राम ने शबरी के प्रेम में खाए बेर
मेरठ ।व्यास पीठ से राम कथा में राम जी वन गमन में शबरी के आश्रम पहुंचे।ये वो शबरी थी जो आदिवासी थी मतंग ऋषि ने अपनी पुत्री समान अपने आश्रम में आश्रय दिया ज्ञान दिया और अपने अंतिम समय में राम के आने तक प्रतीक्षा करने को कहा था ।
राम लक्ष्मण सीता जी को खोजते खोजते शबरी उद्धार के लिए आश्रम पहुचे। शबरी ने राम से देर से आने की शिकायत की राम ने मुस्कराते हुए कहा की मुझको तो आना ही था राम जी शबरी से भूख लगने पर कुछ खाने को कहा तब शबरी ने राम को चख चख कर मीठे बेर खिलाए और चलते समय राम से मुक्ति की प्रार्थना करी।
व्यास पीठ से राकेश मोहन ने राम राज्य में किसी भी भेद भाव न होने की बात कही।उन्होंने कहा की चाहे निषाद राज हो या केवट या शबरी ये सब समानता का उधारण मात्र है । राम जी वन में राक्षसो का वध कर वहा निवास कर रहे जीवो को भय मुक्त किया।
आज के प्रसंग में मारीच द्वारा स्वर्ण मृग बन कर राम जी को दूर वन में लेजाना , सीता जी को राम जी का बचाव के शब्द सुन कर लक्ष्मण जी को सहायता हेतु भेजना , बाद में रावण का साधु के रूप में आना और छल और बलपूर्वक सीता जी का हरण करना। मार्ग में जटायु द्वारा विरोध करने पर रावण द्वारा उसका मरण अवस्था में घायल करना और राम जी द्वारा उस मार्ग पर खोजते हुए आना और जटायु द्वारा रावण द्वारा सीता जी के अपहरण की जानकरी देकर राम के गोद में प्राण त्याग दिए राम जी ने जटायु का संस्कार किया।आज कथा पूर्व व्यास पीठ का पूजन चेतन चौधरी ने परिवार सहित व आरती भाजपा नेता आलोक सिसोदिया ने की।
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