साल 1971 के पैटर्न पर जंग लड़ेगा भारत?

 मॉक ड्रिल से मिल रहे बड़े संकेत

 हो सकते है पाक के दो टुकड़े 

नयी दिल्ली,एजेंसी।पहलगाम की आतंकी घटना के बाद से  पाकिस्तान से तनाव के बीच भारत ताबड़तोड़ तैयारियों में लगा है। इस बीच 4 साल पहले आया डोभाल का एक बयान अब पूरा होता दिख रहा है। भारत सरकार ने बीते दिन ही आदेश दिया है कि 7 मई को देश की 295 जगहों पर मॉक ड्रिल होगी। इससे यह तो साफ कहा जा सकता है कि भारत जरूर कुछ बड़ा सोच रहा है।54 साल पहले 1971 में हुई  मॉक ड्रिल भारत में हुई थी। 

1971भी भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध का माहौल था। हालांकि, इससे पहले और बाद में भी भारत ने कई युद्ध किए हैं, लेकिन देश में कभी मॉक ड्रिल का ऐलान नहीं किया गया। जब साल 1971 में मॉक ड्रिल हुई तो उस समय भारत ने पाकिस्तान को दो धड़ों में बांट दिया था। एक टुकड़े को अलग कर उसे बांग्लादेश बना दिया था। ये अपने आप में बड़ी चीज थी। वहीं, जब इस बार भी देश में मॉक ड्रिल का ऐलान हुआ तो कहीं न कहीं ये इशारा माना जा रहा है कि इस बार भी पाक के दो टुकड़े हो सकते हैं, और भारत पाकिस्तान से बलोच को अलग किया जा सकता है।

अगर पाकिस्तान ने कुछ किया, तो घर में घुसकर जवाब देंगे… यह बात किसी नेता ने नहीं, बल्कि 4 साल पहले देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कही थी। डोभाल ने अपने इस छोटे लेकिन असरदार बयान में साफ कर दिया था कि भारत अब डिफेंसिव मोड में नहीं रहेगा।

इतना ही नहीं डोभाल ने ये भी कहा कि यदि कोई भारत पर हमला करने की सोच भी रहा है, तो उसे जवाब उसी की जमीन पर मिलेगा। यह बयान पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले से पहले आया था, जिसमें 26 निर्दोष सैलानियों की जान गई थी। डोभाल का यह बयान साफ-साफ इशारा कर रहा है कि भारत एक बार फिर पाकिस्तान के भीतर किसी बड़े अलगाव को अंजाम देने की रणनीति पर काम कर सकता है।

स्ट्राइक से आगे की सोच रहा भारत

भारत का फोकस इस बार बलूचिस्तान पर है। दरअसल दो बार स्ट्राइक हो चुकी है इसीलिए इस बार भारत अलग तरीके बदला लेने का प्लान बना रहा है। इससे पहले आतंकी ज्यादातर सुरक्षाबलों को निशाना बनाते थे, लेकिन पहलगाम हमले में पहली बार इतनी संख्या में टूरिस्ट मारे गए हैं। 26 निर्दोष लोग मारे गए। इसीलिए इस बार भारत पाकिस्तान की दुखती रग को सिर्फ छेड़ेगा नहीं, बल्कि पाकिस्तान से छुड़ाकर उसे आजाद करने की कोशिश करेगा।

अब तक के अधिकतर आतंकी हमले सुरक्षाबलों पर केंद्रित होते थे, लेकिन इस बार सीधे आम नागरिकों और पर्यटकों को निशाना बनाया गया। इससे सरकार की जवाबदेही भी बढ़ गई है। यही कारण है कि इस बार भारत ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ या ‘एयर स्ट्राइक’ जैसे सीमित जवाबों से आगे सोच रहा है। माना जा रहा है कि इसके आगे की सोच पाकिस्तान को अलग-थलग किया जा सके. ऐसे में एक ये भी इशारा माना जा रहा है कि भारत पाकिस्तान के टुकड़े करके ही मानेगा।

पाक की दुखती रग पर भारत की मजबूत पकड़

भारत अब पाकिस्तान की दुखती रग पर वार करने की सोच रहा है, और वह है बलूचिस्तान. यहां के लोग, खासकर युवा वर्ग, दशकों से पाकिस्तान के शोषण और सेना की बर्बरता के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। हालिया सोशल मीडिया वीडियो में पाकिस्तान की सेना और स्थानीय पुलिस के बीच टकराव की तस्वीरें सामने आईं, जिससे पता चलता है कि अब सरकार और उसकी मशीनरी में भी दरारें गहराने लगी हैं।

ऐसे में यदि भारत बलूचिस्तान को समर्थन देता है या वहां से पाकिस्तान को अलग करता है, तो इसे न केवल रणनीतिक जीत बल्कि नैतिक समर्थन भी मिल सकता है। बलूच लोग पहले से ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आज़ादी की मांग उठा रहे हैं। भारत के लिए यह कूटनीतिक रूप से भी सही समय है, जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान की आतंकी संरचनाओं को लेकर चिंतित है।

भारत की रणनीति में इस बार दो बातें स्पष्ट दिखाई दे रही हैं। पहली, पाकिस्तान के अंदर दबाव बनाकर एक बड़ा टुकड़ा अलग किया जाए। दूसरी, सैन्य तैयारी को ऐसे स्तर पर पहुंचाया जाए जिससे दुश्मन बिना युद्ध लड़े ही घुटने टेकने को मजबूर हो जाए। मॉक ड्रिल, नई रक्षा खरीद, सीमाओं पर सक्रियता और NSA डोभाल के बयान इन दोनों रणनीतियों की पुष्टि करते हैं कि इस बार भारत सिर्फ बदला नहीं, बदलाव चाहता है. ऐसा बदलाव जो इतिहास में दर्ज हो, और पाकिस्तान के नक्शे को दोबारा खींच दे।

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