- कृष्ण कुमार निर्माण
मुस्कान का ड्रम कांड कोई नहीं भूला ही नहीं था कि सोनम का मर्डर कांड आ गया। अब शीतल की हत्या का मामला सुर्खियों में है। तीनों ही मामलों में तीसरे की एंट्री है और परिणाम सामने है। अनेक बार ऐसी खबरें पढ़ने को मिलती हैं कि अच्छे-खासे परिवार वाले बुजुर्ग को वृद्धाश्रम में छोड़ आए।कई बार ऐसी खबरें भी पढ़ने को मिलती है कि करोड़ों की दौलत होने के बावजूद वृद्ध दम्पति ने की आत्महत्या। मतलब साफ कि करोड़ों की दौलत तो थी मगर कोई भावनाएं पूछने वाला नहीं था।गरीबी में आत्महत्या करने की बातें तो आम है हीं पर करोड़ो की दौलत होने के बाद भी आत्महत्या...आखिर क्यों?
यकीन मानिए खबरें कम आती हैं जबकि यह समस्या अधिक है। लिव-इन में भी गड़बड़ हो रही।जबकि लिव-इन तो खुद ही स्वीकार किया था मगर यहाँ भी एंट्री तीसरे की और भावनाओं का दोहना। प्यार करने वालों में बहुत जल्द ब्रेकअप हो रहा है और ब्रेकअप के तुरंत बाद नए रिश्ते पनप रहे हैं। यहाँ तक कि कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो ब्रेकअप बाद में करते हैं,उससे पहले नए रिश्ते कायम कर लेते हैं। कई तो ऐसे रिश्ते भी हैं जहाँ दस-पन्द्रह साल से ज्यादा आपसी प्रेम संबंधों के रिश्ते रहने के बाद भी किसी तीसरे की एंट्री हो जाती है,ये एंट्री यकायक नहीं होती बल्कि करवाई जाती है।वैवाहिक स्थित होने के बाद भी लगभग पतियों और पत्नियों के अफेयर हैं,बस जिसकी सामने आ जाती है,उसकी पोल खुल जाती है और जिसकी सामने नहीं आती,वह गुपचुप तरीके से परवान चढ़ती रहती है और अक्सर इस तरह की दोस्ती बीच में जरूर बिगड़ती है और फिर नए सिरे से दोस्ती बनाने के किसी अन्य से प्रयास किए जाते हैं।
यानि कि.. पुरुष और महिला बराबर के दोषी हैं,कोई कम नहीं है,,,एक से बढ़कर एक हैं सब।ठीक ऐसे ही रिश्तों में क्या माँ-बाप,बहन-भाई, भाई-भाई,दोस्त-दोस्त,जीजा-साला, चाचा-ताऊ,प्रेमी-प्रेमिका,लिव- इन,अरेंज मैरिज आदि-आदि....सबमें गड़बड़ है और बड़ी गड़बड़ है।काफी विचार करने के बाद दो बातें समझ में आई कि आज के दौर में दो बातों ने पूरे समाज को ऐसे दोराहे पर ला खड़ा कर दिया है,जहाँ से केवल विनाश ही विनाश दिखाई दे रहा है।संस्कृति-संस्कार खत्म हो गए हैं।और वे दो बातें हैं..एक तो हर स्त्री-पुरुष का अति-महत्वाकांक्षी हो जाना और दूसरा एक दूसरे की भावनाओं का कत्ल करते देर नहीं लगाना यानि आपस में किसी की भावनाओं की कद्र न करना।आज के दौर में हर स्त्री-पुरुष एक दूसरे को देख-देखकर इतना अति-महत्वकांक्षी हो गया है कि उन्हें बिना कुछ किए पैसा चाहिए,हरपल मौज मस्ती चाहिए और कोई भी उसकी बात को काटे नहीं।उसका परिणाम यह हुआ कि हर स्त्री-पुरुष हर तरह के गलत हथकंडे अपनाने के लिए इतना बेसब्र है कि बस मौका चाहिए और यह मौका सुलभ है क्योंकि सब ऐसे हैं तो सब ढूंढ रहे हैं,और जो ढूंढ रहे हैं, मिलना स्वाभाविक है क्योंकि अब दुनिया, दुनिया नहीं रही बल्कि एक बाजार हो गई है।
समाज,समाज नहीं रहा, एक मार्केट है, ऐसे ही हाल परिवारों का हो गया लगता है। लेकिन असली समस्या यहीं से शुरू होती है और यहीं से शुरू होता है भावनाओं का कत्ल क्योंकि फिर दोनों तरफ से भावनाएं कुचली जाती हैं और परिणाम हत्या या आत्महत्या के रूप में सामने आता है।क्योंकि कोई भी भावनाएं समझता नहीं है और सबको सिर्फ और सिर्फ अपनी ही भावनाएं अच्छी लगती हैं और यदि भावनाओं को कोई भी पक्ष चोट पहुँचाए तो फिर इंसान के अंदर का शैतान जाग्रत हो जाता है और अपना काम करके चलता बनता है। कल्पना कीजिए यदि हम किसी भी रिश्ते में हैं और एक दूसरे की भावनाओं का पूरा आदर करते हों,तो क्या कोई ऐसी संभावना बन सकती है कि किसी प्रकार का विवाद हो,शायद नहीं लेकिन यहाँ एक दूसरे की भावनाओं का आदर करने की परिभाषा को अच्छे से समझने की जरूरत है और वह यह कि एक दूसरे के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ सच्चे मन से रहें और पूर्ण सहयोग दें। यदि ऐसा ही हम अपने बुजुर्गों के प्रति भी करें तो होगा यह कि करोड़ो की जायदाद के बाद कोई भी आत्महत्या नहीं करेगा क्योंकि बुजुर्ग को क्या चाहिए,सिर्फ प्यार और उसकी भावनाओं को सुनने और समझने वाला?
आप कह सकते हैं कि करोड़ो की जायदाद रखने वाला आत्महत्या क्यों करता है क्योंकि पैसे से सब कुछ खरीदा-बेचा जा सकता है पर याद रखिए पैसे से प्यार और भावनाएं खरीदी और बेची नहीं जाती और सबसे बड़ा दुख ही यह होता है कि किसी की भावनाओं को रौंदा जाना और प्यार करके उसे खिलौना समझकर खेलना।याद रखिए एक को छोड़कर जब दूसरे के पास कोई जा रहा है तो सिर्फ सुख की चाहत में ओर जो सुख आपको चाहिए,वह आपको पहले से प्राप्त नहीं हुआ तो दूसरे से कदापि मिल नहीं सकता क्योंकि उसके पास ऐसा क्या है जो पहले के पास नहीं है?यह सिर्फ सोच का अंतर है। अतः थोड़ा समझिए और महत्वकांक्षी बनिए मगर अति न करिए और चाहे किसी भी रिश्ते में हो,उनकी कद्र कीजिए,भावनाओं का सम्मान कीजिए फिर कभी कोई दिक्कत नहीं आएगी?
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