अब यह तस्वीर बदलनी चाहिए

- संजीव ठाकुर
यह भी बड़ी विडंबना है कि लोगों को अपने अधिकारों के बारे में पूरी तरह से ज्ञान और जानकारी है वे अधिकारों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं कौन सी सरकारी योजना से कितना लाभ है यह पढ़े लिखे से अनपढ़ व्यक्ति तक को मालूम रहता है पर इसके ठीक उलट यदि आप उत्तरदायित्व या जिम्मेदारी की बात करेंगे तो स्पष्ट तौर पर लोग कहते पाए जातें हैं कि इसकी तो हमें जानकारी ही नहीं है। हमारी जिम्मेदारियों को बताने के लिए शासन, प्रशासन को करोडों,अरबो रुपए विज्ञापन में खर्च करने पड़ जाते हैं इसके बाद भी लोग अपनी जिम्मेदारियां से पीछे हटते नजर आते हैंl और  खाद्य सुरक्षा कैसे संवेदनशील मामले में जनता अपनी ज्ञान शून्यता के बारे में जोर शोर से डंका बजाती है।
खैर 7 जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 2018 के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा ने औपचारिक रूप से मनाने की घोषणा की है। औपचारिक तौर पर प्रथम स्मरण उत्सव के रूप में 7 जून 2019 में जोर शोर से आयोजित किया गया था। इस दिवस का मनाने का उद्देश्य भी बड़ा व्यापक रहा है दूषित भोजन से जुड़े खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना खाद्य पदार्थ से उत्पन्न बैक्टीरिया तथा उससे बचाव की जानकारी देने हेतु आयोजित किया गया था। औपचारिक तौर पर खाद्य सुरक्षा दिवस 7 जून 2025 की थीम "खाद्य सुरक्षा विज्ञान की क्रियाशीलता" विषय पर रखी गई है और यह थीम इस बात पर जोर डालती है की विज्ञान और टेक्नोलॉजी और फूड प्रोसेसिंग की इकाइयों द्वारा किस तरह खाद्य से उत्पन्न संक्रमण तथा रोगों से बचाव किया जा सकता है और यह इस बात में भी प्रकाश डालते हैं कि नवाचार और शोध में जोखिम की पहचान कर हमारे समाज में व्याप्त भोजन पदार्थ की तमाम स्वास्थ्य विरोधी कुसंगतियों से कैसे बचा जाए इस पर वैज्ञानिक आविष्कारों का किस तरह उपयोग किया जाए।यह अत्यंत महत्वपूर्ण तथा सारगर्भितत विषय है।
यह तो सर्व विदित  कि भोजन एक शारीरिक दैनिक आवश्यकता है इसे विलासिता से कतई ना जोड़ा जाए, भोजन आदिकाल से मनुष्य के उद्धव के साथ-साथ एक शारीरिक आवश्यकता तथा नितांत जरूरी प्रक्रिया हैl खाद्य सुरक्षा दिवस एक अनुस्मारक की तरह कार्य करता है और यह भी याद दिलाता है की आर्थिक उन्नति और अच्छा स्वास्थ्य सभी अच्छे स्वास्थ्यवर्धक भोजन पर अवलंबित होते हैं सुरक्षित स्वस्थ भोजन से व्यक्ति समाज और राष्ट्र को लाभ प्राप्त होता है व्यक्ति यदि बलवान होता स्वस्थ होगा तो समाज तथा देश शक्तिशाली होकर अच्छी विचारधारा को लेकर अग्रेषित होगा और देश का विकास ही वैश्विक स्तर पर पूरे विश्व का विस्तार हैl खाद्य पदार्थों के प्रदूषण से कैसे बचा जाए उसे कैसे नियंत्रित किया जाए एवं यदि संक्रमण हो तो क्या-क्या संभव उपाय किए जाएं इस बात पर विश्व खाद्य दिवस चिंता करने हेतु आयोजन करता  हैंl

