एक प्रदेश एक कार्ड चढे भ्रष्टाचार की भेंट , कार्ड धारक बने परिचालक

 यात्रियों को मिलने वाले लाभ को डकार गये कंपनी के अधिकारी 

 मामला पकड़ में आने पर परिचालकों को नोटिस जारी कर मांगा 15 दिन में जवाब 

मेरठ। प्रदेश भर में सरकार की आम जनमानस को सुविधा देने की मंशा पर मेरठ/गाजियाबाद में अधिकारियों की मिली भगत से पलीता लगाने के साथ ही सरकारी राजस्व को हड़प लेने का मामला सामने आया है। 

सरकार की ओर से प्रदेश में यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के 14 जनपदों में इलेक्ट्रिक बसो का संचालन किया जा रहा है। इसी के चलते मेरठ जनपद में भी 50 इलेक्ट्रिक बसें संचालित की जाती है। जिन पर जेएमडी कंपनी के परिचालक यात्रियों को टिकट वितरण का कार्य करते हैं। वही टिकट मशीन की जिम्मेदारी व मशीन अपडेट कर परिचालकों को मशीन और कार्ड मुहैया कराने की जिम्मेदारी एक अलग कंपनी को सौंपी गई है।



 मेट्रो की तर्ज पर सरकार की ओर से यात्रियों की सुविधा देखते हुए एक प्रदेश एक कार्ड (कॉमन मोबिलिटी कार्ड) जारी किए गए थे जिनसे टिकट बनवाने पर यात्रियों को 10% का लाभ होता है। लेकिन दुर्भाग्य है कि कुछ अधिकारियों की मिली भगत के चलते कार्ड भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए। जिस कारण यात्रियों को मिलने वाले लाभ और सरकारी राजस्व को यह भ्रष्टाचारी ही डकार गए। मिली जानकारी के अनुसार परिचालकों को कार्ड रिचार्ज एवं मशीन अपडेट कर देने की जिम्मेदारी जिस कंपनी को सौंपी गई है, इसी कंपनी के कुछ अधिकारियों द्वारा इन कार्डों के रिचार्ज करके परीचालकों द्वारा दुरुपयोग कराने का मामला प्रकाश में आया है। जिसमें लाखों रुपए का गबन बताया जा रहा है। 

ऐसा ही एक मामला मेरठ की इलेक्ट्रिक बस डिपो लोहिया नगर का सामने आया है। जिसमें लगभग 30 से 40 परीचालकों को रोज कॉमन मोबिलिटी कार्ड बड़ी रकम के साथ रिचार्ज कर दिए जाते थे। और इन्हीं कार्डो से यात्रियों के टिकट बनाने के लिए परिचालकों को निर्देशित भी किया जाता था। जिस कारण बस में सवार लगभग 50 यात्रियों में से 20 यात्रियों के टिकट परिचालक इन्हीं कार्डो से बनाते थे। इन कार्डों के द्वारा बनाए गए टिकटों से मिलने वाले फायदे को अधिकारी आपस में बंदर बाट कर लेते हैं। जो पैसा सरकारी राजस्व में जमा होना था उस पैसे को यह लोग अपनी मौज मस्ती के लिए उड़ा रहे थे। 

भ्रष्टाचार से धूल हटने के बाद अब मेरठ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड प्रबंधन द्वारा लगभग 20-25 परिचालकों को स्पष्टीकरण के लेटर थमाते हुए 15 दिन के अंदर उनसे इस विषय में स्पष्टीकरण मांगा गया है। कुछ परचालकों ने दबी जुबान में बताया कि कुछ अधिकारियों के चाहते जो इस भ्रष्टाचार में लिप्त है वह परिचालक अभी भी ड्यूटी कर रहे हैं बाकी सब को ड्यूटी से रोक दिया गया है। वहीं कुछ ने बताया कि कॉमन मोबिलिटी कार्ड द्वारा हो रही गड़बड़ी की जिम्मेदारी परिचालकों द्वारा अपने ड्यूटी ऑफिसर और ईटीएम बाबू को दी गई थी लेकिन उनके द्वारा सब कुछ मैनेज करने की बात कहते हुए ऑनलाइन पैसे भी लिए गए, इसके साक्ष्य भी परिचालकों के पास होना बताया गया है।कॉमन मोबिलिटी कार्ड भ्रष्टाचार में कई सवाल पैदा होते हैं। 

शासन से प्रशासन के पास कितने और किस नंबर के कार्ड यात्रियों को बांटने के लिए पहुंचे। इन कार्डों को परिचालकों के माध्यम से यात्रियों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी किस व्यक्ति को सौंपी गई थी। उस व्यक्ति ने अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं निभाई।कितने और किस नंबर के कार्ड यात्रियों को मिले। जो कार्ड यात्रियों तक नहीं पहुंचे उन कार्डों का नंबर क्या है और वह कार्ड ईटीएम मशीन बाबू के पास क्यों रहे कहां से पहुंचे।बीते कई महीनो से हो रहे इस भ्रष्टाचार का कंपनी प्रबंधन द्वारा क्यों संज्ञान नहीं लिया गया। इन कार्डों से कितने रुपए के टिकट बनाए गए और वह पैसा कहा गया। डिपो की आमदनी घटने पर बसों में लगे हुए सीसीटीवी कैमरों का निरीक्षण क्यों नहीं किया गया। अब इस सरकारी राजस्व की भरपाई के लिए जिम्मेदार कौन है। परिचालकों के अतिरिक्त कौन-कौन लोग इस भ्रष्टाचार में शामिल है और उनके विरुद्ध क्या कार्रवाई की जा रही है। यह सभी सवाल कंपनी प्रबंधन की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करते हैं।

मंडलायुक्त से मिले निकाले गये कर्मचारी 

  अधिकारियों द्वारा निकाले गये 22 कर्मचारी मडंलायुक्त से मिले। कर्मचारियों का कहना था अधिकारियों ने उन्हें मोहरा बना कर उसने गलत कार्य कराया है। कर्मचारियों ने मडलायुंक्त से निष्पक्ष जांच की मांग की है

No comments:

Post a Comment

Popular Posts