बुनियादी सवाल
इलमा अज़ीम
आज देश में करीब 1.5 लाख वर्ग किलोमीटर का मजबूत, आधुनिक बुनियादी ढांचा है, जिसमें निरंतर विस्तार हो रहा है। लेकिन कुछ बुनियादी सवाल हैं, जिनका समाधान दिया जाना चाहिए। यह भी सच है कि आर्थिकी के मामले में अमरीका और चीन हमसे काफी ज्यादा आगे हैं। अमरीका का मुकाबला करने के लिए भारत को अभी लंबा सफर तय करना है। इसी तरह चीन भी हमसे लगभग दोगुना आगे है।
भारत को भी मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए ठोस प्रयास होने चाहिए। मेड इन इंडिया इस लक्ष्य को साधने के लिए एक कुंजी हो सकती है। देश में हवाई अड्डों की संख्या 74 से बढ़ कर 159 हो गई है। नए हवाई अड्डे भी निर्माणाधीन और योजनारत हैं। 2025 में देश में मेट्रो रेल नेटवर्क 1011 किलोमीटर का हो गया है।
देश में औसत व्यक्ति के पास डिजिटल लॉकर और यूपीआई की सुविधा है। भारत में विदेशी मुद्रा का भंडार करीब 690 अरब डॉलर है और नई अर्थव्यवस्था की घोषणा के बाद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी बढ़ रहा है, लेकिन यह भी अहम सवाल है कि भारतीय अरबपति और उनकी कंपनियां विदेशों में अधिक निवेश क्यों कर रही हैं? बेशक भारत आज 357 लाख करोड़ रुपए की अर्थव्यवस्था है, लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में आज भी जीडीपी का क्रमश: 3 और 2 फीसदी ही खर्च क्यों किया जा रहा है? यह कमोबेश 5-6 फीसदी तो होना ही चाहिए।
आईएमएफ की रपट में कहा गया है कि भारत खपत के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं है। यही इसकी ताकत है। भारत की अर्थव्यवस्था उपभोग पर आश्रित है, जबकि चीन की अर्थव्यवस्था निर्यात पर आधारित है। हम एक लोकतांत्रिक देश हैं, लिहाजा हमारी अर्थव्यवस्था खुली है। चीन एक कम्युनिस्ट देश है, जो लगभग तानाशाही के करीब है, लिहाजा उसकी अर्थव्यवस्था बंद और रहस्यमयी है। उपभोग बढ़ेगा, तो बाजार में मांग और खरीद बढ़ेगी, नतीजतन उत्पादन बढ़ेगा। उसी तरह अर्थव्यवस्था का विस्तार होगा।
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