ज़ज़्बात को कभी न छुपाया करो...!


मेरी हर बात को हँसी में ना उड़ाया करों,
अपने ज़ज़्बात को कभी न छुपाया करो।
लबों की खामोशी भी सब कुछ कहती है,
तू पास न होके भी आसपास ही रहती है।
दूर रहकर भी तू इतने ग़म क्यों सहती हैं।

मेरी हर बात को हँसी में ना उड़ाया करों,
अपने ज़ज़्बात को कभी न छुपाया करो।
दिल के करीब हूँ इसका एहसास है तुम्हें,
आ जाओ के साथ बिताए हम कुछ लम्हें।
अब न करो दुनिया-जहां की कोई परवाह,
जिंदगी छोटी है जानेमन न हो लापरवाह।

मेरी हर बात को हँसी में ना उड़ाया करों,
अपने ज़ज़्बात को कभी न छुपाया करो।
महफ़िलों में तो सबसे हँस के मिलती हो,
खिलते हैं फूल तितली सी उड़ा करती हो।
बता दो कोई और तो नहीं तुम्हारे दिल में,
सितारा बन जाऊ हो जाऊ झिलमिल मैं।
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- संजय एम तराणेकर, इन्दौर।




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