मोबाइल की लत विद्यार्थियों को बना रही हिंसक

जिलाअस्पताल के मनोचिकत्सक के पास पहुंच रहे अभिभावक 

 मेरठ। मोबाइल ने बच्चों को डिजिटल गेम्स का आदी बना दिया है। दिन में अधिकतर समय मोबाइल के सम्पर्क में रहने से बच्चों का ब्रेन हार्माेनल संतुलन बिगड़ गया है। इससे वे न सिर्फ सामाजिकता से दूर हो गए हैं, बल्कि हिंसक व्यवहार भी अपनाने लगे हैं। एनजीओ प्रथम फाउंडेशन की एनुअल स्टे्टस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट-2025 बताती है कि 89 प्रतिशत 14 से 16 साल के किशोरों के घरों में कम से कम एक स्मार्टफोन उपलब्ध है। वहीं, 31 प्रतिशत किशोरों के पास अपना निजी स्मार्टफोन है। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि 50 प्रतिशत छात्र रोजाना तीन से चार घंटे सोशल मीडिया पर समय बिताते हैं। हालांकि 57 प्रतिशत छात्र स्मार्टफोन का उपयोग शिक्षा से संबंधित कार्याे के लिए करते हैं। सर्वे में बताया गया कि 40 प्रतिशत छात्रों में स्मार्टफोन के उपयोग की लत है और साइबर ब़ुलिंग तथा अनुचित सामग्री तक पहुंच हो रही है।

मोबाइल ने बच्चों को डिजिटल गेम्स का आदी बना दिया है। दिन में अधिकतर समय मोबाइल के सम्पर्क में रहने से बच्चों का ब्रेन हार्माेनल संतुलन बिगड़ गया है। स्मार्टफोन के लंबे समय तक उपयोग से आंखों में तनाव, सूखापन, मायोपिया, गर्दन व पीठ दर्द, नींद की कमी, थकान, विचलन व पढ़ाई में एकाग्रता की कमी की शिकायतें सामने आई है। अकेलापन, मानसिक तनाव, साइबर बुलिंग, ध्यान भटकना, समय प्रबंधन की कमी और फील्ड वर्किंग में कमी आई है। जिला अस्पताल में मानसिक राेग विभाग में प्रति दिन इस प्रकार के दर्जनों केस आ रहे है। परिजन अपने बच्चों को लेकर पहुंच रहे है।अधिकतर का यही कहना है उनका बच्चा हिंसक प्रवृति का हो रहा है। मोबाइल के वापस लेने के उनका व्यवहार हिंसक हो रहा है।

 मनोरोग विशेषज्ञ डा. कमलेन्द्र किशोर अभिभावकों को ये ही सलाह दे रहे है कि बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करें। उनके अंदर व्यवहार में अचानक बदलाव आएगा।उनका कहना है बच्चों में मोबाइल के गलत और अत्यधिक इस्तेमाल ने हालात चिंताजनक बना दिए हैं। इस गलती की शुरुआत माता-पिता और शैक्षिक परिदृश्य से होती है। माता-पिता छह माह के बच्चे को मोबाइल दिखाना शुरू कर देते हैं। वहीं ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर बच्चा मोबाइल का आदी हो जाता है। कई तरह के गेम्स, अनुचित व आपत्तिजनक सामग्री तथा इलेक्ट्रो रेडिएशन ने ब्रेन हार्मोनल बैलेंस का अनुपात बहुत अधिक बिगड़ जाता है। इससे बच्चे हिंसक व्यवहार करने लगे हैं। ओबिडियन्स ट्रेनिंग, ब्लू व्हेल ने बहुत नुकसान किया है। शिक्षकों को जीरो मोबाइल पॉलिसी पर विचार करना चाहिए।

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