सावधानी हटी दुर्घटना घटी, जल्दी से देर भली
डॉ. अशोक कुमार वर्मा
प्रतिदिन समाचार पत्रों और जनसंचार माध्यमों से ज्ञात होता है कि सड़कों पर तीव्र गति और लापरवाही से चलने वाले ईंधन चलित वाहन चालक निर्दोष लोगों के प्राणों को सड़कों पर भेंट चढ़ा रहे हैं। यद्यपि ऐसे उद्दंड वाहन चालकों की सड़कों की भेंट चढ़ चुके उन निर्दोष लोगों से कोई द्वेष या शत्रुता नहीं होती तो भी उनकी लापरवाही और असावधानी के कारण अन्य लोग अपने प्राण गंवाते हैं। आज ही पूर्वी दिल्ली शास्त्री पार्क में घटित हुई हृदयविदारक घटना ने हृदय को झिंझोड़ कर रख दिया जिसमें एक तीव्र गति से आ रहे ट्रक ने पांच बेघर लोगों को कुचला। इस घटना में 3 लोगों की मृत्यु हो गई। प्रात: लगभग 5:30 बजे यह घटना हुई। हुआ ऐसा कि सड़क के डिवाइडर पर 5 व्यक्ति सो रहे थे। अकस्मात ट्रक ने उन्हें कुचल दिया। घायलों को जग प्रवेश चंद्र अस्पताल ले जाया गया, जहां पर लोगों तीन को मृत घोषित कर दिया गया और शेष दो की अवस्था गंभीर है। इन्हें जीटीबी अस्पताल रेफर कर दिया गया।
यह कोई पहली घटना नहीं है जिसे देखकर और सुनकर मनुष्य का हृदय गहन दुःख के सागर में डूब जाता है। एक घटना मेरे सामने वर्ष 1999 में घटित हुई कि एक रिक्शा में माँ बेटी बैठे हुए थे कि सड़क पर जाम लग गया और एक ट्रक धीरे धीरे रुक रुक कर आगे बढ़ रहा था। रिक्शा वाला ट्रक के दाई और से आगे बढ़ने लगा कि अचानक रिक्शा में बैठी महिला जो बहुत भारी थी गिर गई और ट्रक के पिछले पहिये के नीचे उसका सिर कुचला गया और घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई। यहाँ पर ट्रक चालक की यह लापरवाही थी कि उसने बैक मिरर से यह नहीं देखा कि रिक्शा उसे ओवरटेक करने का प्रयास कर रहा है। यह घटना इतनी हृदयविदारक थी कि आज भी जब सोचता हूँ तो हृदय भीतर से काँप जाता है।
राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार भारत में 90 प्रतिशत अपराधों के पीछे केवल एक ही मुख्य कारण है और वो है नशा। प्राय: देखने में आता है कि व्यावसायिक वाहनों के चालक कई कई घंटे तक अपने वाहन को चलाते हैं क्योंकि उन्हें कम समय में अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचना होता है। इस कारण वो बिना विश्राम नहीं करते। समुचित नींद नहीं लेते जिस कारण उनकी झपकी लग जाती है जो भयंकर दुर्घटना का कारण बनती है। अधिकतर चालक नींद को रोकने के लिए कोई न कोई नशा करते हैं। यह एक भ्रान्ति उनके मस्तिष्क में बैठ गई है कि नशा करके नींद नहीं आती जो अनुचित है। इसके साथ ही गंतव्य स्थान तक पहुँचने के लिए शीघ्रता करते हुए वाहन को बहुत अधिक गति से दौड़ाते हैं। अनेक वाहन चालक अपने साथ क्लीनर को रखते हैं और कई बार उनके हाथ में गाडी का स्टेयरिंग सौंपकर सो जाते हैं।
आज सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि आज एक एक व्यक्ति के पास अनेक वाहन हैं और उन्हें वाहन चलाने का समुचित ज्ञान नहीं है। यद्यपि भारत सरकार और राज्यों की सरकारों द्वारा चालक प्रशिक्षण प्राप्त करना अत्यावश्यक है। उन्हें सड़क पर वाहन चलाने बारे पूर्ण ज्ञान दिया जाता है। प्रशिक्षण उत्तीर्ण करने के उपरांत ही उन्हें लाइसेंस दिया जाता है। तो भी अनेक लोग इन नियमों का पालन न करके अपने जीवन के साथ साथ अन्य लोगों के जीवन को भी संकट में डालते हैं।
आज भारत में सड़कों का जाल बिछा दिया गया है। सड़के चौड़ी और सुविधजनक हो चुकी हैं। सड़कें 6 लेन और 4 लेन बन चुकी हैं। इन लेन पर भी चलने का नियम है लेकिन न केवल भारी वाहन चालक अपितु दो पहिया वाले वाहन चालक भी निर्धारित लेन को छोड़कर ओवरटेकिंग वाली लेन का प्रयोग करते हैं जो बहुत अधिक अनुचित और संकट का कारण बन सकती है। यद्यपि हरियाणा जैसे विकसित राज्य में लेन ड्राइविंग पर बहुत अधिक ध्यान दिया जा रहा है और नियमों की अवहेलना करने वाले वाहन चालकों के चालान काटे जा रहे हैं तो भी प्रत्येक वाहन चालक का कर्तव्य है कि वह सड़क पर कोई भी वाहन लाने से पहले यह सुनिश्चित कर ले कि क्या वह निर्धारित आयु का हो चूका है। यदि हाँ तो क्या उसके पास वाहन चलाने के लिए लाइसेंस है। जिस वाहन को वो सड़क पर लेकर आ रहा है उसका पंजीकरण वैद्य है। वाहन का बीमा, प्रदुषण जांच प्रमाण पत्र, वाहन की स्थिति और ब्रेक क्लच टायरों में हवा आदि पूरी है या नहीं।
कहा गया है सावधानी हटी दुर्घटना घटी और ना से देर भली। यह सत्य है कि आज हर व्यक्ति किसी न किसी तनाव में है। इसके उल्ट अनेक युवा मौज मस्ती के चक्कर में मोटर साइकिल और बुलेट पर नंबर प्लेट ही नहीं लगाते जो सर्वथा अनुचित और दंडनीय अपराध है। इतना ही नहीं साइलेंसर उतरवाकर सड़कों पर हुड़दंग मचाते हैं। सबको स्मरण रखना चाहिए कि सड़क किसी के बाप की नहीं है अपितु सार्वजनिक है। मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन करके आर्थिक दंड की राशि को 10 गुना बढ़ा दिया गया है।
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