किशोर और सोशल मीडिया
इलमा अजीम 
तकनीकी विकास की करिश्माई देन, मोबाइल फ़ोन अपनी विविधता की उपयोगिता के चलते युवाओं तथा बड़े बुज़ुर्गों से लेकर बच्चों तक का चहेता बन चुका है। अवयस्कों द्वारा सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताना उनके शारीरिक, मानसिक व नैतिक विकास को प्रभावित कर रहा है। मोबाइल के बढ़ते दुष्प्रभावों पर संज्ञान लेते हुए, हाल ही में अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य में नाबालिगों के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने का ऐलान किया गया। इसके अंतर्गत, 14 वर्ष से कम आयुवर्ग के बच्चों के सोशल मीडिया खातों पर रोक रहेगी। सोशल मीडिया के प्रयोग से पूर्व अभिभावकों की अनुमति अनिवार्य होगी। नियमोल्लंघन पर संबद्ध छात्र का मोबाइल ज़ब्त करने एवं आदेश पालन सुनिश्चित बनाने हेतु शिक्षकों को बच्चों के बैग सख़्तीपूर्वक जांचने का अधिकार दिया गया है। सुधारात्मक दृष्टिकोण से इसे एक सराहनीय क़दम माना जा रहा है। फ्रांस सरकार पहले ही अपने देश में इससे संबद्ध कानून लागू कर चुकी है। ब्रिटेन के शिक्षा मंत्रालय ने भी कुछ ही समय पूर्व, छात्रों का व्यवहार संयमित करने तथा पढ़ाई पर एकाग्रता बढ़ाने के उद्देश्य से विद्यालयों में मोबाइल फ़ोन के प्रयोग पर पूर्ण पाबंदी लगाने संबंधी निर्देश जारी करते हुए कहा कि पाठशाला में इसका प्रयोग पढ़ाई तथा अन्य गतिविधियों में व्यवधान उत्पन्न करता है। बच्चों में मोबाइल की बढ़ती लत के विषय में भारतवर्ष भी अपवाद नहीं। सोशल मीडिया ने मानो बच्चों का बचपन ही छीन लिया है। परम्परागत खेल खेलने की बजाय मोबाइल पर उंगलियां घुमाना बच्चे मनोरंजन का बेहतर उपाय मानते हैं। हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार, 65 प्रतिशत परिवार खाना खिलाते समय बच्चों को टीवी-मोबाइल दिखाते हैं। 12 माह का बच्चा प्रतिदिन 53 मिनट स्क्रीन देखने में बिताता है, 3 वर्ष की उम्र होने तक यह अवधि बढ़कर डेढ़ घंटा हो जाती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक़, बचपन में ही मोबाइल की लत लगने से बच्चे अनेक रोगों की चपेट में आने लगते हैं। सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताना जहां समूची दिनचर्या को प्रभावित करता है, वहीं बच्चों में आलस्य, अनिद्रा, अवसाद, चिंता, तनाव आदि मानसिक समस्याएं बढ़ाने के साथ ही बेचैनी, झल्लाहट तथा हिंसक प्रवृत्ति उपजाने का भी प्रमुख कारण बनता है। अभिभावकों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय न बिताना उन्हें समाज से अलग-थलग कर, आत्मकेंद्रित तो बनाता ही है, उनकी एकाग्रता को भी प्रभावित करता है।

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