कश्मीर में पर्यटन पर आतंकी आघात

- डा. जयंतीलाल भंडारी
यकीनन 22 अप्रैल को कश्मीर की सबसे खूबसूरत वादियों में से एक और भारत का स्विटजरलैंड कहे जाने वाले पहलगाम में 26 पर्यटकों को क्रूरतापूर्वक मारे जाने के आतंकी हमले ने जम्मू-कश्मीर में उभरते हुए पर्यटन क्षेत्र को करारा झटका दिया है। साथ ही इस हमले ने कश्मीर में पर्यटन से जुड़े लाखों कश्मीरियों के जीवन में निराशा की काली चादर ढंक दी है। कश्मीर में लगभग 5 लाख लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से पर्यटन उद्योग-कारोबार में रोजगार मिला हुआ है। इनमें से अधिकांश के लिए टैक्सी सर्विस, होटल, गाइड, हस्तशिल्प और पर्यटन से जुड़ी गतिविधियां जीविका का साधन है। अब इस आतंकी हमले के बाद कश्मीर में रिकार्ड तोड़ती पयर्टकों की संख्या दम तोड़ते हुए दिखाई दे रही है। बड़ी संख्या में पर्यटक अपनी होटल व फ्लाइट बुकिंग कैंसिल करा रहे है। इसका सीधा असर स्थानीय कश्मीरी लोगों और वहां के पर्यटन उद्योग और कारोबार पर दिखाई देने लगा है। गौरतलब है कि 1990 के दशक में जब कश्मीर में आतंकवाद ऊंचाई पर था और जब कश्मीरी पंडित कश्मीर छोडक़र जा रहे थे, तब कश्मीर में पर्यटकों की संख्या नगण्य हो गई थी, लेकिन कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और विधानसभा चुनाव के बाद कश्मीर को सुरक्षित माने जाने से कश्मीर में देश और दुनिया के पर्यटकों के कदम तेजी से बढऩे लगे। पर्यटन की ताकत के दम पर जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था तेजी से बढऩे लगी। वर्ष 2024-25 में कश्मीर की विकास दर 7 फीसदी से अधिक रही है।



साथ ही कश्मीर का सकल घरेलू उत्पाद (एसजीडीपी) करीब 2.65 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। यहां के लोगों की प्रति व्यक्ति आय भी करीब 11 फीसदी बढक़र डेढ़ लाख रुपए से अधिक हो गई है। बेरोजगारी दर भी घटी है। यदि हम पर्यटकों की संख्या देखें तो यह वर्ष 2020 में करीब 34 लाख थी। वर्ष 2023 में जम्मू और कश्मीर में 2.11 करोड़ पर्यटक पहुंचे थे। यह संख्या वर्ष 2024 में बढक़र 2.36 करोड़ पहुंच गई, जो एक रिकार्ड है। यह बात महत्त्वपूर्ण है कि इस समय कश्मीर के पर्यटन उद्योग का आकार लगभग 12 हजार करोड़ रुपए का है। कश्मीर में आर्थिक गतिविधियों के दायरे में वृद्धि होने से जम्मू-कश्मीर की आर्थिकी में सेवा क्षेत्र का योगदान करीब 61 फीसदी हो गया है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह करीब 55 फीसदी ही है। कश्मीर में गैर कर राजस्व (एनटीआर) में पर्यटन क्षेत्र की हिस्सेदारी तेजी से बढक़र 25 फीसदी से अधिक हो गई है। लेकिन अब इस आतंकी हमले ने कश्मीर के पर्यटन पर ब्रेक लगा दिया है।
पहलगाम आतंकी हमले ने वर्ष 2019 में कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती आतंकी हमले की याद दिला दी है, जिसके कारण कश्मीर में पर्यटन को बड़ा झटका लगा था और 2019 में कश्मीर में आने वाले पर्यटकों की संख्या घटकर आधी रह गई थी। उल्लेखनीय है कि पहलगाम में हुआ आतंकी हमला कश्मीर पर कई आर्थिक चुनौतियां लेकर आया है। कश्मीर का बढ़ता हुआ पर्यटन उद्योग कश्मीर की नई आर्थिक शक्ति है। यदि हम एक दशक पहले के कश्मीर की आर्थिकी को देखें तो पाते हैं कि कश्मीर की आर्थिकी में केंद्र सरकार के द्वारा दिए गए संसाधनों की अधिक भूमिका रही है। जम्मू-कश्मीर के अधिकांश लोग जीवन निर्वाह के लिए परंपरागत कृषि कार्य में लगे हुए दिखाई देते हैं। लेकिन उनकी कृषि में परंपरागत साधनों का ही उपयोग किया जाता रहा है। यद्यपि कश्मीरी लोग चावल, मक्का, गेहूं, जौ, दालें, तिलहन तथा तम्बाकू आदि उत्पादित करते हैं। साथ ही कश्मीर में बड़े-बड़े बागों में सेब, नाशपाती, आडू, शहतूत, अखरोट और बादाम उगाए जाते है, लेकिन इन सबकी उत्पादकता बहुत कम है।

