एप्रेन्टिसेज़ की सक्रियता को बढ़ावा देने के लिए ज़ोनल रीव्यू मीटिंग्स का हुआ आयोजन

मेरठ। कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय ने नेशनल एप्रेन्टिसशिप प्रोमोशन स्कीम-2 के तहत पूर्वी एवं दक्षिणी राज्यों की ज़ोनल रिव्यू मीटिंग के सफल समापन के साथ भारत की एप्रेन्टिसशिप प्रणाली को आगे बढ़ाने में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल कर ली है।

कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए अतुल कुमार तिवारी (सचिव, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय) ने कहा, भुवनेश्वर के वर्ल्ड स्किल सेंटर में आयोजित इस कार्यशाला में 18 राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों से मुख्य हितधारक एक मंच पर इकट्ठा हुए, उन्होंने मार्च 2026 तक 46 लाख एप्रेन्टिसेज़ को सिस्टम में शामिल करने के लक्ष्य, इसकी योजनाओं, इस दिशा में होने वाली प्रगति और चुनौतियों का मूल्यांकन किया। उन्होंने कहा कि नेशनल एप्रेन्टिसशिप प्रोमोशन स्कीम सिर्फ एक ही प्रोग्राम ही नहीं है, यह भारत की विकास योजनाओं के अनुरूप युवाओं को उद्योग जगत के लिए तैयार करने वाली बदलावकारी यात्रा है। पिछले सालों के दौरान हमने उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है और एप्रेन्टिसेज़ की संख्या को तीन गुना कर, इनमें महिलाओं की भागीदारी बढ़ाकर समावेशन को प्रोत्साहित किया है। हम आधुनिक तकनीकों जैसे आर्टीफिशियल इंटेलीजेन्स और इलेक्ट्रिक व्हीकल मैकेनिक्स को अपना रहे हैं, हम ऐसी प्रणाली बनाने के लिए प्रयासरत हैं, जो दुनिया भर के युवाओं का विश्वस्तरीय कौशल के साथ सशक्त बना सके। उद्योग जगत, एमएसएमई और राज्यों के साथ मिलकर काम करते हुए हम एप्रेन्टिसशिप प्रशिक्षण को लाखों युवाओं के लिए प्रभावशाली बनाना चाहते हैं।’’

मीटिंग का विषय था ‘एप्रेन्टिसशिप ट्रेनिंग फॉर एन इंडस्ट्री-रैडी वर्कफोर्स’, कार्यक्रम के दौरान शिक्षा एवं रोज़गार क्षमता के बीच के अंतर का दूर करने में एप्रेन्टिसशिप की भूमिका पर रोशनी डाली गई। राज्यों तथा टोयोटो किरलोस्कर, टाटा ग्रुप एवं भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड द्वारा प्रेज़ेन्टेशन्स दी गईं। अपनी शुरूआत के बाद से एनएपीएस देश भर में 41.2 लाख एप्रेन्टिसेज़ को प्रशिक्षण दे चुकी है, इसमें से 26 लाख एप्रेन्टिसेज़ को एनएपीएस-2 के दौरान प्रशिक्षित किया गया है। इस योजना के तहत वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देते हुए डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के ज़रिए रु1550 करोड़ (वज़ीफ़ा) का वितरण किया गया, सीधे एप्रेन्टिसेज़ के खाते में भुगतान कर पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और प्रभाविता को सुनिश्चित किया गया है।

रीव्यू सैशन्स के दौरान दोनों ज़ोनों की उपलब्धियों पर रोशनी डाली गई। दक्षिणी ज़ोन में तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना एप्रेन्टिसशिप सक्रियता से अग्रणी रहे हैं, जहां कुल मिलाकर 8 लाख एप्रेन्टिसेज़ का प्रशिक्षित किया गया। इसी तरह पूर्वी ज़ोन में पश्चिम बंगाल, झारखण्ड और उड़ीसा की भागीदारी अधिक रही। उल्लेखनीय है कि एप्रेन्टिसशिप में महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो कौशल विकास को समावेशी बनाने तथा महिलाओं एवं वंचित समुदायों के लिए सुलभ बनाने के प्रयासों को दर्शाता है।

मीटिंग के दौरान कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार रखे गए जैसे उत्तर-पूर्व के वंचित इलाकों में एप्रेन्टिसशिप के अवसर बढ़ाना, डीबीटी के ज़रिए वज़ीफा वितरण की खामियों को दूर करना तथा एनएपीएस के तहत खासतौर पर एमएसएमई में उद्योग जगत की भागीदारी बढ़ाना जो वर्तमान में 38 फीसदी योगदान देते हैं। मीटिंग में हिस्सा लेने वाले हितधारकों ने स्टेट इम्प्लीमेंटेशन रीव्यू कमेटी, स्टेट एप्रेन्टिसशिप काउन्सिल्स के माध्यम से प्रशासनिक संरचना को मजबूत बनाने की योजनाओं पर विचार रखे। साथ ही कौशल विकास एवं शिक्षा के बीच तालमेल बनाने के लिए एप्रेन्टिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम जैसी आधुनिक पहलों को भी प्रोत्साहित किया।

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