बजट से उम्मीद की किरण 
 इलमा अजीम 
आज पूरे देश की निगाहें वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा पेश किए जाने वाले केंद्रीय बजट 2024-25 की ओर लगी हुई हैं। यह उम्मीद की जा रही है कि वर्ष 2012-13 के बाद महंगाई के हिसाब से जिस आयकरदाता और मध्यम वर्ग को राहत नहीं मिली है, अब वित्तमंत्री नए बजट के माध्यम से आयकरदाता और मध्यम वर्ग की क्रयशक्ति बढ़ाकर मांग में वृद्धि करके अर्थव्यवस्था को गतिशील करने की रणनीति पर आगे बढ़ते हुए दिखाई दे सकती हैं। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि मध्यम वर्ग को राहत देने को लेकर विशेष रूप से कोरोना महामारी के बाद लगातार मांग तेज हुई है। सरकार ने विगत वर्षों में जहां गरीब लोगों के लिए ढेर सारी राहतों का ऐलान किया, वहीं कॉरपोरेट जगत पर भी सरकार ने ध्यान दिया। लेकिन राहत पाने के मद्देनजर सबसे अधिक टैक्स देने वाला मध्यम वर्ग पीछे छूट गया। 18वीं लोकसभा चुनाव के मतदान में मध्यम वर्ग की नाराजगी भी दिखाई दी है। इस पूर्ण बजट 2024-25 के समय वित्तमंत्री सीतारमण के पास आयकर संबंधी मजबूत परिदृश्य मौजूद है। पिछले 10 वर्षों में आयकर रिटर्न भरने वाले आयकरदाताओं की संख्या और आयकर की प्राप्ति में छलांगे लगाकर वृद्धि हुई है। 2023-24 में आयकर रिटर्न रिकॉर्ड 8 करोड़ के स्तर को पार कर चुका है और पिछले 10 वर्षों में आयकर रिटर्न भरने वाले दोगुने से अधिक हुए हैं। ऐसे में वित्तमंत्री सीतारमण मजबूत वित्तीय मुठ्ठी से आयकर के नए और पुराने दोनों स्लैब की व्यवस्थाओं के तहत करदाताओं व मध्यम वर्ग को अभूतपूर्व राहतों से लाभान्वित कर सकती हैं। खासतौर से वेतनभोगी वर्ग को लाभान्वित करने के भी विशेष प्रावधान नए बजट में दिखाई दे सकते हैं। इसके तहत मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) सीमा को 50000 रुपए से बढ़ाकर एक लाख रुपए तक किया जा सकता है। नए बजट के तहत आयकर से संबंधित विभिन्न टैक्स छूटों में वृद्धि की जा सकती है। मौजूदा समय में धारा 80 सी के तहत 1.50 लाख रुपए की छूट मिलती है। इसके तहत ईपीएफ, पीपीएफ, एनएससी, जीवन बीमा, बच्चों की ट्यूशन फीस और होम लोन का मूलधन भुगतान भी शामिल है। जहां वर्ष 2024-25 के बजट से वित्तमंत्री आयकर राहत संबंधी उपहार सौंप सकती हैं, वहीं वे बजट में आयकर के दायरे का विस्तार करने की नई रणनीति का ऐलान कर सकती हैं। 

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