विनेश फोगाट के बहाने...!

- नृपेन्द्र अभिषेक नृप
विनेश फोगाट, भारतीय कुश्ती की वह शूरवीरा, जिसने देश को वैश्विक मंच पर गौरवान्वित किया, आज सोशल मीडिया के अंधेरे कोनों में अपमानजनक टिप्पणियों का सामना कर रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोगों ने अपनी घातक मानसिकता के चलते ऐसा नैतिक पतन दिखाया है, जो भारतीय संस्कृति और सभ्यता के मूल्यों का सीधा उल्लंघन है। ऐसे समाज में, जहां नारी को देवी का स्थान दिया गया है, वहां इस प्रकार की अभद्रता अत्यंत निंदनीय और विचारणीय है।

भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। वेदों और पुराणों में नारी को शक्ति, धैर्य, और करुणा का प्रतीक माना गया है। परंतु, आज के युग में कुछ लोग अपनी विक्षिप्त मानसिकता के कारण इस परंपरा का अपमान कर रहे हैं। विनेश फोगाट के खिलाफ जिस तरह की घृणास्पद टिप्पणियां की जा रही हैं, वह इस बात का प्रमाण है कि इंसानियत और संवेदनशीलता जैसी भावनाएं अब केवल पुस्तकों तक सीमित हो गई हैं। इस तरह के कृत्य यह भी दर्शाते हैं कि हम अपनी सांस्कृतिक जड़ों से कितनी दूर चले गए हैं।

यह अत्यंत शर्मनाक है कि जिस देश में मां, बहन, बेटी को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, उसी देश में कुछ लोग एक नारी के संघर्ष और उसकी उपलब्धियों को नजरअंदाज कर उसके प्रति अभद्र व्यवहार कर रहे हैं। ये लोग शायद भूल गए हैं कि उनकी यही घृणास्पद मानसिकता उनके परिवार की महिलाओं के प्रति भी हो सकती है। यह कोई सामान्य ट्रोलिंग नहीं, बल्कि भारतीय समाज के नैतिक पतन का स्पष्ट संकेत है।

विनेश फोगाट ने ओलंपिक के मंच पर न केवल अपने खेल कौशल से बल्कि अपनी दृढ़ता और साहस से भी यह साबित किया कि वह सच्ची विजेता हैं। भले ही उनके हाथ में पदक न आया हो, लेकिन उन्होंने भारतीय खेल जगत को वह ऊँचाई दी है, जो अब तक किसी ने नहीं दी थी। वह केवल एक खिलाड़ी नहीं हैं, बल्कि एक प्रेरणा स्रोत हैं, जो न केवल शारीरिक प्रतिद्वंद्वियों से लड़ रही थीं, बल्कि समाज के उस घातक मानसिकता वाले वर्ग से भी, जो एक रेपिस्ट का समर्थन करने में संकोच नहीं करता।

यह बात अत्यंत विचारणीय है कि कैसे एक नारी, जिसने देश के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया, उसे उस समाज से इस प्रकार की अपमानजनक टिप्पणियां सहनी पड़ रही हैं। ऐसे लोग जो विनेश की हार का जश्न मना रहे हैं, उन्हें यह याद रखना चाहिए कि उन्होंने केवल खेल में ही नहीं, बल्कि उन सभी घृणास्पद मानसिकताओं के खिलाफ भी विजय प्राप्त की है, जो महिलाओं को सिर्फ एक वस्तु समझते हैं।

विनेश फोगाट ने अपने संघर्ष और कर्तव्यनिष्ठा से यह सिद्ध कर दिया है कि सच्ची जीत केवल पदक पाने में नहीं है, बल्कि उन सभी बुराइयों और कुरीतियों के खिलाफ खड़ा होने में है, जो समाज को गर्त में धकेल रही हैं। उन्होंने यह संदेश दिया है कि नारी केवल एक कमजोर कड़ी नहीं है, बल्कि वह समाज के पतन को रोकने वाली एक सशक्त शक्ति है।

आज के इस युग में, जहां तकनीक और सोशल मीडिया ने लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है, वहां इस स्वतंत्रता का दुरुपयोग भी हो रहा है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ-साथ जिम्मेदारी भी आती है। किसी की मेहनत, उसके संघर्ष और उसकी भावना का अपमान करना न केवल अनैतिक है, बल्कि वह समाज के नैतिक पतन का भी संकेत है।

समाज के उन लोगों के लिए, जो विनेश फोगाट के प्रति अपनी घृणा प्रदर्शित कर रहे हैं, यह आवश्यक है कि वे आत्ममंथन करें। उन्हें यह समझना होगा कि नारी का अपमान करना भारतीय संस्कृति का अपमान है। यदि हम सचमुच अपने देश की संस्कृति और सभ्यता का सम्मान करते हैं, तो हमें महिलाओं का सम्मान करना सीखना होगा। हमें यह समझना होगा कि नारी का अपमान करना, समाज के नैतिक पतन का प्रतीक है, और यह पतन हमें कहीं न कहीं हमारे अपने परिवार की महिलाओं तक भी ले जा सकता है।

इसलिए,यह आवश्यक है कि हम अपने समाज को पुनः अपनी मूल्यों की ओर लौटाएं। नारी का सम्मान करना केवल एक सांस्कृतिक कर्तव्य नहीं, बल्कि एक नैतिक दायित्व है। विनेश फोगाट जैसी महिलाओं ने हमारे देश को गौरवान्वित किया है, और उनका अपमान करने वाले लोग केवल अपने ही चरित्र का पतन कर रहे हैं।


समय आ गया है कि हम समाज में उन लोगों के खिलाफ खड़े हों, जो अपनी घातक मानसिकता के कारण महिलाओं का अपमान कर रहे हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भारतीय समाज नारी सम्मान के उन उच्च मानकों को पुनः स्थापित करे, जो कभी इसकी पहचान थे। केवल तभी हम एक सशक्त और संवेदनशील समाज की कल्पना कर सकते हैं, जहां हर नारी का सम्मान हो, और जहां विनेश फोगाट जैसी वीरांगनाओं को उनके संघर्ष और सफलता के लिए सम्मानित किया जाए, न कि अपमानित।

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