इलमा अज़ीम
लंबे समय तक असहमति के बाद आखिरकार भाजपा नेतृत्व वाली राजग सरकार ने घोषणा कर दी है कि जाति गणना अगली जनगणना का हिस्सा होगी। इस घोषणा के साथ ही भाजपा ने विपक्ष के जातीय गणना के मुद्दे की हवा निकाल दी है।
यह भी हकीकत है कि केंद्र सरकार के लिये अगली जनगणना के साथ ही जाति गणना कराने का फैसला खासा चुनौतीपूर्ण है। जिसके गहरे निहितार्थ सामने आ सकते हैं, जो राजनीतिक व सामाजिक परिदृश्य में बदलावकारी प्रभाव छोड़ सकते हैं। बहुत संभव है कि इसके बाद आबादी के अनुपात में आरक्षण की मांग भी जोर पकड़े। लेकिन प्रथम दृष्टया भाजपा विपक्ष के बड़े हथियार को हथियाने में सफल रही है।
बता दें साल 1931 तक हुई जनगणना में जाति गणना भी शामिल रही है, लेकिन स्वतंत्र भारत में इसकी आवश्यकता को नकार दिया गया। हालांकि, अनुसूचित जाति और जनजाति की गणना की जाती रही। वैसे साल 2011 में सामाजिक व आर्थिक उद्देश्यों के लिये जाति गणना की तो जरूर गई, लेकिन विसंगतियों के चलते आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया गया।
जबकि पिछले कुछ समय से विपक्ष आरक्षण को तार्किक बनाने के लिये जाति गणना की वकालत करता रहा है। हालांकि, पहले भाजपा भारतीय समाज के हित में जाति गणना के प्रस्ताव को अप्रासंगिक बताती रही है, लेकिन देश के राजनीतिक परिदृश्य में विपक्ष द्वारा इसे बड़ा मुद्दा बनाने के बाद केंद्र को इस बाबत फैसला लेने को बाध्य होना पड़ा। हालांकि, इस गणना के आंकड़े सामने आने के बाद आबादी के अनुरूप आरक्षण देने की मांग जोर पकड़ सकती है। कुछ राज्यों के अनुभव इस बात की पुष्टि करते हैं। पिछले दिनों कांग्रेस शासित कर्नाटक में ऐसे जातिगत गणना के आंकड़े लीक होने पर खासा विवाद सामने आया है।
हालांकि, राजग सरकार दलील दे रही है कि जातिगत जनगणना से देश सामाजिक व आर्थिक रूप से सशक्त होगा। लेकिन यह बात भी सच है कि जाति जनगणना से निकली बात बस आंकड़ों तक सीमित नहीं रहेगी। डेटा के आधार पर जातियों, खासकर पिछड़ी जातियों में सब-कैटिगरी का मुद्दा भी आगे बढ़ेगा।
दरअसल, अलग-अलग कोटे में सब-कैटिगरी का सवाल हमेशा संजीदा और सियासी रूप से संवेदनशील रहा है। इसका अब तक सबसे बड़ा फायदा बिहार में नीतीश कुमार ने उठाया है। उन्होंने लालू प्रसाद यादव की पिछड़ों-दलितों की सियासत में सेंध लगाते हुए अति पिछड़ों और महादलित का रास्ता बनाया था। यह दांव उनके लिए मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जाति गणना का भविष्य में क्या रूप होगा।
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