इसमें कोई दो मत नहीं है कि पिछले पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर में देशी और विदेशी पर्यटकों के बढऩे का परिणाम यह रहा है कि जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था में सुधार होने लगा है। कश्मीर के हस्तशिल्प और छोटे उद्योगों का विकास दिखाई देने लगा है। जम्मू-कश्मीर के प्रमुख हस्तशिल्प उत्पादों में कागज़ की लुगदी से बनी वस्तुएं, लकड़ी पर नक्काशी, कालीन, शॉल और कशीदाकारी का सामान आदि शामिल हैं। कश्मीर के प्रसिद्ध पश्मीना का उत्पादन यहीं पाली जाने वाली बकरियों से होता है। रेशम पालन भी कश्मीर में बहुत प्रचलित है। हस्तशिल्प उद्योग से काफी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित होती है। इसके साथ ही परिशुद्धता की जांच करने वाले उपकरण, धातु के बरतन, खेल का सामान, फर्नीचर, माचिस और राल व तारपीन जम्मू-कश्मीर के मुख्य औद्यागिक उत्पादन है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद देश के अन्य क्षेत्रों से इन छोटे उद्योगों एवं हस्तशिल्प क्षेत्र में नई पूंजी प्राप्त होने से ये उद्योग आगे बढऩे लगे हैं।

इसका फायदा यहां के लोगों को सीधे तौर पर रोजगार के अवसर के रूप में मिलने लगा है। ऐसे में कश्मीर से अपने घर को छोडक़र दूसरे राज्यों में नौकरी के लिए जाने वाले युवाओं की संख्या में कमी आने लगी है। कश्मीरी लोगों की प्रति व्यक्ति आय में इजाफा होने के साथ-साथ जीवनस्तर में सुधार होने लगा है। नया देशी-विदेशी निवेश आने से बुनियादी ढांचे, शिक्षा सुविधाओं तथा स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा होने के साथ जम्मू-कश्मीर में आर्थिक-सामाजिक खुशहाली बढऩे लगी है। कश्मीर में प्रॉपर्टी के दामों में उछाल का लाभ जम्मू-कश्मीर के लोगों को मिलने लगा है। ऐसे में पहलगाम में आतंकी हमला न केवल कश्मीर के पर्यटन उद्योग की रीढ़ तोड़ते हुए दिखाई दे रहा है, वरन् इससे पूरे देश में पर्यटन उद्योग और बढ़ते विदेशी पर्यटकों की संख्या पर भी असर पड़ सकता है। विश्व यात्रा एवं पर्यटन परिषद (डब्ल्यूटीसी) के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था का लगभग सात प्रतिशत हिस्सा पर्यटक क्षेत्र से आता है। भारत में पर्यटन उद्योग का आकार वर्ष 2024 में लगभग 256 अरब डॉलर रहा है। पर्यटन उद्योग भारत में करीब 4.5 करोड़ लोगों को रोजगार देता है। तेजी से बढ़ता भारत का पर्यटन उद्योग अगले 10 वर्षों में 523 अरब डॉलर का हो सकता है। हम उम्मीद करें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पहलगाम में आतंकी हमले से निर्मित चुनौती का प्रतिकार करते हुए आतंकियों व पाकिस्तान को ऐसा सबक देगी, जिससे भविष्य में वे ऐसा दुस्साहस नहीं कर पाए।


सरकार के द्वारा पाकिस्तान सहित दुनिया को यह संदेश भी दिया जाए कि भारत अब साफ्ट स्टेट नहीं रहा, वह वैचारिक स्तर पर भी आतंक को समूल खत्म करने की डगर पर आगे बढ़ रहा है। निस्संदेह अब कश्मीर सहित पूरे देश की निगाहें सरकार के द्वारा पहलगाम पर हुए आतंकी हमले के पर्यटन संबंधी दुष्परिणामों को दूर करने और पाकिस्तान और आतंकियों का दुस्साहस तोडऩे की ऐसी रणनीति पर लगी हुई है, जिससे फिर से कश्मीर सहित पूरे देश में पर्यटन की निराशायुक्त काली छाया को पर्यटन की नई आशाओं में बदला जा सके। इस बात को ध्यान में रखा जाना होगा कि कश्मीर में फिर से पर्यटकों की बहार के दम पर ही भारत में वर्ष 2030 तक विदेशी पर्यटकों से 56 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लक्ष्य के साथ वर्ष 2047 तक भारत को एक लाख करोड़ डॉलर की पर्यटन अर्थव्यवस्था बनाने की डगर पर तेजी से आगे कदम बढाए जा सकेंगे।

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