कृषि सुधार और आर्थिकी
इलमा अजीम
हाल ही में प्रधानमंत्री की अगुआई में हुई केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग में कृषि क्षेत्र से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। इसमें 7 बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इन पर कुल 14000 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इनमें से 2817 करोड़ रुपए डिजिटल कृषि मिशन के लिए दिए जाएंगे। वहीं फसल विज्ञान पर 3979 करोड़ रुपए खर्च होंगे। कृषि शिक्षा और प्रबंधन को बेहतर करने के लिए 2291 करोड़ रुपए के प्रोग्राम को मंजूरी दी गई। पशुधन के स्थायी स्वास्थ्य के लिए 1702 करोड़ रुपए के प्लान को मंजूरी दी गई है। पिछले कुछ समय से जीडीपी में कृषि का योगदान घट रहा था। लेकिन मोदी सरकार की हालिया पहल से कृषि क्षेत्र और किसानों को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद है। इस परिप्रेक्ष्य में केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ये सात योजनाएं कृषि क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होंगी और कृषि उन्नयन के प्रयासों से आर्थिकी तेजी से आगे बढ़ेगी।
गौरतलब है कि 3 सितंबर को विश्व बैंक के द्वारा जारी ‘इंडिया डेवलपमेंट अपडेट’ रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र में सुधार व ग्रामीण मांग में तेजी के चलते भारत की विकास दर 7 फीसदी के स्तर पर पहुंचते हुए दिखाई देगी। बढ़ते हुए कृषि उत्पादन और ग्रामीण भारत के विकास के लिए सरकारी योजनाओं के तहत किए गए भारी व्यय तथा स्वरोजगार की ग्रामीण योजनाओं से ग्रामीण परिवारों की आमदनी में तेज इजाफे के साथ उनकी क्रय शक्ति बढ़ी है। ऐसे में भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण अधिक खर्च कर रहे हैं।
कृषि संबंधी संसाधनों की अधिक बिक्री हो रही है, वरन गांवों में उपभोक्ताओं की खरीददारी भी उच्च स्तर पर है। यह सब ग्रामीण भारत में भविष्य के प्रति उत्साह और वर्तमान के बेहतर परिणामों का प्रतीक है। नि:संदेह सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया है। कृषि व्यवस्था को ट्रांसफॉर्म करना समय की मांग है। सरकार के द्वारा कृषि व ग्रामीण विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दिए जाने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।
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