कड़ी चौकसी जरूरी
पाक की जासूसी के आरोप में पहले ज्योति फिर शहजाद और नौमान इलाही के बाद मलेरकोटला और अब तरनतारन से गगनदीप सिंह की गिरफ्तारी होना चौंकाता है कि कैसे कुछ लोग पैसे व शानो शौकत के लालच में देश की सुरक्षा व लोगों का जीवन भी दांव पर लगा देते हैं। देश के भीतर ये दुश्मन बेहद घातक हैं। पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी आईएसआई से ताल्लुक रखने पर पिछले दिनों हरियाणा, पंजाब व यूपी के कुछ लोगों की गिरफ्तारी ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। ये एक गंभीर चुनौती है और हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों और खुफिया संस्थाओं को अब इस चुनौती को गंभीरता से लेना होगा।
यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि हरियाणा की रहने वाली सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ज्योति कथित तौर पर हाल के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के एक कर्मचारी के संपर्क में थी, जिसे भारत विरोधी गतिविधियों के लिये देश से निकाला गया। जांच एजेंसियों को पता लगाना होगा कि क्या इन आरोपियों की सैन्य या रक्षा अभियानों से संबंधित जानकारी तक सीधी पहुंच थी या वे इसे उच्च पदस्थ स्रोतों से प्राप्त कर रहे थे? रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां ज्योति को एक खुफिया एजेंट के रूप में तैयार कर रही थीं। वह सीमा पार से चलाए जा रहे नेटवर्क का हिस्सा थी।
उम्मीद है कि पूछताछ में ऐसे सबूत मिल सकते हैं जो भारत के खिलाफ बड़ी साजिशों का खुलासा कर सके। भारत विरोधी शक्तियों के हाथ में खेलकर देश को मुश्किल में डालने का यह कृत्य परेशान करने वाला है। बहुत संभव है कि जासूसी कांड में लिप्त ये भारतीय बड़े आर्थिक प्रलोभनों के लालच में पाक एजेंटों के जाल में फंसे हों। निस्संदेह, इन लोगों की परवरिश में कहीं चूक रही है जो इन्हें यह बोध नहीं करा सकी कि चंद पैसों व सुविधाओं के लालच में देश के साथ गद्दारी नहीं करनी चाहिए। निश्चय ही यह खुलासा राष्ट्रघाती खेल का छोटा हिस्सा है, आने वाले समय में और बड़ी मछलियां इस दलदल में पकड़ी जा सकेंगी।
दरअसल पाकिस्तान भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गलत फायदा उठा रहा है। वह सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर ज्योति का इस्तेमाल न केवल जासूसी के लिये कर रहा था बल्कि भारत के खिलाफ प्रचार तथा पाक की छवि को सुधारने के लिये भी कर रहा था। ज्योति पर आरोप है कि वह सोशल मीडिया के जरिये पाक की उजली छवि गढ़ रही थी। दरअसल, सूचना क्रांति के इस दौर में विदेशी खुफिया एजेंसियां टेलीग्राम, स्नैपचैट व्हाट्सएप आदि के जरिये भारतीय मददगारों से संपर्क साध रही हैं, जिस पर हमारी प्रवर्तन एजेंसियां आसानी से नजर नहीं रख सकती। पुलिस को आधुनिक उपकरणों के साथ इस बाबत कुशल प्रशिक्षण देना चाहिए।
No comments:
Post a Comment