उल्लेखनीय है कि हर साल लाखों लोग दूषित भोजन के कारण संक्रमित होते हैं बीमार पड़ते हैं और खाद्य सुरक्षा की अवहेलना के कारण सार्वजनिक रूप से स्वास्थ्यगत खतरे बहुत बढ़ जाते हैं, इससे बड़ी-बड़ी संक्रामक बीमारियां हो जाती हैं और महामारी का खतरा भी बढ़ जाता हैl वैसे यह सदैव सलाह दी जाती रही की सुरक्षित शुद्ध और पवित्र भोजन करने से जीवन में अनेक बीमारियों व्याधियों से बचा जा सकता है एवं स्वस्थ रहकर स्वस्थ भविष्य की परिकल्पना की जा सकती हैl खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए निर्मित निजी क्षेत्र नागरिक समाज संयुक्त राष्ट्र संगठन का यह दायित्व बन जाता है कि वह आम नागरिकों की सुरक्षा का पूरा-पूरा ख्याल रखें एवं स्त्री,पुरुष तथा बच्चों को संक्रमित खाद्य पदार्थ खाने से रोकने का प्रयास करेंl हम जीवन में जिस भोजन का उत्पादन,भंडारण प्रबंधन और उपयोग दिन प्रतिदिन की प्रक्रिया में किया जाता है उसमें शुद्धता तथा स्वास्थ्यगत पदार्थ की आवश्यक मात्राएं भी शामिल होनी चाहिए जिस व्यक्ति समाज एवं देश के नागरिक स्वस्थ रहें सुरक्षित रहें एवं बीमारियों से अपना बचाव कर सकेl स्वच्छ जल पौष्टिक भोजन की उपलब्धता हमारे सामाजिक संगठनों तमाम होटल रेस्टोरेंट एवं खाद्य सुरक्षा प्रबंधन की जिम्मेदारी होती है वस्तुत खाद्य सुरक्षा जिम्मेदारी नहीं है इसे स्वेच्छा से अपनाना होगा यह एक सामूहिक अभियान है जिससे व्यक्ति,समाज और देश शारीरिक रूप से स्वस्थ हो सके यह सुनिश्चित किया जाना होगा।
स्वास्थ्य ही जीवन है एवं धन किसी उद्देश्य को लेकर और स्वस्थ भोजन की उपलब्धता एवं स्वास्थ्य संबंधी नियमावली को लागू करने की सरकारे, अंतरराष्ट्रीय संगठनों वैज्ञानिक निजी क्षेत्र और नागरिक समाज खाद्य सुरक्षा की तमाम इकाइयों का यह नैतिक दायित्व बनता है कि वह आमजन को शुद्ध भोजन उपलब्ध कराये और यह सुनिश्चित करें कि हम जो भोजन करते हैं वह निश्चित रूप से पौष्टिक शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक हैl वैसे खाद्य सुरक्षा के इस अभियान को संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं खाद्य कृषि संगठन द्वारा प्रचारित प्रसारित तथा विकसित किया जा रहा हैl  विश्व में हर देश की सरकारें, सामाजिक संगठन नोंन गवर्नमेंटल ऑर्गेनाइजेशन इस बात का प्रयास करती है कि वह आम जनता को यह समझाइस निरंतर प्रदान करते रहे कि विश्व स्वास्थ्य सुरक्षा के उपाय करे जिससे जल भोजन के संक्रमण से कैसे बचा जाए। इसे अज्ञानता अंधेरे में न रख इस जिम्मेदारी को प्रथम महत्व देते हुए संधारित संचालित किया जाए।
वैसे 7 जून विश्व खाद्य दिवस इस बात पर भी महत्व इंगित करता है कि खेत से लेकर खाने तक की मेज पर जो भोजन परोसा जाता है वह व्यक्ति के लिए सुरक्षित स्वास्थ्यवर्धक एवं पौष्टिक है इस बात को सुनिश्चित किया जाए। वैसे बच्चों महिलाओं एवं बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए सुरक्षित भोजन पहुंचाना अत्यंत महत्वपूर्ण सामाजिक दायित्व है खाद्य जनित बीमारियां आमतौर पर संक्रामक तथा विषाक्त प्रवृत्ति की होती है इन्हें अक्सर सामान्य एवं साधारण आंखों से नहीं जीत नहीं देखा जा सकता और जो बैक्टीरिया कीटाणु वायरस हमारे शरीर में जल तथा भोजन के माध्यम से प्रवेश करते हैं उन्हें के बारे में जागरूकता देने का यह दिवस अध्ययन महत्वपूर्ण कार्य संपादित करता है।


पूरे विश्व में अनुमानित 420 000 दूषित भोजन एवं जल पीने से मर जाते हैं और यहां तक 5 साल से कम उम्र के बच्चे खाद जनित बीमारियों का 40% हिस्सा होते हैं परिणाम स्वरूप 125000 जान चली जाती हैं। वैश्विक आंकड़ों के हिसाब से 600 मिलियन असुरक्षित दूषित भोजन एवं स स्वच्छ जल पीने से उनके स्वास्थ्य को गंभीर खतरा उत्पन्न होता है।
यह हम लोगों का व्यक्तिगत सामूहिक सामाजिक दायित्व बनता है कि आम नागरिकों में जिनमें बुजुर्ग व्यक्ति कमजोर महिलाएं एवं नन्हे बच्चों को संक्रमित भोजन कुपोषण एवं भुखमरी से हर हाल में सुरक्षित रखा जाए एवं उनके जीवन के प्रति हम अपनी जिम्मेदारियां को वहन करने का प्रयास करें।
(चिंतक, लेखक, रायपुर छत्तीसगढ़)

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