खाद्य पदार्थों की सुरक्षा
 इलमा अजीम 
इधर दो घटनाओं ने खाद्य सुरक्षा की तरफ लोगों का ध्यान खींचा। पहली घटना मुंबई में आइसक्रीम में निकली इंसानी उंगली और दूसरी घटना नोएडा में आइसक्रीम में ही मिला कनखजूरा। यह घटनाएं उदाहरण हैं, लेकिन खाद्य सुरक्षा पर सवालिया निशान भी लगाती हैं। दरअसल खाद्य सुरक्षा की स्थिति तब बनती है जब सभी लोगों के पास हर समय पर्याप्त, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन के लिए भौतिक एवं आर्थिक पहुंच उपलब्ध होती है, ताकि एक सक्रिय एवं स्वस्थ जीवन के लिए उनकी आहार संबंधी आवश्यकताओं एवं खाद्य वरीयताओं की पूर्ति हो सके। खाद्य सुरक्षा इस बात का बहुत महत्वपूर्ण निर्धारक है कि लोग सक्रिय और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं या नहीं, क्योंकि यह पोषक तत्वों की जरूरत को पूरा करने के लिए आवश्यक खाद्य पदार्थों तक उनकी पहुंच निर्धारित करता है। खराब खाने से पनपने वाले खतरे को पहचानने और समझने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के सहयोग से इस वर्ष 7 जून को नए थीम के साथ खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया। 



सयुंक्त राष्ट्र ने खाद्य सुरक्षा में चुनौतियां चिन्हित की हैं जो हैं : जलवायु परिवर्तन, बढ़ते तापमान, मौसम की परिवर्तनशीलता, आक्रामक फसल कीट और लगातार चरम मौसमी घटनाओं का खेती कार्यों पर हानिकारक प्रभाव आदि। इससे ऊपज में कमी, पोषण गुणवत्ता की गिरावट और किसान आय में हानि हो रही है। हरित क्रांति से भारतवर्ष में खाद्य असुरक्षा और गरीबी दोनों के स्तरों में कमी आई है। साथ में जनसंख्या की वृद्धि के दबाव को भी सहन किया है। परंतु अभी भी खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने में बहुत सी चुनौतियां हैं। मसलन खाद्य प्रबंधन नीति का अभाव, खाद्यान्नों में लीकेज एवं डायवर्सन, अनाज का सडऩा, बारिश में भीगने से अनाज का खराब होना, फल/सब्जियों का प्रबंधन, नकली राशन कार्ड आदि। इसके लिए सरकार को गोदामों और कोल्ड स्टोरेज, फार्म टू फैक्टरी की सुविधा देनी होगी। भारत में खाद्य सुरक्षा इसलिए आवश्यक है क्योंकि किसी भी वर्ष देश को राष्ट्रीय आपदा या आपदा जैसे भूकंप, सूखा, बाढ़, सुनामी आदि का सामना करना पड़ सकता है। 


वस्तुओं की कीमतों को बढऩे से रोकने के लिए भी खाद्य सुरक्षा आवश्यक है। उच्चतम न्यायालय ने खाने के अधिकार के साथ-साथ स्वास्थ्य का अधिकार तथा सुरक्षित भोजन के अधिकार का भी करार दिया है। इस अधिकार की सुरक्षा के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण को जिम्मेदारी दी है और वह इस जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकता है। हाल ही में सिंगापुर, हांगकांग, मालदीव, ऑस्ट्रेलिया और नेपाल ने भारतीय लोकप्रिय ब्रांड एमडीएच एवं एवरेस्ट मसाले में इथिलीन ऑक्साइड की मिलावट होने के परिणामस्वरूप इनके आयात पर प्रतिबंध लगा दिया। इस रसायन की अधिक मात्रा होने से कैंसर तथा अन्य बीमारियां हो सकती हैं। एफएसएसएआई ने परीक्षण के बाद इसका खंडन भी किया। एमडीएच/एवरेस्ट मसालों के अतिरिक्त पतंजलि स्वास्थ्य उत्पाद, कुछ बेबी फूड, जैनेटिक मॉडिफाई फसलें आदि के ऊपर भी उंगलियां उठी हैं जो उपभोक्ताओं की सुरक्षा के ऊपर गंभीर प्रश्न है। भारत सरकार को खुद ही वर्तमान उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत भ्रमित विज्ञापनों एवं अस्वस्थ उत्पादों पर रोक लगानी चाहिए। 

No comments:

Post a Comment

Popular Posts