एक साल में 294 बाल विवाह रोके
2030 तक बाल विवाह को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य
मेरठ। बाल विवाह की रोकथाम के लिए जनहित फाउंडेशन ने एक नई पहल की है। फाउंडेशन ने विभिन्न धर्मों के पुरोहितों को इस अभियान से जोड़ा है। यह संगठन जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रेन के साथ मिलकर काम कर रहा है।
जनहित फाउंडेशन की निर्देशिका अनीता राणा के अनुसार, अक्षय तृतीया और शादी के मौसम में बाल विवाह रोकने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत यह एक दंडनीय अपराध है। इस कानून के तहत दो साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।कानून के अनुसार बाल विवाह में शामिल सभी लोगों को दोषी माना जाएगा। इनमें बाराती, कैटरर्स, डेकोरेटर, हलवाई, माली, बैंड-बाजा वाले, मैरिज हॉल के मालिक और विवाह कराने वाले पंडित-मौलवी शामिल हैं। 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की से विवाह के बाद संबंध बनाना पोक्सो कानून के तहत बलात्कार माना जाता है।फाउंडेशन का लक्ष्य 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त बनाना है। इसके लिए चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया कैंपेन चलाया जा रहा है। धर्मगुरुओं ने भी बाल विवाह न कराने की शपथ ली है। संगठन का मानना है कि पुरोहितों के सहयोग से बाल विवाह रोकने में मदद मिलेगी, क्योंकि कोई भी विवाह पुरोहित के बिना संपन्न नहीं हो सकता।
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