पर्यावरण के उभरते खतरे
इलमा अज़ीम
सुरक्षित पर्यावरण ही सुरक्षित मनुष्य जीवन का आधार है। हमारी धरती, जनजीवन को सुरक्षित रखने के लिए पर्यावरण का सुरक्षित रहना बहुत जरूरी है। विश्व के देश आधुनिकता की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन इस राह में दिनोंदिन दुनियाभर में ऐसी चीजों का इस्तेमाल बढ़ गया है और इस तरह से लोग जीवन जी रहे हैं, जिससे पर्यावरण खतरे में है। इनसान और पर्यावरण के बीच गहरा संबंध है।
प्रकृति के बिना जीवन संभव नहीं। ऐसे में प्रकृति के साथ इनसानों को तालमेल बिठाना होता है। लेकिन लगातार वातावरण दूषित हो रहा है जिससे कई तरह की समस्याएं बढ़ रही हैं, जो हमारे जनजीवन को तो प्रभावित कर ही रही हैं, साथ ही कई तरह की प्राकृतिक आपदाओं की भी वजह बन रही हैं।
वायु और जल प्रदूषण की दृष्टि से भारत के कई शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं, इस बात से कोई अनजान नहीं है। भारत कार्बन डाइऑक्साइड का एक बड़ा उत्सर्जक है, हालांकि प्रति व्यक्ति उत्सर्जन विकसित देशों की तुलना में कम है। भारत में पर्यावरण संरक्षण एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। एक ओर, पर्यावरण संरक्षण के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर पर्यावरण पर दबाव भी बढ़ रहा है।
भारत को पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को मजबूत करने और प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और अन्य पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने के लिए प्रभावी उपाय करने की आवश्यकता है क्योंकि सुखी स्वस्थ जीवन के लिए पर्यावरण का संरक्षण जरूरी है। हम सब देशवासियों को पर्यावरण के प्रति जागरूक होना चाहिए और इस दिन प्रत्येक व्यक्ति एक पौधा अपने नाम अवश्य लगाए ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके। आज देश भर में युवा पीढ़ी अपना जन्मदिन और मैरिज एनिवर्सरी होटल और रेस्टोरेंट में मानते हैं।
इस इस दिन सभी नागरिकों का दायित्व बनता है कि इस आधुनिकता की दौड़ को छोडक़र अपने गांव में शिक्षा संस्थानों में या कार्यालयों में पौधा अवश्य लगाएं ताकि वह पर्यावरण को स्वच्छ और साफ-सुथरा रखने के लिए अनिवार्य हो और आपकी यादगार भी बनी रहे।
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