सुभारती में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का आयोजन
मेरठ। राहुल सांकृत्यायन सुभारती स्कूल ऑफ लिंग्विस्टिक्स एंड फॉरेन लैंग्वेजेज (भाषा विभाग), कला एवं सामाजिक विज्ञान संकाय, सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ तथा अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्त्वावधान में 'अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस' का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ तथागत ध्यान केन्द्र में दीप प्रज्ज्वलन और मंत्रोच्चार के साथ किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ. जी. के. थपलियाल ने कहा कि मनुष्य का मनोविकास मातृभाषा के द्वारा ही हो सकता है। वह शक्ति केवल मातृभाषा में है जो मानव हृदय में छिपे हुए भावों, विचारों उद्वेगों और रहस्यों को ठीक-ठाक रूप देकर शब्दों में ढाल सकता है। मातृभाषा के बिना किसी भी प्रकार की उन्नति संभव नहीं है। भारतेंदु जब देश को जगाने की चिंता कर रहे तब उनको ‘निज भाषा की’ या कहें मातृभाषा की चिंता थी क्योंकि मातृभाषा ही उनकी अस्मिता है और उनके पूर्वजों का अनुभव है। इसलिए राष्ट्र का निर्माण बिना मातृभाषा के संभव नहीं हो सकता। यही कारण है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषा और बहुभाषा के प्रचार पर इतना बल दिया गया है।
स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ.शल्या राज ने कहा कि मातृभाषा हमें राष्ट्रीयता से जोड़ती है और देश प्रेम की भावना उत्प्रेरित भी करती है। मातृभाषा ही किसी भी व्यक्ति के शब्द और संप्रेषण कौशल की उद्गम होती है। एक कुशल संप्रेषक अपनी मातृभाषा के प्रति उतना ही संवेदनशील होगा जितना विषय-वस्तु के प्रति। मातृभाषा व्यक्ति के संस्कारों की परिचायक है। मातृभाषा से इतर राष्ट्र के संस्कृति की संकल्पना अपूर्ण है तथा विभिन्न मातृभाषाएँ हमारी सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण का साधन हैं।इस अवसर पर सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज के विभागाध्यक्ष डॉ चन्द्रकीर्ति ने कहा कि विश्व के विभिन्न क्षेत्रों की विविध संस्कृतियों एवं बौद्धिक विरासत की रक्षा करना तथा मातृभाषाओं का संरक्षण करना और उन्हें बढ़ावा देना अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस आयोजन का उद्देश्य है।
भाषा विभाग अध्यक्ष डॉ. सीमा शर्मा ने कहा कि डिजिटल युग में भाषा प्रतिनिधित्व की असमानता एक बड़ी चुनौती है। वर्तमान में, केवल सौ से भी कम भाषाएँ डिजिटल दुनिया में प्रमुख रूप से उपयोग हो रही हैं। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, एआई टूल्स और ऑनलाइन शिक्षा में अधिक भाषाई प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना आधुनिक युग में भाषाई विविधता की रक्षा के लिए आवश्यक है।
'अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस' के अंतर्गत विश्वविद्यालय स्तर पर लोक संस्कृति पर आधारित काव्य पाठ, गायन एवं भाषण प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गई जिसमें अलग-अलग महाविद्यालयों के सौ विद्यार्थियों ने पूर्ण उत्साह के साथ सहभागिता की। प्रो. राजेश्वर पाल एवं डॉ शरण पाल ने इन प्रतियोगिताओं का मूल्यांकन किया तथा डॉ. मुकेश मेहता ने स्वरचित कविता का पाठ किया। आयोजन में डॉ रफत खानम, डॉ. यशपाल, डॉ. आशीष कुमार, प्रो. राजेश्वर पाल एवं डॉ शरणपाल डॉ. स्वाति शर्मा, डॉ निशि राघव, डॉ रणवीर, डॉ. प्रीति शर्मा, डॉ. संजय कुमार, डॉ. पल्लबी मुखर्जी एवं ने अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर अपने विचार प्रस्तुत किए। इस कार्यक्रम में भाषा विभाग, सुभारती विधि संकाय, लिबरल आर्ट्स, पत्रकारिता विभाग एवं फार्मेसी संकाय के छात्रों की सक्रिय भागीदारी रही, जिन्होंने अपनी विचारपूर्ण और संगीतमय प्रस्तुतियों से दर्शकों का मनमोह लिया। यह आयोजन सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज के सलाहकार डॉ. हीरो हितो के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ। भाषा विभागाध्यक्ष एवं आयोजन समन्वयक डॉ. सीमा शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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