत्मा अजर, अमर और अविनाशी है, और योग द्वारा चित्त निर्मल कर सभी के प्रति मैत्री भाव उत्पन्न होता है। प्राणायाम से मन शांत होता है, रक्तसंचार बेहतर होता है, और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। भोजन में अधिक फाइबर युक्त और सात्विक आहार को अपनाने चाहिए। सायनस, अस्थमा, कोरोना जैसी समस्याओं में त्रिकटु चूर्ण, काली मिर्च, सौंठ, पीपली, शहद आदि का सेवन लाभकारी रहता है।
स्वामी जी ने थायरॉयड व कंठ रोगों में बहेड़ा, अंजन, श्वास यंत्रियों के लिए विशेष आसनों का अभ्यास करने की सलाह दी। उन्होंने वज्रनितंब संचालन, भुजंगासन, शलभासन, मकरासन, धनुरासन, हलासन, विपरीत नौमासन को पीठ व कमर दर्द, लीवर व किडनी रोगों के लिए लाभकारी बताया। स्वामी कर्मवीर जी ने कहा कि सात दिनों तक नियमित चक्की चालन करने से शरीर के सभी भागों में ऊर्जा का संचार होता है और समस्त रोगों का अंत होता है। अंत में उन्होंने योग की ऋषिपरंपरा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए युवाओं से आग्रह किया कि वे इसे अपने जीवन में अपनाकर स्वस्थ, संयमी और आत्मनिष्ठ बनें।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला, प्रति कुलपति प्रो.मृदुल कुमार गुप्ता, वित्त अधिकारी रमेश चंद, कुलानुशासक प्रो. बीरपाल सिंह, प्रो. राकेश कुमार शर्मा, प्रो. केके शर्मा, प्रो. आलोक कुमार, प्रो. अनिल मलिक, प्रो. अनुज कुमार, प्रो.मुकेश शर्मा, डॉ. सचिन कुमार, डॉ. ओमपाल, डॉ.वैशाली पाटिल, प्रो. प्रशांत कुमार, डीपी सिंह, मितेंद्र कुमार गुप्ता, डॉ. संदीप त्यागी, राजन कुमार, मनीष कुमार, जगत सिंह दौसा आदि मौजूद रहे।
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