18वीं लोकसभा चुनाव की दशा और दिशा

- प्रो. अखिलेश्वर शुक्ला
भारत में प्रथम आम चुनाव (1952) से लेकर अब (18वीं लोकसभा चुनाव 2024) तक जो भी राजनीतिक दल चुनाव लड़ते रहे किसी न किसी लोक लुभावन मुद्दे पर लोगों को आकर्षित करने एवं शासन सत्ता तक पहुचते रहे हैं। भोजन वस्त्र  आवास, बिजली पानी सड़क, शिक्षा स्वास्थ्य सुरक्षा से लेकर बेकारी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, गरीबी, विकास जैसे मुद्दों से होता हुआ आज तू तू मैं मैं में सभी मुद्दे खो गये हैं।
2024 का चुनाव मतदान 7 चरणों में (19 अप्रैल से 01 जून 2024)  होकर 04 को मतगणना एवं इसके बाद सरकार का गठन होना है। फिर वही बात - "प्रभुता पाई काई मद नाही" की कहावत चरितार्थ होती है। फिर सारे मुद्दे गुम हो जाते हैं - जनहित की जगह स्वहित का बोलबाला हो जाता है। यही कारण है कि चुनाव के अंतिम दौर में यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि प्रत्याशियों, राजनीतिक दलों, नेताओं में जो उत्साह एवं सक्रियता दिखाई दे रहा है वह आम मतदाताओं में नहीं दिख रहा है। आम मतदाता यह मान कर चल रहा है कि जो भी शासन सत्ता में आयेगा मुफ्त का माल मिलेगा। वहीं कुछ खास मतदाताओं का यह मानना कि मुफ्तखोरी से कामचोरी को बढ़ावा मिलता है और राष्ट्रीय हित प्रभावित होता है। वास्तव में शिक्षा स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर न कोई चर्चा करना चाहता है नहीं किसी को ज़रूरत है।                  
वास्तव में गुलाम भारत में जो शिक्षा पद्धति, न्याय व्यवस्था, पदलोलुपता, भ्रष्टाचार, भेदभाव, जाति सम्प्रदाय का विकृत रूप, आदि विरासत में मिला है। उससे मुक्त होकर स्वावलंबी स्वाभिमानी स्वसंस्कृति स्वसभ्यता और राष्ट्रीय हित की चिंता हमें करने का समय और आवश्यकता ही नहीं -जैसे चल रहा है चलता रहे --लुटो खाओ मस्त रहो.....…. आखिर यह सोच समझ हमें हमारे अगली पीढ़ी को कहां ले जाएगी??? चुनाव आयेगा जायेगा, सरकार बनेगी बिगड़ेगी। लेकिन हम अपनी अगली पीढ़ी को क्या दे रहे हैं? सोचने समझने एवं चिंतन करने की आवश्यकता है।   
   

   
               आज हम अपने पूर्वजों, ऋषियों मनीषियों तथा धर्म गुरुओं के संदेशों/उपदेशों के बजाय राजनीतिक दलों/नेताओं के भाषणों/वक्तव्यों पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। जबकि राजनीतिक लाभ के लिए अंग्रेजों की "फूट डालो राज करो" नीति के अनुगामी नेताओं के भाषणों पर हम ताली बजा रहे हैं।                  
चुनाव के अंतिम दो चरण ( 25 मई एवं 01 जून)  के चुनाव में आप बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें और राष्ट्रीय हित में अपने बहुमूल्य मत का प्रयोग करें।
(पूर्व प्राचार्य राजा श्री कृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जौनपुर)

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