पुलिस ने बड़े-बड़े जज ठीक कर दिए

पटरी पर लेटने वाले दारोगा की करतूत सामने आई 

 अलीगढ़ ,एजेसी।  बीते दिनों  अलीगढ़ में एक दारोगा के रेल की पटरी पर लेटने का मामला सामने आया था. दारोगा ने एक रिमांड जज पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था। दारोगा का कहना था कि जज हर 10 मिनट में उनको कैबिन में बुलाते हैं और उनको जलील करते हैं. अब इस मामले में नया मोड़ आया है जहां रिमांड जज ने दारोगा पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

 दारोगा का कहना था कि जज हर 10 मिनट में उनको कैबिन में बुलाते हैं और उनको जलील करते हैं जिससे तंग आकर वो रेल की पटरी पर जान देने उतर आए थे। ये वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था लेकिन अब इस कहानी में एक नया पेंच आ गया है। रिमांड जज ने भी दारोगा के ऊपर कोर्ट में अपशब्द कहने का आरोप लगाया है।

रिमांड मजिस्ट्रेट ने दरोगा पर न्यायालय में उनके साथ अभद्र व्यवहार कर धमकी दिए जाने का गंभीर आरोप लगाया है इसके बाद सीजेएम ने रिमांड मजिस्ट्रेट के साथ न्यायालय में दारोगा द्वारा अभद्र व्यवहार कर धमकी दिए जाने के मामले में अलीगढ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत भेजी है। एसएसपी को भेजी गई शिकायत में जज ने आरोप लगाया है कि आरोपी दारोगा ने उनको खुलेआम धमकी देते हुए कहा कि पुलिस ने बड़े-बड़े जज ठीक कर दिए हैं, एक रिपोर्ट लिखा देंगे, दिमाग ठिकाने आ जाएंगे।

ये था मामला 

दरअसल, दारोगा सचिन कुमार बन्नादेवी थाने में तैनात हैं। बीते दिनों उन्होंने एक वाहन चोरी गैंग को पकड़ा था। इस वाहन चोरी गैंग में आरोपी अदीब, अरमान, आमिर, शारिक और फैज को 16 सितंबर को न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने रिमांड के लिए पेश किया गया था। दारोगा ने आरोप लगाया कि मजिस्ट्रेट शाम 5 बजे आए, लेकिन उन्होंने रिमांड नहीं दी। साथ ही उन्हें रात 10 बजे तक कोर्ट में रोककर रखा। मजिस्ट्रेट ने कहा कि रिमांड के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं, जबकी उन्होंने हर एक सबूत पेश किया था जो रिमांड के लिए जरूरी था। 

जज ने अपने शिकायती लेटर में बताया कि जब उन्होंने यह आदेश दिया, तब केस के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर सचिन कुमार ने भरी अदालत में कमेंट करते हुए कहा कि पुलिस के पास इतना समय नहीं है कि वो ऐसी फालतू की सूचना आरोपियों के घरवालों को देते फिरें। जज ने बताया कि यह टिप्पणी सुनकर उन्होंने दरोगा से कहा कि कोर्ट यह देखता है कि आरोपी के अधिकारों का हनन तो नहीं हो रहा है। इसपर दारोगा ने जवाब देते हुए कहा कि रिमांड मजिस्ट्रेट का काम रिमांड देना है, पुलिस जो भी आरोपी लाएगी उसके कागजों की बारीकि न देखी जाए, रिमांड देना मजिस्ट्रेट की मजबूरी है। दरोगा की यह बात सुनते ही मैंने कहा कि ऐसी भाषा का प्रयोग न करें। जज के मुताबिक इसके बाद दनदनाते हुए कहा कि पुलिस ने बड़े-बड़े जज ठीक कर दिए हैं। एक रिपोर्ट लिखा देंगे, दिमाग ठिकाने आ जाएंगे।फिर रिमांड डॉक्यूमेंट और केस डायरी मेरे सामने फेंक दिए और वहां से चले गए। फिलहाल, एसपी सिटी मृगांग शेखर पाठक ने बताया कि जज ने दरोगा के खिलाफ शिकायत की है। मामले की जांच की जा रही है। दरोगा से भी पूछताछ की जा रही है। केस से जुड़े हर तथ्य को देखा जा रहा है, जिससे सब स्पष्ट हो सके।  जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। 

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