यूपी में बेसिक शिक्षकों का समायोजन रद्द
लखनऊ हाईकोर्ट ने कहा- गलतियों को सुधारा जाए; 80-90% स्कूलों पर पड़ेगा असर
लखनऊ।इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों के समायोजन की प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। इस फैसले से विभाग द्वारा चल रही समायोजन प्रक्रिया पर रोक लग गई है, जिससे बड़ी संख्या में शिक्षक प्रभावित हुए हैं।
कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देशित किया है कि समायोजन से जुड़ी सभी गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए और समायोजन प्रक्रिया में की गई गलतियों को सुधारने के लिए उचित कदम उठाया जाए।
यूपी के बेसिक शिक्षा विभाग में समायोजन के लिए लागू नियम लास्ट कम फर्स्ट आउट को संविधान के अनुच्छेद 14 के विरुद्ध मना है। इसके तहत नया टीचर आने पर हर बार वरीयता में नीचे रहता है। ट्रांसफर पॉलिसी में बाहर हो जाता है। जबकि सीनियर टीचर लंबे समय तक एक ही जगह पर तैनात रहता है।
रीना सिंह एंड अदर्स वर्सेज स्टेट ऑफ यूपी केस में दिए गए आदेश में कोर्ट ने अनुच्छेद 14 के साथ ही 16 का उल्लंघन बताया है। कोर्ट ने कहा- हर बार इस प्रक्रिया के तहत जूनियर शिक्षक समायोजित होता रहेगा और सीनियर शिक्षक जहां जमा है, वहीं रह जाएगा।कोर्ट के इस आदेश का असर सीनियर शिक्षकों पर भी पड़ेगा। अब वह भी समयोजन के दायरे में आएंगे। ऐसे में 80-90% बेसिक स्कूलों पर इस आदेश का असर पड़ता दिख रहा है। हालांकि जानकार आदेश के खिलाफ अपील दायर होने की बात कह रहे हैं।
सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग में 30 छात्रों पर 1 टीचर का अनुपात तय किया है। इस अनुपात को मेंटेन करने के लिए करीब 1 लाख 47 हजार शिक्षामित्रों को भी शामिल किया गया है। वहीं, अपर प्राइमरी में 35 बच्चों पर एक टीचर का अनुपात है, छात्र-शिक्षक अनुपात को पूरा करने के लिए 26 हजार अनुदेशकों को जोड़ा गया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में शिक्षा मित्रों का समायोजन रद्द कर दिया था। शिक्षामित्र-अनुदेशकों का मानदेय शिक्षकों के मुकाबले बेहद कम है।
सरकार के इस अनुपात-समानुपात के बीच शिक्षक भर्ती का इंतजार कर रहा अभ्यर्थी फंस गया है। यूपी के ही करीब 15 हजार से ज्यादा अभ्यर्थी पड़ोसी राज्य बिहार में जाकर शिक्षक बने हैं। इन सबकी पहली चॉइस यूपी में नौकरी करने की रही थी। बाकी के युवा भी यही चाहते हैं कि सरकार भर्ती निकाले, उन्हें शिक्षक बनने का मौका मिले।
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