दिलों का मिलन सपरिवार...!


हाँ, यहीं हैं खुशहाल परिवार,
इनके बीच नहीं कोई दीवार।
यहाँ छोटे-बड़े में खूब हैं प्यार,
रूठने-मनाने का हैं अधिकार।
आओ मिलकर ख़ुश हो जाए,
एक-दूसरे को उपहार दे आए।

हाँ, यहीं हैं खुशहाल परिवार,
इनके बीच नहीं कोई दीवार।
विश्वास प्यार जहाँ हैं बसता,
भटकने का नहीं कोई रस्ता।
जीवन में आती कई विपदाए,
वहीं तो हमें जीना सिखलाए।

हाँ, यहीं हैं खुशहाल परिवार,
इनके बीच नहीं कोई दीवार।
हो जाती ज़ब कभी-भी रार,
करते क्षमा बिन सोच-विचार।
बिना लिखावट का ये करार,
ये दिलों का मिलन सपरिवार।
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- संजय एम. तराणेकर, इन्दौर।

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