मानसिक तंदुरुस्ती एक ऐसी स्थिति जिनमें व्यक्ति जीवन के तनावों से निपट पाता है-डॉ. एरिक क्बुका
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेंटल हेल्थ में सांस्कृतिक विभिन्नताओं पर वर्कशॉप आयोजित
मेरठ। मनोविज्ञान विभाग, चौ.चरण सिंह विवि, नेशनल एसोसिएशन ऑफ साइकोलॉजिकल साइंस इंडिया, एवं मेंटल हेल्थ मिशन इंडिया, मेरठ के संयुक्त तत्वाधान में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मनोविज्ञान विज्ञान कांग्रेस के तीसरे दिन ऑनलाइन माध्यम से डॉ. एरिक क्बुका, मस्सिनों यूनिवर्सिटी केन्या, ईस्ट अफ्रीका द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेंटल हेल्थ में सांस्कृतिक विभिन्नताओं पर वर्कशॉप आयोजित की गई।
जिसमें उन्होंने बताया कि मानसिक तंदुरुस्ती एक ऐसी स्थिति जिनमें व्यक्ति जीवन के तनावों से निपट पाता है। उन्होंने कुछ संस्कृतियों जैसे अरब कल्चर , लेटिन अमेरिकन कल्चर, आदि में बीमारियों की पहचान अलग अलग की जाती है पर उनके समाधान के लिए कम्युनिटी स्तर पर प्रयास की जरूरत है। उसके उपरान्त पांच समांतर वैज्ञानिक सत्र आयोजित किए गए जिनमे पीयर प्रेशर, इमोशनल इंटेलिजेंस, मेंटल हेल्थ इश्यू आदि विषय पर प्रतिभागियों ने ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से अपने शोध पत्र प्रस्तुत किएl अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप मे प्रो० वाई. विमला (मेंबर एग्जीक्यूट काउंसलर) चीफ़ गेस्ट रहीं। गेस्ट ऑफ होनर के रूप मे प्रो० ए.वी.एस मदनावत, एवं प्रो० राकेश कुमार, रहे। कार्यक्रम में सभीं का स्वागत डॉ अल्पना अग्रवाल ने किया और बताया कि मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनाए रखने के लिए पहले हमे स्वयं के अनादर ऐसे कौशल विकसित करने चाहिए कि हम अपनी समस्याओं का समाधान खुद से कर सकें।
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कॉन्फ्रेंस समन्वयक प्रो. संजय कुमार ने बताया कि हम जितनी आसानी से मानसिक बीमारी को समझते वो उतनी सामान्य बात नहीं है बल्कि जब किसी परिवार में कोई व्यक्ति मानसिक बीमारी का शिकार होता है वह अकेले बीमार नहीं होता बल्कि पूरा परिवार तकलीफ में होता है जिससे कि पूरे परिवार की मानसिक, आर्थिक और सकारात्मक स्थिति बिगड़ जाती है और कभी कभी तो ऐसे परिवारों को समाज तक नकार देता है। इसलिए इस पर हम सबको कम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लोग आज भी मानसिक स्वास्थ्य पर बात करना कलंकित होना समझते हैं जिसके लिए उन्हें जागरूक करने की जरूरत और इसकी मुख्य जिम्मेदारी यदि किसी पर है तो वह मनोविज्ञान के शिक्षकों, विद्यार्थियों और इस क्षेत्र में काम करने वाले पेशेवरों की है कि हम बाहर निकल कर लोगों को जागरूक करें कि वो अपने अनादर मानसिक समस्याओं को कैसे पहचाने, किससे मिलें और कैसे खुश रहें। उन्होंने कह कि कॉन्फ्रेंस के प्रतिभागियों को कहा कि इस कॉन्फ्रेंस से सबको यह मैसेज लेके जाना है कि यदि उनके आस पास कोई दुखी निराश और परेशान दिखे तो उनको सहानुभूति के साथ कहें कि क्या मैं आपकी हेल्प कर सकता या सकती हूं। एक ऐसी शुरुआत कई जिंदगियों में खुशियां भर सकती है।
प्रो. राकेश कुमार ने कहा कि आज एक साइकोलॉजिस्ट की भूमिका बढ़ती जा रही है क्योंकि लोग आज सोशल मीडिया का इस्तेमाल की वजह से लोग मानसिक समस्याओं का शिकार हो रहे हैं। उसके उपरान्त विभाग के विद्यार्थी एवं यूनिवर्सिटी ऑफ जम्मू के दिवंगत शिक्षक डॉ चंद्रशेखर की पत्नि को सम्मानित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। डॉ ए. वी. एस मदनावत कहा कि कैसे मोन की अवस्था एक ऐसी अवस्था है जिससे कई मानसिक बीमारियों से बचा जा सकता है। तथापि हमे सकारात्मक रहकर खुद को खुश रखना चाहिए। कॉन्फ्रेंस में बेस्ट पेपर अवॉर्ड "कांसेप्ट बेस्टड वीडियो गेम्स फॉर वेल्यू एजुकेशन ड्रिवन बाय पंचतंत्र स्टोरीज" विषय को संयुक्त रूप से नेत्राशा सिंह शेखावत और मोनूशीला को दिया गया। उसके उपरान्त डॉ रितेश कुमार नारायण को एम एच एम इंडिया नेशनल अवॉर्ड फॉर मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से सम्मानित सम्मानित किया
इसी श्रृंखला में एम एच एम इंडिया नेशनल अवॉर्ड फॉर मेंटल हेल्थ सेन्टर के लिए डॉ. सम्यक जैन द्वारा संचालित इंडियन न्यूरो साइंस एवं हेडएक सेंटर को दिया गया एवं एम एच एम इंडिया अवॉर्ड फॉर विजनरी लीडर कलकत्ता की डॉ टीनी दत्ता को दिया गया। इसके उपरांत एम एच एम इंडिया द्वारा 20 स्कूलों के प्रिंसिपल को मानसिक जागरूकता अभियान में सहयोग एवं भागेदारी के लिए ह्यूमैनिटीअन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया (।जिनमें पारुल, वीके कान्हा , योगेश त्यागी , सुनील शर्मा , शालू मल्होत्रा, मनीष, आदि रहे। मुख्य अतिथि के वक्तव्य में प्रो. वाई विमला ने कॉन्फ्रेंस की सफलता पर विभाग के सभी शिक्षकों और विद्यार्थीयों को बधाई दी एवं बताया कि अगर आप किसी वजह से तनाव महसूस करते हैं तो आप अपने मन की बात को लिख कर भी अपने मन को हल्का कर सकते हैं जिससे कई प्रकार की परेशानी से बच सकते है। समापन के दौरान कॉन्फ्रेंस में सहयोग कर सफल बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले मनोविज्ञान विभाग के सभी विद्यार्थियों, गोविंद, दिव्यांशी, प्रिया, मुकेश, रुक्कैया, मीना, रचना, प्रियांशी, खुशी, झलक, अनुभव, शानू , मयंक, रूपसी, अनुराग, आदि को सम्मानित किया गया।
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