साहसिक शिविर में शामिल सुभारती एनएसएस का दल मनाली से प्रशिक्षण लेकर पहुंचा वापस:

दस दिनों की कठिन साहसिक गतिविधियों में शामिल रहे सुभारती के एनएसएस स्वयंसेवक;

हिमाचल की पहाड़ियों में एडवेंचर शिविर में शामिल होकर खुश हैं सुभारती का एनएसएस दल:

पर्वतारोहण और कठिन ट्रेकिंग का सपना पूरा हुआ: सुभारती एनएसएस स्वयंसेवक

मेरठ। भारत सरकार के युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय द्वारा एनएसएस के स्वयंसेवकों के लिए अटल बिहारी वाजपेई पर्वतारोहण और सम्बद्ध खेल संस्थान, मनाली (हिमाचल प्रदेश) में आयोजित राष्ट्रीय साहसिक शिविर-2024 में स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के 6 छात्र-छात्राओं को शामिल होने का मौका मिला। विश्वविद्यालय का यह साहसिक दल प्रशिक्षण के बाद आज सकुशल वापस मेरठ पहुंच गया है। इस 10 दिवसीय साहसिक शिविर में एनएसएस के स्वयंसेवकों ने पर्वतारोहण, ट्रैकिंग, रिवर क्रॉसिंग और आपदा प्रबंधन जैसे साहसिक अभियानों का प्रशिक्षण प्राप्त किया। रॉक क्लाइम्बिंग, रैपलिंग, रोप नॉट, रिवर क्रासिंग और डिजास्टर मैनेजमेंट इत्यादि अभियानों का यह प्रशिक्षण संस्थान के कुशल और अनुभवी प्रशिक्षकों द्वारा दिया गया।

हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित इस साहसिक खेल संस्थान में युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय,भारत सरकार द्वारा देश के पांच राज्यों- उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल,महाराष्ट्र और पांडिचेरी के 100 चुनिंदा एनएसएस स्वयंसेवकों को साहसिक अभियानों की गहन रूप से मूलभूत जानकारी से रूबरू कराने के लिए भेजा गया था।

उत्तर प्रदेश के 20 स्वयंसेवकों में से सुभारती विश्वविद्यालय के 6 छात्र-छात्राओं को इस साहसिक शिविर के लिए चुना गया था। साथ ही,उत्तर प्रदेश राज्य का शिविर में नेतृत्व भी सुभारती विश्वविद्यालय द्वारा किया गया। 

सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल (डॉ.)जी.के. थपलियाल ने साहसिक शिविर में शामिल सभी एनएसएस स्वयंसेवकों को बधाई दी है और उम्मीद जताई है कि छात्र भविष्य की साहसिक चुनौतियों के लिए खरे उतरेंगे। 

उत्तर प्रदेश टीम इंचार्ज और सुभारती विश्वविद्यालय के एनएसएस प्रभारी प्रोफे.(डॉ.) सुभाष चंद्र थलेडी ने बताया कि यह शिविर सुभारती विश्वविद्यालय के स्वयंसेवको के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण रहा। इसमें विश्वविद्यालय के छात्र नितेश कुमार तिवारी को शिविर का "कोर लीडर" चुना  गया, जिनके द्वारा सभी प्रतिभागियों को नेतृत्व प्रदान किया गया, जबकि सुभारती की ही चतुर्थ वर्ष कृषि की  छात्रा विद्या को "क्वार्टर मास्टर" की जिम्मेदारी दी गयी। जिसको शिविर में खानपान संबंधी व्यवस्थाओं पर निगरानी का ज़िम्मा था। इसी प्रकार बीएजेमसी की छात्रा अनुष्का सोलंकी को शिविर की सात रोप में से एक  रोप का लीडर बनने का मौका मिला। डॉ. थलेडी ने कहा कि साहसिक शिविर में  विश्वविद्यालय के छात्रों को उनके प्रदर्शन पर महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलना उनकी योग्यता, सर्वोत्तम प्रदर्शन और अभिरुचि को दिखाता है।  डॉ. थलेडी ने बताया कि स्वयंसेवकों ने साहसिक शिविर के 10 दिनों में लगभग 100 किमी. से भी अधिक और 10 हजार फ़ीट की ऊंचाई तक ट्रैकिंग किया। यह सभी कार्यक्रम अबविनास (ABVINAS) मनाली के कुशल प्रशिक्षकों के नेतृत्व में किया गया।सबसे अधिक कठिन ट्रेक मनाली से सोलंग नाला और वहां से वापसी का था जो लगभग 30 किमी. का था। 


स्वयंसेवकों ने सोलंग नाला स्थित संस्थान के "स्की सेंटर" में रिवर क्रॉसिंग और आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण प्राप्त किया।


इस प्रशिक्षण से सभी एनएसएस स्वयंसेवकों का मनोबल बढ़ा है। कोर लीडर नितेश तिवारी ने बताया कि इस शिविर में 10 दिनों तक 100 स्वयंसेवकों का नेतृत्व करना उनके लिए विशेष सौभाग्यपूर्ण रहा और अब वे भविष्य के साहसिक अभियानों के लिए तैयार हैं। इसीप्रकार प्रतिभागी विद्या ने कहा कि एडवेंचर के बारे में वह हमेशा उत्सुक थी लेकिन वास्तविक रूप से साहसिक शिविर में भाग लेना उनके लिए किसी रोमांच से कम नहीं था। उनका मनोवल बढ़ा है। उन्होंने इसके लिए विश्वविद्यालय का आभार प्रकट किया। इसके अलावा बीएजेमसी के छात्र हर्ष भट्ट द्वारा शिविर पर आधारित वीडियो रिपोर्ट बनाई गई जिसका प्रदर्शन समापन सत्र में किया गया। इसको संस्थान के पदाधिकारियों और सभी प्रदेशों के स्वयंसवेकों द्वारा सराहा गया। इसके अतिरिक्त प्रतिभागी सुदर्शनी रतूड़ी और अमित कुमार ने भी अपने दायित्वों को निभाया।


साहसिक शिविर के अंतिम दिन शुक्रवार को संस्थान के पदाधिकारियों द्वारा साहसिक शिविर में भाग लेने वाले सभी स्वयंसेवकों और दल नायकों को प्रमाण पत्र दिया गया और संस्थान का बैज लगाकर सम्मानित किया गया। इस दौरान अनेक ख्याति प्राप्त पर्वतारोही और साहसिक खेल प्रेमी उपस्थित रहे।

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