युद्ध का व्यापक असर
 राजीव त्यागी 
युद्ध केवल जन-धन हानि तक ही सीमित नहीं रहकर इसके साइड इफेक्ट जन-धन हानि से भी अति गंभीर होते हैं। युद्ध के चलते जिस तरह के गोला-बारुद और केमिकल युक्त बम, मिसाइलें और ना जाने क्या क्या का उपयोग होता है जो प्रकृति पर दूरगामी नकारात्मक असर छोड़ते हैं। 
आज भले ही इजरायल-ईरान युद्ध के बीच युद्धविराम हो गया हो और भारत पाक युद्धविराम की तरह इसका श्रेय भी डोनाल्ड ट्रम्प ले रहे हो पर युद्ध के दूरगामी दुष्परिणामों से आने वाली पीढ़ी और प्रकृति किसी को माफ करने वाली नहीं है। हालांकि इजरायल-युद्ध में दोनों देशों द्वारा ही अपनी अपनी जीत के दावें किये जा रहे हैं पर यह नहीं भूलना चाहिए कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता तो दूसरी और आज के समय में युद्ध किसी निर्णायक स्तर पर पहुंच ही जाये यह भी कहा जाना बेमानी होगा। 


इजरायल-ईरान युद्ध से पहले इजरायल-हमास युद्ध, भारत पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिन्दूर और लंबे समय से लगातार चला आ रहा रुस-यूक्रेन युद्ध हमारे सामने हैं। आज चल रहे इन युद्धों में से किसी को भी निर्णायक स्तर पर पहुंचते हुए नहीं देखा जा सकता और आज के समय के इन युद्धों को निर्णायक स्तर पर ले जाने की बात करना भी बुद्धिमानी नहीं मानी जा सकती। आज का युद्ध कोई बच्चों का खेल नहीं है। यूक्रेन जैसा छोटा सा देश रुस जैसे बिग गन का पूरे साहस के साथ मुकाबला कर रहा है। देखा जाए तो आज दुनिया के हालात अच्छे नहीं कहे जा सकते। एक और युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं तो दूसरी और दुनिया के देश आंतकवादी गतिविधियों से दोचार हो रहे हैं। देखा जाए तो दुनिया के अधिकांश देश अशांति के हालात से दो चार हो रहे हैं।
 युद्ध चाहे आज के जमाने का हो या पुराने जमाने का अपने निशान धरती पर लंबे समय तक के लिए छोड़़ जाते हैं। इसके साथ ही युद्ध में प्रयुक्त सामग्री खासतौर से युद्ध आयुधों के प्रयोग के कारण प्रकृति पर कितना प्रतिकूल असर पड़ता है वह अकल्पनिय होता है। हालिया युद्धों में किस तरह से मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया है और दूसरी और उन्हें नष्ट करने के प्रयास हुए हैं। इससे केवल क्षेत्र विशेष ही नहीं अपितु वायु मण्डल, पारिस्थिति तंत्र सहित प्रकृति पर गंभीर दूरगाामी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। बम, गोलाबारी, धुंआ, रासायनिक तत्वों के उपयोग से ग्रीन हाउस गैसों में बढ़ोतरी हुई है। 


ग्लोबल वार्मिंग पर इसका सीधा सीधा असर पड़ेगा।  यह तो वायु मण्डल के प्रदूषित होने और ग्लोबल वार्मिंग की बात है दूसरी तरफ रासायनिक बमों के अवशेष और युद्ध के कारण बारुदी सुरंगों या बारुद आदि सामग्री के उपयोग के कारण भूजल, मिट्टी आदि भी प्रदूषित होती है और पानी के प्रदूषित होने और मिट्टी की उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है। इसके साथ ही जल, थल और नभ तीनों ही स्थानों पर जैव विविधता प्रभावित होती है। वन्य जीवों के साथ ही पशु-पक्षियों सहित अन्य प्रजातियों की विलुप्ति सहित अनेक दुष्प्रभाव सामने आते हैं। 

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