वेंटिलेटर पर सिटी शहर के सिटी बसें 

 51बसों के सिर्फ एक चार्जिग स्टेशन

 समय पर बसे  न मिलने के कारण् यात्रियों को करना पड़ रहा परेशानी का सामना 

 मेरठ। रोडवेज बेडे से शहर में चलने वाली 96 पुरानी बसों हटाने के बाद शहर के यात्रियों की सुविधा से शासन की ओर से 51 इलेक्ट्रिक को उतारा गया। लेकिन इतनी सारी बसों के लिए सिर्फ एक चार्जिग स्टेशन होने के कारण बसों को संचालन पूरी तरह पटरी पर आ गया है। इसका सबसे ज्यादा नुकसान यात्रियों को उठाना पड़ रहा है। रोडवेज अधिकारियों के पास इस समस्या को न तो कोई हल है न ही वह कोई जवाब दे पा रहे है। 

 बता देंशहर मे पूर्व जेनएननयूआरएम योजना के तहत शहर की सड़कों पर सौ से अधिक बसे महानगर में विभिन्न मार्गाे पर चलती थी। इतनी बसे चलने के कारण यात्रियों को आने जाने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता था समय बीतता गया। हर  पांच से दस मिनट पर यात्रियो को बसे मिल जाती थी।जैसे जैसे समय बीता  बसे पुरानी होने के कारण उन्हें हाटना आरंभ कर दिया गया। सिटी ट्रांस्पोर्ट में सुधार को देखते हुए  शासन स्तर से मेरठ को 51 इलेक्ट्रिक बसे मिली। इसका चार्जिग स्टेशन हापुड‍् रोड़ लोहिया नगर में बनाया गया। जिस तरह मेरठ की आबादी बढ़ रही है। उसके हिसाब से यहां 150 सिटी बसों को आवश्यकता है। अब समस्या है लोहिया नगर स्टेशन पर सिर्फ एक ही चार्जिग स्टेशन है। ऐसे में एक साथ 51 बसों को कैसे जार्च किया जा सकता है। आप ही खुद सोच सकते है। पिछले छह माह से सड़कों पर देरी से उतरने से यात्रियों को हलकान होना पड़ रहा  है। 

 सिटी ट्रांस्पोर्ट की जिम्मेदारी संभाल रहे सचिन सक्सेना का कहना है।  वर्तमान समय में 59 बसे सड़कों पर चल रहीे है। जिसमें 51 बसे इलेक्ट्रिक व 8 बसे वाल्वों है। इन बसों की चार्जिग क्षमता सौ किलोमीटर की है। यानी बस को फिर से चार्जिग के लिए स्टेशन आना होता है। इसके कारण ग्रामीण  क्षेत्रों में चलने वाली बसों को शहर मे चलाया जा रहाहै। रोडवेज के अधिकरियों ने सौ नयी बसों की डिमांड शासन को भेज दी है। वैसे मंडलायुक्त ने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए रोडवेज को नोटिस भी भेजा था। इसके बाद सर्वे कराया गया। उन्हें बताया गया कि इलेक्ट्रिक बसों  को सभी रूट पर भेजना संभव नहीं है। वर्तमान समय की बात को 15 बसो की बैटरी खराब है। वह डिपाे मे खड़ी है। यूपी एसटीआरटीसी के क्षेत्रीय प्रबंधक संदीप नायक का कहना है कि दूसरे चार्जिग स्टेशन के लिए जमीन की तलाश की जा रही है। इसके ग्रामीण क्षेत्र में जमीन को प्राथमिकता दी जा रही है। जमीन मिलने पर दूसरा चार्जिग स्टेशन खोला जाएगा। जिससे बसे प्रति दिन 6 चक्कर लागाएगी।

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